पेमेंट गेटवे से लेकर आज बैंकिंग सर्विसेज प्रोवाइड करने तक पेटीएम ने जिस तरह इस सेक्टर में अपनी जगह बनाई है वो डेफिनेटली इंडिया का सबसे प्रॉमिनेंट स्टार्टअप बन गया है। वैल्यू-एड सर्विसेज से शुरुआत करने वाला पेटीएम अगर आज खुद वैल्यूएबल है तो इसके पीछे है साफ विजन और कड़ी मेहनत...


सिक्योरिटी रही है इसकी प्रायोरिटीकानपुर। अरबों रुपये की कमाई करने वाला पेटीएम कभी सिर्फ एक छोटा सा आइडिया था, और इसे शुरु करने वाला एक छोटे शहर का लड़का।  इसकी सक्सेस ने साबित कर दिया कि अगर सपने बड़े हों तो लाइफ में कुछ भी पाया जा सकता है। अलीगढ़ के विजय शेखर शर्मा थे वो शख्स जिन्हें आया पेटीएम जैसी सर्विस शुरू करने का यूनीक आइडिया। लेकिन विजय की पेटीएम जर्नी इस फैक्ट का परफेक्ट एग्जाम्पल है कि एक सिंगल पर्सन एक सिंगल आइडिया को एग्जीक्यूट करके सोसाइटी में एक बड़ा चेंज ला सकता है।बनना चाहते थे सबीर भाटिया जैसे
विजय की स्कूलिंग एक ऐसे स्कूल से हुई है, जहां बच्चों के पैरों में चप्पल तक नहीं होती थी। दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन के वक्त तक उन्हें इंग्लिश भी नहीं आती थी। लेकिन उनका हौसला कभी कम नहीं हुआ। कॉलेज में जब वो सिलिकॉन वैली के बारे में पढ़ रहे थे तभी उनके मन में आया कि क्यों न कुछ बड़ा काम किया जाए। विजय, हॉटमेल के फाउंडर सबीर भाटिया की तरह बनना चाहते थे। लक्ष्य स्पष्ट था, इसलिए कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने अपनी फर्म की शुरुआत भी कर दी थी। विजय की इंस्पायरिंग जर्नी है पेटीएम


कॉलेज के दिनों में विजय शेखर शर्मा अपने बैचमेट हरिंदर ठक्कर के साथ अपनी खुद की फर्म 'एक्स एस कॉरपोरेशन' चलाते थे। यह फर्म वेब गाइड सर्विसेज देने का काम करती थी। इस दौरान एक इनवेस्टर से इन्हें 20,000 रुपये भी मिले। कुछ वक्त इसे चलाने के बाद,1999 में उन्होंने इस कंपनी को आधे मिलियन डॉलर में बेच दिया। इसके बाद विजय ने कुछ वक्त तक एक कंपनी में काम किया। लेकिन जल्द ही वो उससे बोर हो गए।जब पार्टनर से छोड़ा बीच में साथफिर दो लाख रुपयों के इनवेस्टमेंट के साथ उन्होंने वन 97 कम्यूनिकेशंस नाम की एक कंपनी शुरू की जो मोबाइल वैल्यू-एडेड सर्विसेज प्रोवाइड करती थी। पर इस बीच उनके पार्टनर ने उनका साथ छोड़ दिया। उनका बिजनेस लगभग बंद हो गया था पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 2010 में उन्होंने मोबाइल वॉलेट पेटीएम लॉन्च किया। इसके बाद तो बस पेटीएम सर्विस सेक्टर में लीडिंग नेम बनता चला गया और आज कई सेक्टर्स में यह एंट्री कर चुका है। ऐसा रहा सफर : नहीं थे पैसे, पर साथ थी हिम्मत

विजय शेखर शर्मा कहते हैं कि एक वक्त तो वह 14 रुपये बचाने के लिए 14 किमी तक पैदल चलते थे ताकि खाने के लिए पैसे बचा सकें। एक बार तो उन्होंने पेटीएम के 40 परसेंट शेयर्स बेच दिए थे ताकि कैश इकट्ठा कर सकें। उनका कहना है कि इस काम में पैसे की कमी ने हमेशा प्रॉŽलम्स क्रिएट की पर अपने ड्रीम और पैशन का पीछा करते हुए उन्होंने हमेशा आगे कदम बढ़ाना जारी रखा। इसलिए है पेटीएम सक्सेसफुलसेफ एंड सेक्योर : विजय शेखर शर्मा का कहना है कि उनके लिए बेसिक प्रायोरिटी थी कस्टमर सैटिस्फैक्शन और उनका ट्रस्ट। एक वक्त पर पेटीएम ने अपना मैक्सिमम इनवेस्टमेंट वेबसाइट की सिक्योरिटी में ही लगा दिया। क्विक और ईजी सर्विसेज : इन दो वजहों से यह लोगों के बीच ज्यादा पॉपुलर हुआ। यूज करने में ईजी और इसकी फास्ट सर्विस ने हमेशा लोगों को अट्रैक्ट किया है। कैशबैक की शुरुआत : इंडिया में अगर किसी ने कैशबैक का ट्रेंड शुरू किया है, तो उसका पूरा क्रेडिट पेटीएम को जाता है। यह एक यूनीक आइडिया था, जिसकी वजह से लोगों के वॉलेट में हमेशा कुछ न कुछ अमाउंट रहता ही था। रिचार्ज से बैंक तक, इतना एक्सपैंड हुआ बिजनेसऑनलाइन रिचार्ज : मोबाइल, डीटीएच, डेटा कार्ड, लैंड लाइन, इलेक्ट्रिसिटी, इनकम टैक्स, गैस, मेट्रो और फाइनेंशियल सर्विसेज।
ऑनलाइन रीटेल : पेटीएम ई-कॉमर्स सेक्टर में भी इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर डेली यूज प्रोडक्ट्स तक पेटीएम सब कुछ सेल कर रहा है। पेटीएम वॉलेट : यह वॉलेट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अप्रूव्ड है और इंडिया का सबसे बड़ी वॉलेट सर्विस है। 90 परसेंट रिपीट यूजर्स- शॉपिंग कैटेगरी में यह गूगल प्ले स्टोर में नंबर वन पोजीशन पर आ चुका है और एप्पल स्टोर के यूटिलिटी सेक्शन में नंबर वन की पोजीशन पर रह चुका है। - पेटीएम के पास 90 परसेंट रिपीट यूजर्स हैं। - हर महीने इसके 15 मिलियन से भी ज्यादा विजिटर्स होते हैं। - और इसके 10 मिलियन से भी ज्यादा यूनीक यूजर्स हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh