अवैध रूप से लौह अयस्क के खनन और स्मगलिंग जैसे कई आरोपों में कर्नाटक के 43-वर्षीय पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी की गिरफ़्तारी के साथ ही कर्नाटक के बेल्लारी और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िलों में खनन में हुए महाघोटाले पर अब सबका ध्यान केंद्रित हो गया है.

हालांकि जनार्दन रेड्डी और उनके भाइयों पर पिछले छह साल से ये आरोप लगते रहे हैं कि वह कई क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए अवैध तरीक़े से लौह अयस्क का खनन कर रहे हैं और इससे सरकारी ख़जाने को कई हज़ार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा। लेकिन उनके खिलाफ़ ठोस कार्रवाई अब शुरू हुई है.

उच्चतम न्यायालय की एक अधिकृत समीति ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि रेड्डी बंधुओं की ओबुलापुरम कंपनी ने न केवल अवैध खनन किया है बल्कि अपने फ़ायदे के लिए कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की सीमाओं में भी फेरबदल कर दिया है। लेकिन अगर उनके विरुद्ध सरकारी मिशनरी को सक्रिय होने में इतना लंबा वक़्त लगा है तो इसके लिए रेड्डी बंधुओं की बेपनाह शक्ति, साधनों और राजनैतिक प्रभाव को कारण माना जा सकता है।

साधारण परिवार

इन भाईयों का ताल्लुक़ आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले से है, पिता गाली चेंगा रेड्डी एक पुलिस कांस्टेबल थे। लेकिन देखते-देखते वह इतने शक्तिशाली हो गए कि वह दो बड़े दक्षिणी राज्यों की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाने लगे।

जनार्दन रेड्डी ने कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में भारतीय जनता पार्टी के एक मामूली नेता के रूप में अपना राजनैतिक जीवन शुरू किया था। उनका नाम पहली बार तब सुना गया जब बीजेपी की सुषमा स्वराज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने बेल्लारी पहुंचीं। रेड्डी बंधुओं ने सुषमा स्वराज के लिए जमकर काम किया लेकिन जीत अंत में सोनिया गाँधी की हुई.

उस समय भी रेड्डी बंधु एक विवाद में घिरे थे। उनकी वित्तीय कंपनी दिवालिया हो गई थी और अनुमान के मुताबिक़ खातेदारों को 200 करोड़ रूपयों का नुक़सान हुआ था। लेकिन 10 साल के अंदर ही उनकी काया ऐसी पलटी कि जनार्दन रेड्डी और उनकी पत्नी ने वर्ष 2008 में 115 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की।

लौह अयस्क खनन में जनार्दन रेड्डी ने वर्ष 2004 में क़दम रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उस खनन कंपनी को ख़रीद लिया जिसके पास 30 साल का खनन लाइसेंस था।

'रिपब्लिक ऑफ़ बेल्लारी'

देखते ही देखते वह न केवल बीजेपी के लिए अहम हो गए बल्कि उन्हें 'रिपब्लिक ऑफ़ बेल्लारी' का बेताज बादशाह भी कहा जाने लगा। ये इसी प्रभाव का परिणाम था कि जब कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में आई तो रेड्डी भाइयों को काफी महत्व दिया गया। जनार्दन रेड्डी और उनके एक भाई को मंत्री बनाया गया। पार्टी के 15 से 20 विधायक और कई सांसद उनके ख़ास समर्थकों में से हैं

पार्टी में उनके रसूख़ का अंदाज़ा इसी बात से लगया जा सकता है कि कहते हैं कि लोक सभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज हर वर्ष रेड्डी बंधुओं के घर पूजा में उपस्थित होती थीं। कहा जाता है कि रेड्डी बंधु उन्हें 'माँ' कहते थे।

दूसरी और आंध्र प्रदेश में हालाँकि कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वहां भी इनका ज़बर्दस्त प्रभाव था.वर्ष 2004 में मुख्य मंत्री बने वाईएस राजशेखर रेड्डी और जनार्दन रेड्डी के क़रीबी संबंध थे और कहा जाता है की 2009 के आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनाव में रेड्डी बंधुओं ने उनकी काफ़ी सहायता की थी।

रसूख़दोनों रेड्डी के संबंधों का अंदाज़ा इस बात से होता है कि वाईएस सरकार ने बेल्लारी बंधुओं को न सिर्फ खनन का कांट्रेक्ट दिया बल्कि दोनों के बीच कड़प्पा जि़ले में एक स्टील प्लांट के लिए भी समझौता हुआ जिस परियोजना में वाईएसआर के पुत्र जगनमोहन रेड्डी का भी हिस्सा था।

वाईएसआर और जनार्दन रेड्डी ने घोषणा की थी कि प्लांट में पचीस हज़ार लोगों को रोज़गार मिलेगा। लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ लेकिन दूसरी ओर खानों से निकलने वाले माल का निर्यात शुरू हो गया।

रेड्डी बंधुओं के पास चार हेलीकॉप्टर और एक हवाई जहाज़ है। तीन साल पहले उनके परिवार में हुई एक शादी पर 20 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे। तिरुपति के मशहूर मंदिर में उन्होंने एक ताज भेंट किया था जिसकी क़ीमत 42 करोड़ रुपये थी, जो सोने का था और जिसमें हीरे जड़े थे।

राजनीतिक दाँवपेंचलेकिन राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद से ही रेड्डी बंधुओं के दिन ख़राब शुरू हो गए। इसके बाद से ही बेटे जगनमोहन के दिन भी अच्छे नहीं चल रहे हैं।

कर्नाटक में हाल में हुए राजनीतिक उलट-फेर के बाद रेड्डी भाइयों और उनके समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। उन्हें इस बात से भी ज़बर्दस्त झटका लगा कि लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में उन पर बेल्लारी में लौह अयस्क के खनन में अनियमित्ताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं।

सीबीआई ने गिरफ़्तारी एक ऐसे समय की है जबकि रेड्डी बंधुओं के समर्थक बीजेपी छोड़ कर एक नया राजनैतिक दल बनाने की तैयार में लगे थे। रेड्डी के एक क़रीबी मित्र और पूर्व मंत्री श्रीरामुलू ने रविवार को ही कर्नाटक विधान सभा से त्याग पत्र दे दिया था। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी का कांग्रेस छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस की स्थापना के पीछे भी उनका हाथ माना जाता है.अब आय से अधिक संपत्ति के मामले में जगन मोहन रेड्डी की गिरफ़्तारी को लेकर भी हर तरफ चर्चा चल रही है।

Posted By: Inextlive