- इलाहाबाद बैंक के साथ की थी भाई इरशाद ने ठगी, आधी से ज्यादा रकम मेहताब ने रसूख बढ़ाने की यूज

- ईडी ने जांच के बाद दोनों भाइयों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट जाजमऊ स्थित पेट्रोल पंप को किया अटैच

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LUCKNOW (17 June): कानपुर के पूर्व सपा जिलाध्यक्ष मेहताब आलम 31 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में बुरी तरह फंस गए हैं. पहले से कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहे मेहताब आलम और उसके भाई इरशाद आलम के खिलाफ इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने कानपुर स्थित इलाहाबाद बैंक की मेन ब्रांच से 31 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है. खास बात यह है कि इस मामले की जांच पहले सीबीआई ने की थी, जिसने मेहताब आलम को अपनी एफआईआर और चार्जशीट में आरोपी नहीं बनाया था. वहीं जब ईडी ने पूरे प्रकरण की पड़ताल की तो पता चला कि इरशाद आलम ने बैंक से एक्सपोर्ट के नाम पर ली गयी 31 करोड़ रुपये की रकम में से अधिकांश रकम मेहताब आलम को दी थी, जिसका इस्तेमाल उसने अपने राजनैतिक रसूख को बढ़ाने में किया था.

मांगा एक्सपोर्ट को, बनाने लगे फिल्म

चार्जशीट के मुताबिक, मेहताब आलम के भाई इरशाद आलम ने वर्ष 2004 से 2006 के दरम्यान अपनी दो कंपनियों हामिद लेदर फिनिशर्स और हामिद सन एक्सपो‌र्ट्स के जरिए कानपुर स्थित इलाहाबाद बैंक की मेन ब्रांच से एक्सपोर्ट के लिए 31 करोड़ रुपये का एडवांस लिया था और बाद में पूरी रकम को हड़प गया था. बैंक की शिकायत पर इस मामले की जांच सीबीआई ने की, जिसमें इरशाद आलम को दोषी पाते हुए चार्जशीट लगाई गयी. इसके बाद यह मामला जांच के लिए ईडी के पास आ गया. ईडी ने जब इस मामले की पड़ताल की और इरशाद आलम और उनके रिश्तेदारों के बैंक खातों को खंगाला तो पता चला कि इसमें से 18 करोड़ रुपये इरशाद आलम ने मुंबई की मशरेक कम्युनिकेशन के बैनर तले बनने वाली फिल्म ताजमहल में निवेश कर दिए थे. जिसके फ्लॉप होने पर रकम डूब गयी.

बॉक्स

लंबे समय तक रहा फरार

सपा सरकार में सुर्खियों में रहने वाले मेहताब आलम फिलहाल शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष है. सपा सरकार में निर्माणाधीन इमारत के जमीदोज होने के बाद मेहताब आलम डेढ़ साल तक फरार रहा, जिसके बाद उसके आवास की कुर्की की गयी थी. इसके बाद मेहताब की सपा से दूरियां बढ़ती चली गयी और उसने प्रसपा का दामन थाम लिया.

फैक्ट फाइल

- 31 करोड़ रुपये इलाहाबाद बैंक मेन ब्रांच से लिए थे एडवांस

- 2004-06 के बीच दो कंपनियों के नाम पर लिया था पैसा

- 18 करोड़ रुपये का निवेश ताजमहल फिल्म में किया गया था

- 2012 में सीबीआई ने बैंक की शिकायत पर दर्ज की एफआईआर

- 2014 में सीबीआई ने इरशाद समेत अन्य आरोपितों को पाया दोषी

- 2014 में सीबीआई की चार्जशीट के बाद ईडी ने दर्ज किया केस

- 1.5 करोड़ रुपये की कीमत का जाजमऊ स्थित पेट्रोल पंप किया अटैच

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10 लोगों की मौत का है आरोपी

KANPUR :

सपा पूर्व जिलाध्यक्ष मेहताब आलम का बुरा दौर फरवरी 2017 में निर्माणाधीन इमारत के ढहने से शुरू हुआ था. इस हादसे में 10 मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि 12 से ज्यादा मजदूर घायल हो गए थे. पूर्व जिलाध्यक्ष हादसे में हताहत हुए मजदूरों की मदद करने के बजाय फरार हो गया था. बताया जा रहा था कि वह पुलिस से बचने के लिए बैंकॉक भाग गया था.

बिना नक्शे के नौ मंजिला इमारत

जब इमारत ढही थी, उस समय सपा की सरकार थी और चुनाव होने वाले थे. महताब आलम की पार्टी में अच्छी पैठ थी. जिसके चलते वह बिना नक्शे और सुरक्षा के बिल्डिंग का निर्माण करवा रहा था. उसने ठेकेदार को चुनाव से पहले निर्माण कार्य पूरा करने का टारगेट दिया था. सातवीं मंजिल की स्लैब डालने पर इमारत ढह गई थी. जिसके मलबे में दबकर 10 मजदूरों की मौत हो गई थी.

Posted By: Manoj Khare