Allahabad : एक्स प्राइम मिनिस्टर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि अगर हमारा संविधान फ्यूचर में अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर सका तो यह उनके लिए एक कागज का टुकड़ा होगा. आज संविधान बनने के इतने वर्षों बाद भी दुनिया की कुल आबादी का दो तिहाई हिस्सा भारत में गरीबी से जूझ रहा है और देश का गरीब तबका सेंट्रल गवर्नमेंट की उस घोषणा के बाद जिसमें कहा गया है कि एक दो रुपए में अनाज मिलेगा कटोरा लेकर अनाज मिलने की राह तक रहा है. ये बातें बाल दिवस पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के कान्फ्रेंस हाल में फार्मर सेक्रेटरी जनरल लोक सभा डॉ. सुभाष सी कश्यप ने कही...


Bilingual lecture ने मोहा मनइलाहाबाद यूनिवर्सिटी यूनियन के एक्स प्रेसीडेंट व संविधान विशेषज्ञ डॉ। सुभाष कश्यप को सुनने के लिए स्टूडेंट्स में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। अमूमन एयू के किसी भी प्रोग्राम में पीछे से धीरे-धीरे खाली हो जाने वाली भीड़ तकरीबन घंटेभर तक सुभाष कश्यप को सुनने के लिए हॉल में टिकी रही। हर स्टूडेंट उनके कहे एक एक शब्द को अपने नोट पैड में उतारता नजर आया। डॉ। कश्यप ने पूरा लेक्चर बाईलिंगुअल लैंग्वेज में दिया। नफरत नहीं थी अंग्रेज की सूरत से
डॉ। कश्यप ने अपने लेक्चर में जवाहर लाल नेहरू के इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन में किए गए कॉन्ट्रीब्यूशन को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे संविधान को बनाने के लिए उस समय के पॉलिटिकल लीडर्स ने कड़ी मेहनत की। बावजूद इसके हम ब्रिटिश काल की औपनिवेशिक गुलामी से उबर नहीं पाए। उन्होंने अकबर इलाहाबादी का जिक्र करते हुए कहा 'मुझे नफरत नहीं थी अंग्रेज की सूरत से, मुझे तो नफरत थी अंग्रेज की तर्जे हुकूमत से।  नए स्टूडेंट लीडर करेंट लीडर्स से हो रहे प्र्रेरित


इलाहाबाद यूनिवर्सिटी यूनियन के एक्स प्रेसीडेंट रह चुके डॉ। सुभाष कश्यप ने प्रोग्राम के बाद दिए गए इंटरव्यू में एयू में स्टूडेंट यूनियन से जुड़े प्रश्न पूछने पर कहा कि यह अफसोस की बात है कि आज स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन, सत्ता, सम्पदा और सफलता का पर्याय बन चुकी है। इलेक्शन में धनबल के बढ़ते प्रयोग की मुख्य वजह यह है कि नए स्टूडेंट लीडर पुराने लीडर्स से मोटिवेट न होकर ओछी मानसिकता के करेंट लीडर्स से प्र्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने अपने समय की याद ताजा करते हुए कहा कि जब वे प्रेसीडेंट बने थे तो उस समय के प्राइम मिनिस्टर जवाहर लाल नेहरू जब यहां आए थे तो उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री से कहा मुंशी जी कश्यप को बुलाकर लाओ। यह साबित करता है कि एक प्राइम मिनिस्टर के मन में मुझ जैसे स्टूडेंट लीडर के लिए क्या सम्मान था? जिसका करेंट में अभाव देखा जा रहा है। तुमने तो बड़ा question पूछ लिया

सुभाष कश्यप ने लेक्चर से पहले स्टूडेंट्स से इंट्रैक्शन करते हुए उनसे सवाल-जवाब भी किए। मसलन, उन्होंने पूछा कि अब तक इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन में कितने संशोधन किए गए? तो एक स्टूडेंट ने उन्हीं पर सवाल दागा कि सर, आपके लिए सफलता का क्या सूत्र है? इस पर डॉ। कश्यप ने कहा कि बच्चे, तुमने तो बड़ा प्रश्न पूछ लिया। प्रोग्राम के बाद स्टूडेंट्स की भीड़ उनका ऑटोग्राफ लेने के लिए टूट पड़ी। प्रोग्राम में प्रो। एनआर फारूखी, प्रो। एमपी दूबे, प्रो। कृष्णा गुप्ता, प्रो। मृदुला त्रिपाठी ने भी अपनी बात रखी।

Posted By: Inextlive