Allahabad :वह दिन दूर नहीं जब मरीजों को उधार की सांस के लिए पैसे खर्च करने नहीं पड़ेंगे. हेल्थ डिपार्टमेंट जल्द ही गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में वेंटीलेटर सर्विस शुरू करने की तैयारी कर रहा है. इसके बाद मरीजों को फ्री ऑफ कास्ट बेहतर इलाज मिल सकेगा. अभी तक केवल एसआरएन हॉस्पिटल में ही वेंटीलेटर मौजूद है लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने से सभी को यह फैसिलिटी उपलब्ध नहंी हो पाती है...


केवल स्टाफ की है जरूरतजानकारी के मुताबिक बेली हॉस्पिटल में इस समय चार वेंटीलेटर मौजूद हैं लेकिन स्टाफ की कमी के चलते इनका यूज नहीं हो पा रहा है। इनको चलाने के लिए राउंड द क्लॉक चार स्किल्ड डॉक्टर्स और नर्सेज की जरूरत होगी। ऐसे में हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि इस सुविधा की शुरुआत करने के लिए एमएलएन मेडिकल कॉलेज से बात की जा रही है। वहां के एमडी या एमएस स्टूडेंट अगर मिल जाएं तो बेहतर होगा। इसके अलावा शासन से डीएनबी स्पेशलिस्ट्स के अप्वाइंटमेंट की बात चल रही है। अगर मंजूरी मिल जाती है तो ऑप्शनल की जरूरत नहीं होगी।सभी को चाहिए इलाज
सिटी में केवल एमएलएन मेडिकल कॉलेज द्वारा एसआरएन हॉस्पिटल में वेंटीलेटर सुविधा दी जा रही है। आईसीयू में कुल छह वेंटीलेटर लगे हैं और ये हमेशा फुल फिल रहते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में वेंटीलेटर के पर डे चार्जेस दस से पंद्रह हजार रुपए लगते हैं। इतना महंगा होने की वजह से अक्सर मरीजों की मौत तक हो जाती है। हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि लंबे समय से स्टाफ की कवायद चल रही है। हमारी सरकार से मांग है कि हमें रेजीडेंसी खोलने की परमिशन दे दी जाए। अगर ऐसा हुआ तो सभी समस्याओं का हल हो जाएगा।


काफी पहले मिलनी चाहिए थी सुविधाजिन मरीजों को इमरजेंसी में कृत्रिम सांस की जरूरत होती है उनको वेंटीलेटर पर रखा जाता है। प्राइवेट में इसके चार्जेस बहुत ज्यादा हैं और गवर्नमेंट सेक्टर में यह सुविधा कॉल्विन, बेली या डफरिन हॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं है। ऑफिसर्स भी मानते हैं इतनी जरूरी सुविधा को काफी पहले ही शुरू हो जाना चाहिए था। फिलहाल अब कोशिश शुरू कर दी गई है और जल्द ही सफलता हाथ लगेगी।चार्ज लेते ही मैंने बेली हॉस्पिटल में कास्टली फेको सर्जरी शुरू करवाई है। अब मेरा लक्ष्य गवर्नमेंट सेक्टर में वेंटीलेटर की सुविधा मरीजों को दिए जाने की है। मेरी शासन और र्मेिडकल कॉलेज से बात चल रही है। स्टाफ मिल जाएगा तो बेली हॉस्पिटल में रखे हुए वेंटीलेटर वर्क करने लगेंगे।डॉ। आभा श्रीवास्तव, एडिशनल डायरेक्टर, हेल्थ डिपार्टमेंट

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