RANCHI : नए विधानसभा भवन के निर्माण के पूर्व शुक्रवार को चारदीवारी का शिलान्यास सरकार और विस्थापितों के बीच की दरार और चौड़ा कर गया। सरकार की रणनीतियों को धता बताते हुए कुटे गांव के विस्थापितों का जत्था न सिर्फ समारोह स्थल तक पहुंच गया बल्कि अपना जोरदार विरोध दर्ज कराने में भी सफल रहा। मुख्यमंत्री रघुवर दास के समझाने का विस्थापितों पर असर नहीं हुआ। तीव्र विरोध-अवरोध के बीच विधानसभा परिसर की चारदीवारी के शिलान्यास की औपचारिकता पूरी की जा सकी।

21 जनवरी 2014 को भी रखी गई थी आधारिशला

पूर्ववर्ती हेमंत सरकार ने तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता के अथक प्रयासों के बाद इस स्थल का चयन किया था। 21 जनवरी 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधानसभाध्यक्ष शशांक शेखर ने इसी प्रकार के विरोध के बीच विधान भवन की आधारशिला रखी थी। वर्तमान विधानसभा परिसर एचइसी के रशियन हॉस्टल परिसर में चल रहा है। इस परिसर का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है। यह अपेक्षाकृत छोटा है।

पुलिस छावनी में तब्दील कूटे

नए विधान भवन परिसर की चारदीवारी के निर्माण कार्य के शिलान्यास को लेकर विवाद की आशंका सरकार को भी पूर्व से ही थी। यही वजह थी कि पूरे कुटे गांव को सरकार ने पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया था। राजधानी रांची के मशहूर एचइसी क्षेत्र में जगन्नापुर मंदिर से समारोह स्थल तक सैकड़ों की संख्या में जवानों की तैनाती की गई थी। मुख्य सचिव राजीव गौबा और डीजीपी डीके पांडेय समेत सरकार का तकरीबन पूरा शीर्ष अमला समारोह स्थल पर मौजूद था।

विकास के नाम पर न हो राजनीति

समारोह तय समय सुबह सात बजे शुरू हुआ। मुख्यमंत्री रघुवर दास और विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने संयुक्त रूप से विधानसभा की चारदीवारी के निर्माण के लिए शिलापट्ट का शिलान्यास किया और मंच पर पहुंचे। इधर, मुख्यमंत्री रघुवर दास का संबोधन शुरू हुआ उधर, कुटे गांव के विस्थापित झारखंड जनाधिकार मंच के अध्यक्ष और पूर्व में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे बंधु तिर्की और वासवी किड़ो के नेतृत्व में समारोह स्थल की ओर बढ़ते दिखाई पड़े। मुख्यमंत्री ने अपने संक्षिप्त संबोधन में विरोध कर रहे लोगों को समझाया और चेताया। विकास के मुद्दे पर राजनीति न करने की नसीहत दी। संबोधन समाप्त कर सीएम सीधे विस्थापितों से मिलने चल पड़े। मुख्यमंत्री से इन दोनों नेताओं की गुरुवार की रात में भी मुलाकात हुई थी।

विस्थापितों का हक नहीं मारेगी सरकार

मुख्यमंत्री उनसे कहा कि सरकार विस्थापितों का हक नहीं मारेगी। उन्होंने विस्थपितों को 16 जून को बैठक के लिए आमंत्रित किया। सीएम के समझाने के बावजूद बंधु तिर्की व वासवी किड़ो नहीं माने। बात बनती न देख सीएम लौट गए। मीडिया से बातचीत में उन्होंने इतना अवश्य कहा कि पूरे मामले को हल कर लिया जाएगा, लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का हक है।

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Posted By: Inextlive