आगरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजनाएं लागू कर रहे हैं। कभी जनधन योजना तो कभी डिजिटल इंडिया। ये दोनों ही योजना गरीबों की मदद करने की बात ध्यान में रखते हुए लांच की गई हैं, लेकिन शॉर्टकट के जरिए धन कमाने का अच्छा खासा 'बिजनेस' भी बन गई हैं। ये खुलासा सोमवार को आगरा में उस वक्त हुआ जब पुलिस ने देश की राजधानी नई दिल्ली में बैठे मास्टर माइंड के इशारे पर जन-धन योजना के तहत खाते खुलवाकर उसमें से धनराशि गायब करने वाले एक युवक को दबोचा। ये नेटवर्क लोगों को लाखों का लाभ होने के लिए फोन करता है और हजारों रुपये प्रोसेसिंग फीस जमा कराकर उससे ऐश-मौज करता है।

फर्जी खाता खुलवाने वाले ने खोले राज

पुलिस के मुताबिक छह दिन पहले पीएनबी से मैनेजर ने अनमोल नाम के युवक को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खाता खुलवाते हुए पकड़ा था। मैनेजर ने अनमोल को पुलिस के हवाले कर दिया। अनमोल से पूछताछ के आधार पर रविवार को थाना ताजगंज के सुमन नगर में छापेमारी की। इस दौरान पुलिस ने मैनपुरी के थाना घिरोर के अंतर्गत नायली निवासी संदीप कुमार राठौर पुत्र ओमप्रकाश को हिरासत में लिया। पुलिस ने जब पूछताछ की तो कई चौंकाने वाले राज उजागर हुए।

जीरो बैलेंस पर खुलवाए अकाउंट

सोमवार को मामले का खुलासा करते हुए पुलिस के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संदीप प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत जीरो बैलेंस पर लोगों के अकाउंट खुलवाता था। उसने अभी तक दस से 15 अकाउंट खुलवाए हैं। जो बैंक ऑफ इंडिया और एसबीआई में खोले गए हैं। चार महीने पहले से ये खेल शुरू हुआ है।

आईसीआईसीआई बैंक का कर्मचारी रहा है

पकड़े गए आरोपी संदीप ने पुलिस को बताया कि वह पहले आईसीआईसीआई बैंक में संविदा पर काम करता था। इसलिए उसे खाते खुलवाने की बारीकियां और तकनीक मालूम थी। संदीप का संपर्क फीरोजाबाद के शैलेंद्र गुप्ता से हुआ। जो पहले आगरा काम करता था। शैलेंद्र का संपर्क राजधानी नई दिल्ली के द्वारका में उत्तम नगर निवासी शमसेर सिंह उर्फ सूरी उर्फ दादा भाई से हैं। पुलिस के मुताबिक शमसेर इस खेल का मास्टरमाइंड है।

आईडी तक फर्जी बना देते हैं

पुलिस का कहना है कि संदीप घर से ही ये कार्य करता था। घर से ही वह फर्जी वोटर आईडी, बिजली के बिल और आधार कार्ड तक बना देते थे। वह अपने जाल में रिक्शा, रेहड़ी चलाने वालों के अलावा फुटपाथ पर काम करने वालों को फंसाते थे। उन्हें दो से तीन हजार रुपये में राजी करके उनका फोटो खिंचवा लेते और फिर उन्हीं के नाम की आईडी तैयार कर लेते।

दिल्ली भेजते बैंक की किट

फर्जी आईडी के आधार पर अकाउंट खुलवाने के बाद बैंक से मिलने वाली पासबुक, चेक बुक और एटीएम कार्ड दिल्ली मास्टर माइंड शमसेर के पास भेज दिया जाता। इसके बाद शुरू होता असली खेल। कई लोगों को फोन करके ये बताया जाता है कि उनकी लॉटरी लगी है। छह लाख रुपये का टूर पैकेज मिला है। विदेश जाने का मौका मिलेगा आदि कई तरह के प्रलोभन के आधार पर लोगों को फंसाया जाता है।

प्रोसेसिंग फीस कराई जाती है जमा

पुलिस ने पत्रकारों से बातचीत में ये भी बताया कि लॉटरी की प्रोसेसिंग फीस 30 हजार रुपया जमा कराने के लिए कहा जाता। जो व्यक्ति ये पैसे जमा कर देता, उसे दिल्ली में बैठा शमसेर चेक के माध्यम से संबंधित बैंक से कैश करा लेता। ये रुपया इन्हीं फर्जी अकाउंट्स में जमा कराया जाता है।

अकाउंट का एड्रेस भी बडे़ शहरों का रहता

अकाउंट खुलवाने के दौरान ये ध्यान में रखा जाता है कि जिस बंदे का वह अकाउंट खुलवा रहे हैं, उसे बड़े शहर में रहना हुआ दर्शाते थे। ताकि किसी को आसानी से शक नहीं हो जाता। लोग जब लॉटरी का पता लगाने के लिए खाते और फोन नंबरों की जानकारी करते हैं तो उन्हें ये फर्जी दिखते हैं। उस दौरान उनके पास रोने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता।

फरार हुए अन्य युवक

पुलिस ने बताया कि घर से सामान के साथ संदीप को दबोचा है, जबकि उसके साथी नितिन, अमित अग्रवाल उर्फ मयंक, शैलेंद्र गुप्ता निवासीगण फीरोजाबाद फरार हैं। केस में शमसेर सिंह उर्फ करने सूरी उर्फ दादा भाई निवासी द्वारिका उत्तम नगर नई दिल्ली को भी नामजद किया गया है।

घर से चल रहा था निर्वाचन आयोग

पुलिस को इनके पास से 25 फर्जी निर्वाचन आयोग के वोटर कार्ड, 18 टोरंट के बिल, तीन फर्जी आधार कार्ड, पांच फर्जी नाम पते पर खोले गए अकाउंट की पास बुक, एक लैपटॉप, एक प्रिंटर बरामद हुआ है। इसके अलावा खाता खोलने वाले यूको व एसबीआई के चार फॉर्म, चार पैन एप्लीकेशन फॉर्म, खाता खोलने वाले आवेदन फॉर्म, एटीएम खोलने के लिए आवेदन फॉर्म, स्त्री-पुरुषों के रंगीन पासपोर्ट साइज फोटो, विभिन्न वोटर कार्ड की भारी मात्रा में छायाप्रति मिले हैं। पुलिस के मुताबिक शातिर के लैपटॉप में विभिन्न सरकारी दस्तावेज के प्रारूप थे। इन्हीं से यह फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं। शातिर घर से ही निर्वाचन आयोग चला कर फर्जी वोटर आईडी कार्ड बनाते हैं।

योजना का हो रहा मिसयूज

पहले बैंक में अकाउंट खुलवाने के लिए कई नियमावली से गुजरना पड़ता था, लेकिन जब से प्रधानमंत्री जन-धन योजना आई है, तब से अकाउंट खोलने में बैंक प्रबंधन ज्यादा पूछताछ और दस्तावेजी प्रक्रिया नहीं करती। योजना का शातिरों ने फायदा उठाया।

इन लाभों का देते थे लालच

मोबाइल टावर लगवाने, सरकारी संस्था से धन दिलवाने, लॉटरी निकलने, विदेश का टूर पैकेज

Posted By: Inextlive