राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद से भारत में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। अब आेलांद ने कल कहा है कि दासौ ही बता सकती है कि भारत ने रिलायंस को साझीदार बनाने के लिए दबाव डाला था या नहीं।


कानपुर (एजेंसियां)। राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान से हर एक नया मोड़ आ रहा है। शनिवार को भी उनसे जब यहा पूछा गया कि क्या भारत ने रिलायंस और दासौ पर एक साथ काम करने का दबाव डाला था?  इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नही है। यह तो दासौ ही बता सकती है कि नई दिल्ली ने रिलायंस को साझीदार बनाने के लिए दबाव डाला था या नहीं। हालांकि इस दौरान फ्रांस्वा ओलांद ने इस बात को खारिज कर दिया रिलायंस उन्हें कोई फायदा नहीं पहुंचाया। साझीदार के रूप में रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया


वहीं एक दिन पहले शुक्रवार को उन्होंने कहा था कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि भारत सरकार ने ही 58000 करोड़ रुपये के राफेल सौदे में फ्रांसीसी कंपनी के लिए साझीदार के रूप में रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया था। बता दें कि  फ्रांसीसी मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान आने के बाद फ्रांस सरकार और दासौ ने अलग-अलग बयान जारी किए हैं। फ्रांस की सरकार का कहना है कि भारतीय औद्योगिक साझीदार का चुनाव करने में वह किसी भी प्रकार से शामिल नहीं थी।

पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद से राजनीति में भूचाल आ गया
वहीं इस पूरे मामले में दासौ का कहना है कि मेक इन इंडिया के तहत उसके द्वारा ही रिलायंस डिफेंस को साझीदार बनाने का फैसला लिया था।  यह 'मेक इन इंडिया की नीति' के मुताबिक था। दासौ ने यह भी कहा है, 'यह ऑफसेट ठेका रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 नियम के अनुसार दिया गया। इस ढांचे में और मेक इन इंडिया नीति के अनुसार दासौ एविएशन ने भारत के रिलायंस समूह के साथ साझीदारी करने का फैसला लिया था। बता दें कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के इस बयान के बाद से भारतीय की राजनीति में भूचाल सा गया है। पीएम ने बंद दरवाजे के पीछे डील पर बातचीत कर बदलवा किए

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ओलांद को धन्यवाद देते हुए कहा कि पीएम ने बंद दरवाजे के पीछे इस डील पर बातचीत व बदलाव किए। वहीं दिल्ली सीएम केजरीवाल ने  पीएम से तीन सवाल पूछे हैं। केजरीवाल के ट्वीट में पहला सवाल आपने ये ठेका अनिल अम्बानी को ही क्यों दिलवाया? और किसी को क्यों नहीं? दूसरा सवाल अनिल अम्बानी ने कहा है कि उनके आपके साथ व्यक्तिगत सम्बंध हैं।क्या ये सम्बंध व्यवसायिक भी हैं? तीसरा सवाल राफेल घोटाले का पैसा किसकी जेब में गया- आपकी, भाजपा की या किसी अन्य की?

राफेल डील : ओलांद के बयान से घिरी मोदी सरकार, केजरीवाल ने पीएम से पूछे तीन बड़े सवाल

Posted By: Shweta Mishra