इस बार खूब होगी मां लक्ष्मी की कृपासौभाग्य का दिन है अक्षय तृतीय का पर्व दोपहर का मुहूर्त है सबसे उत्तम

MEERUT: अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय पक्ष को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया ही एक शुभ पर्व है, जिसका फल कभी क्षय ही नहीं होता है। भारतीय काल गणना के अनुसार मुख्य रुप से चार स्वयंसिद्ध मुहूर्त हैं। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार शुक्रवार को मां लक्ष्मी का पर्व इस दिन को इस बार और भी फलदायी बना रहा है। तो आइए जानते हैं कि शुक्रवार को कौन से शुभ मुहूर्त कैसे होगा फलदायी।

सौभाग्य का दिन है

- चार स्वयंसिद्ध अभिजीत मुहूर्त में दशहरा, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया एवं दीपावली के पूर्व की प्रदोष तिथि है।

- अक्षय तृतीय से ही त्रेतायुग का आरंभ हुआ था।

- इस दिन परशुराम, नर-नारायण एवं भगवान एवं हयग्रीव का अवतार हुआ था। इसलिए यह शुभ दिन माना जाता है।

- साल की सारी तिथियां क्षय हो सकती हैं, लेकिन यह नहीं।

- स्वयंसिद्ध मुहूर्त होने के चलते सबसे अधिक विवाह भी इसी ही दिन होते हैं।

- वर्ष में एक बार वृंदावन में श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन इसी दिन होते हैं।

दान व स्नान है महत्वपूर्ण

ज्योतिष राहुल अग्रवाल के अनुसार इस दिन दिया गया दान, किया गया हवन-जप आदि अक्षय हो जाते हैं, इसलिए इस दिन व्रत रख भगवान का यथा विधि से पूजन कर पंचामृत से स्नान कराया जाता है एवं सुगंधित पुष्प माला पहनाकर नैवेध में नर- नारायण के निमित जौ या गेहूं का सत्तू, परशुराम के निमित कमल ककड़ी एवं हृयग्रीव के निमित भीगी हुई चने दाल अर्पण की जाती है। इस दिन गंगा स्नान, समुद्र स्नान व पवित्र सरोवर में स्नान करना श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन गेंहू, चना, सत्तू, दही चावल, ईख के रस, दूध की बनी मिठाईयां, जल पूर्ण कलश, अन्न, सब प्रकार के रस, छाता आदि दान करना काफी फलदायी माना जाता है।

विवाह से जोडि़यां रहती हैं सलामत

मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर के पंडित अरुण शास्त्री के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन विवाह करने पर कोई भी दोष नहीं माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि यह दिन बेहद खास दिन होता है। इस दिन जिनका मुहूर्त सालभर नहीं निकल पाता है, ग्रहों की दशा के चलते अगर किसी तरह की बाधा आती है। तो इस दिन बिना लग्न व मुहूर्त के विवाह कर दिया जाता है। क्योंकि यह लग्न के हिसाब से भी काफी शुभ दिन है।

लक्ष्मी पूजा श्रेष्ठ है

शुक्रवार को मां लक्ष्मी का दिन है इस दिन पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार मां लक्ष्मी के निमित भी पूजा की जाती है। तभी सोने-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। कुबेर, लक्ष्मी, अष्ट लक्ष्मी, स्थिर लक्ष्मी, नित्य लक्ष्मी, गृहलक्ष्मी, दिव्य शंख, कुबेर यंत्र, दक्षिणावर्ती शंख, एकाक्षी नारियल, लक्ष्मी कारक कौड़ी, एकमुखी रुद्राक्ष, गोमती चक्र, श्वेतार्क गणपति, गौरी शंकर रुद्राक्ष, आम की लकड़ी, स्वास्तिक यंत्र आदि विधिवत उपासना की जाती है, जैसा कि लक्ष्मी तंत्र में बताया गया है कि स्वयं कुबेर ने इस साधना के माध्यम से इन दिन लक्ष्मी को अनुकूल बनाया था। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

विशेष महत्व है

इस दिन स्त्रियां अपने परिवार की समृद्धि के लिए विशेष व्रत करती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद लेकर परिवार वृद्धि की कामना करती हैं। अष्टलक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसमें घर की बहू को भी गृहलक्ष्मी कहा जाता है, उसके लिए यह तिथि अनंग साधना का दिवस है।

कौन सा मुहूर्त किस राशि के लिए

पंडित अरुण शास्त्री के अनुसार वैसे तो इस दिन दोपहर क्क्:फ्0 बजे से लेकर क् बजे तक का मुहूर्त सभी राशी के व्यक्तियों के लिए शुभ मुहूर्त है। यह वो समय है जब हर तरह के शुभ कार्य एवं धन वृद्धि व सोने की खरीदारी के लिए काफी शुभ मुहूर्त है। लेकिन विभिन्न राशियों के लिए यह दिन अलग-अलग मुहूर्त पर शुभ है।

सबसे उत्तम मुहूर्त

सुबह 6.30 बजे से लेकर 9.30 बजे का मुहूर्त वृष राशि के लोगों के लिए अति उत्तम मुहूर्त होगा।

सुबह 10.30 बजे से लेकर 12 बजे तक के मुहूर्त में मिथुन, कर्क राशि के लिए उत्तम समय है।

12 बजे से दोपहर तीन बजे तक का समय मेष, सिंह, धनु, कन्या राशि के लिए, दोपहर 3.30 से 5.39 बजे तक का समय तुला राशि के लिए महत्वपूर्ण है।

शाम 5.30 से 7.30 बजे तक का मुहूर्त वृश्चिक राशि वालों के लिए अति उत्तम है।

अत्यधिक शुभ है दोपहर का समय

ज्योतिष राहुल अग्रवाल के अनुसार किस राशि के लिए यह दिन कितना उत्तम रहेगा आइए जानते है।

-कर्क, वृश्चिक, सिंह एवं मीन राशि के लिए यह दिन अत्यधिक उत्तम है। इस दिन हर कार्य संभव होगा।

- धुन, मकर, कुंभ राशि वालों के लिए यह दिन शुभ है। इस दिन वह अपने कारोबार की शुरुआत कर सकते है।

- तुला, कन्या, मेष व मिथुन राशि वालों के लिए दिन मिलाजुला रहेगा।

सारे शुभ कर्म फलित होते है

स्वयं गोरखनाथ ने कहा था कि इस दिन अगर मंत्र का उच्चारण भी सही न हो तो भी सारे शुभ कर्म आवश्यक रुप से फलित होते हैं। महर्षि वशिष्ठ, महर्षि पुलस्त्य, शंकराचार्य आदि के नाम भी अक्षय तृतीय से जोड़े जाते हैं।

पंडित अम्बिका प्रसाद मिश्रा

हर शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ है

किसी भी काम की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी व शादी विवाह जैसे काम भी इस दिन बेहिचक किए जा सकते हैं। इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीदारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।

पंडित भारत ज्ञान भूषण

कैसे करे पूजा

व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। घर की सफाई व नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र जल से स्नान करें। घर के किसी पवित्र स्नान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। संकल्प करने पंचामृत से भगवान को स्नान कराए। सुगंधित पुष्प माला पहनाएं। जौ, गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पण करें। अंत में तुलसी जल चढ़ाकर भक्तिपूर्वक आरती करनी चाहिए, इसके पश्चात उपवास रहें।

ज्योतिष राहुल अग्रवाल

Posted By: Inextlive