Jamshedpur: कोल्हान यूनिवर्सिटी केयू में टीचर्स की कमी है. फिलहाल यूनिवर्सिटी में सिर्फ दो प्रोफेसर हैं. इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है स्टूडेंट्स को. केयू में पीएचडी के लिए वर्ष 2012 में इंट्रेंस एग्जाम हुआ था. इसके बावजूद अब तक रजिस्ट्रेशन कम्पलीट नहीं हो सका है. ऐसे में पीएचडी करने की ख्वाहिश रखने वालों प्रॉब्लम हो रही है.

मिनिमम क्राइटेरिया भी पूरा नहीं
केयू में 22 पीजी डिपार्टमेंट्स खुलने थे, लेकिन अब तक केवल 20 ही खुले हैं। अब तक सोसियोलॉजी व होम साइंस में पीजी की पढ़ाई स्टार्ट नहीं हुई है। हालांकि, केयू की वेबसाइट पर केवल 19 का ही जिक्र है। यूजीसी के रूल के अनुसार एक यूनिवर्सिटी में कम से कम 5 डिपार्टमेंट व 5 प्रोफेसर होने चाहिए। केयू में 20 डिपार्टमेंट तो खोल दिए गए, लेकिन, लेकिन सभी में प्रोफेसर की कमी दूर नहीं की जा सकी। केयू द्वारा मिनिमम 5 प्रोफेसर के क्राइटेरिया को भी फुलफिल नहीं किया जा सका है। फिलहाल केयू के पास केवल दो ही प्रोफेसर हैैं, जिनमें डॉ एसएस रजी व डॉ सनत मंडल शामिल हैं।

PhD के लिए हैं 200 students
यूनिवर्सिटी के टेबुलेटर एससी दास से मिली जानकारी के मुताबिक लास्ट इयर हुए इंट्रेस एग्जाम में करीब 200 स्टूडेंट्स पास हुए थे। हालांकि अभी एग्जैक्ट फीगर यूनिवर्सिटी के पास अवेलेबल नहीं है। इसका कारण यह है कि इससे जुड़ी सारी जानकारी अभी चार डिपार्टमेंट्स के डीन के पास ही है। वहां से भेजे जाने पर ही पता चल सकेगा कि एक्चूअल पोजीशन क्या है। डीआरसी की मीटिंग हो चुकी है और उसी दिन से स्टूडेंट्स के ड्यूरेशन की काउंटिंग होगी, लेकिन जब तक पीजीआरसी की मीटिंग नहीं होगी इन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकेगा और वे अपना रिसर्च वर्क प्रॉपरली स्टार्ट नहीं कर सकेंगे।

Vacant हैं 132 posts
केयू के पास टीचर्स की क्राइसिस है। इन्फॉर्मेशन के मुताबिक केयू में 22 प्रोफेसर, 44 रीडर्स व 66 लेक्चरर्स के पोस्ट वैकेंट हैं। इन पर अप्वाइंटमेंट के लिए यूनिवर्सिटी को स्टेट गवर्नमेंट के एक्शन का इंतजार है फिर आगे की कार्रवाई होगी। फिलहाल केयू के 82000 स्टूडेंट्स के लिए केवल 382 टीचिंग स्टाफ हैं।

मामला court में pending
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटिज-कॉलेजेज टीचर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट विजय कु। कहते हैैं कि फैकल्टी की बहाली के लिए स्टेट गवर्नमेंट जेपीएससी पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि 2008 में 1400 फैकल्टी का अप्वाइंटमेंट हुआ था, लेकिन उस वक्त कई गड़बडिय़ां भी सामने आयी थीं। यह मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग है।

'डिपार्टमेंट के पास टीचर्स के क्राइसिस की जानकारी है और जल्द ही इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही डिपार्टमेंट द्वारा यूनिवर्सिटी व कॉलेजेज की वैकेंसी का रिव्यू किया जाएगा और अप्वाइंटमेंट प्रोसीजर स्टार्ट किया जाएगा.'
-गीताश्री उरांव ह्यïूमन रिसोर्स मिनिस्टर, झारखंड
'जेपीएससी पर डिपेंडेंट न होकर गवर्नमेंट को यूनिवर्सिटी सर्विस कमिशन बनाना चाहिए, जिसपर अप्वाइंटमेंट की सारी जिम्मेवारी हो। सैैंक्शन व खाली पोस्ट के लिए एक फ्रेश सर्वे भी होना चाहिए, ताकि एक्चुएल सिचुएशन सामने आए.'
-विजय कुमार, वाइस प्रेसिडेंट, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटिज, कॉलेजेज टीचर्स एसोसिएशन

Report by: goutam.ojha@inext.co.in

Posted By: Inextlive