GORAKHPUR : हैलो मैं बैंक से बोल रहा हूं हम आपका एटीएम वेरीफाई कर रहे हैं. अपना नाम पता और एटीएम कार्ड का नंबर पासवर्ड बताएं. अगर इस तरह की कॉल आपके मोबाइल पर भी आती है तो सावधान हो जाएं. फोन करने वाले को आप डिटेल कतई न दें. वरना डिटेल बताने के साथ ही आपके बैंक एकाउंट से कैश उड़ जाएगा. जी हां एटीएम वेरीफाई के नाम पर ऑनलाइन फ्राड का खेल चल रहा है जिसमें सिटी के कई एटीएम धारक फंस कर अपना लाखों गवां चुके हैं.


पुलिस भी नहीं करती हेल्प इस तरह के फ्रॉड के मामले में पुलिस भी मदद नहीं करती क्योंकि बैैंक की तरफ से जारी गाइड लाइन में साफ है कि बैैंक कोई भी वेरीफिकेशन फोन के जरिए नहीं करती है। गाइड लाइन के बाद भी इस तरह के फ्रॉड किए जा रहे हैं। साइबर क्राइम की श्रेणी में आने वाले इस तरह के फ्रॉड को दर्ज करने से पुलिस भी कतराती है।ऑन लाइन हो गई शॉपिंग


रेलवे स्टेशन स्थित नलकूप कॉलोनी निवासी टूर एण्ड ट्रेवेल्स का कारोबार करने वाले चंचल श्रीवास्तव के मोबाइल पर सैटर्डे मार्निंग 8.30 बजे 08016990708 नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि वह एसबीआई से बोल रहा है और एटीएम वेरीफाई करना है। आप अपना नाम पता और एटीएम नंबर बताएं। फोन करने वाले ने कहा कि वेरीफेकिशन न होने की स्थिति में आपका एटीएम ब्लॉक हो जाएगा। चंचल ने डिटेल दे दिया। एक घंटे बाद उसके मोबाइल पर मैसेज आया कि उनके एकाउंट से ऑनलाइन शॉपिंग की गई है। शक होने पर नहीं दी डिटेल

पुलिस लाइन में तैनात सब इंस्पेक्टर आनंद शाही के पास दो दिन पहले उïनके प्राइवेट बीएसएनएल नंबर पर कॉल आई। एटीएम वेरीफाई की बात कहकर उनके एसबीआई के एटीएम कार्ड की डिटेल मांगी गई। देर शाम कॉल आने पर उन्हें शक हुआ और उन्होंने मार्निंग में कॉल करने की बात कहकर टरका दिया। मार्निंग में जब उस नंबर पर उन्होंने कॉल किया तो फोन पिक नहीं हुआ। सॉरी, इस केस की कोई धारा नहीं अपने साथ हुए फ्रॉड की शिकायत लेकर चंचल कैंट थाने पहुंचे। वहां पुलिस का जो जवाब था, वह फ्रॉड से भी ज्यादा चौंकाने वाला था। पीड़ित चंचल के अनुसार कैंट इंस्पेक्टर सुधाकर सिंह ने कहा कि इस तरह की घटना के लिए कोई धारा ही नहीं बनी। इंस्पेक्टर के इस जबाव के बाद वह शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस अफसरों के चक्कर काट रहा है।आईटी एक्ट के तहत दर्ज होते हैं केस इस तरह के अपराध रोकने के लिए पुलिस डिपार्टमेंट ने साइबर सेल भी बनाया है, लेकिन प्रदेश में अभी केवल लखनऊ और आगरा में ही साइबर थाने काम कर रहे हैं। प्रदेश के अन्य शहर में साइबर सेल न होने के चलते पुलिस के आला अधिकारियों ने निर्देश दिए थे। इसमें आईटी एक्ट के तहत कोई भी थाना साइबर क्राइम निल में दर्ज कर साइबर सेल में ट्रांसफर कर सकता है लेकिन सिटी में इस आदेश का पालन नहीं हो रहा।

साइबर फ्राड के मामले में आईटी एक्ट के तहत निल में केस दर्ज कर साइबर सेल को ट्रांसफर कर दिया जाता है। हर थानेदार को यह निर्देश दिया गया है.प्रदीप यादव, एसएसपी

Posted By: Inextlive