आखिर कब मिलेगी इन गड्ढों से आजादी?
- सिटी की तमाम प्रमुख सड़कों पर बने गड्ढे बन रहे जानलेवा
- आए दिन गिरकर जख्मी होते हैं बाइक सवार और राहगीर 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ सिटी की तमाम प्रमुख रोड्स पर बने गड्ढे जानलेवा बनते जा रहे हैं। आए दिन बाइक सवार और राहगीर इन गड्ढों में गिरकर जख्मी होते हैं। अप्रैल में वाराणसी-भदोही मार्ग पर जंसा के पास गड्ढे में बाइक पलटने से एक युवक की जान भी जा चुकी है। हर चुनाव में मुद्दा बनने वाली बदहाल रोड्स के दिन आखिर कब बहुरेंगे। यह स्थिति तब है, जबकि पीडब्ल्यूडी और नगर निगम को रोड सेफ्टी एंड मेंटीनेंस मद में भारी-भरकम बजट भी मिला है। चार महीना पूरा, लक्ष्य अधूरादरअसल, मार्च में पीडब्ल्यूडी के प्रस्ताव पर शासन ने सड़क अनुरक्षण मद से शहर की 15 सड़कों का कायाकल्प करने के लिए पैसा दिया था। अप्रैल में काम शुरू भी हुआ, लेकिन अपेक्षित तेजी नहीं होने से आज तक महज 40 फीसदी ही काम हो पाया। जबकि 31 जुलाई तक हर हाल में हर सड़क का इंड टू इंड निर्माण करना था।
दो विभागों की है जिम्मेदारीशहर की बड़ी सड़कों का निर्माण पीडब्ल्यूडी और लिंक रोड्स व गलियों का निर्माण नगर निगम करवाता है। रोड्स के निर्माण से पहले पीडब्ल्यूडी का स्टाफ रोड्स पर बने गड्ढों और उसपर डेली गुजरने वाले वाहनों की गिनती करता है। इसके बाद सीवीपीडी (कामर्शियल व्हेकिल पर डे) के हिसाब से रोड्स की चौड़ाई और मोटाई तय की जाती है। यानी जितना ज्यादा वाहन गुजरेंगे। सड़क उतनी ही मोटी और चौड़ी होगी।
कुछ दिन बाद ही उखड़े किनारे मई और जून में राज्य सड़क निधि से जिन सड़कों को मेंटेन कराया गया। उनके किनारे उखड़ने लगे हैं। नदेसर, तेलियाबाग, रामकटोरा, पिपलानी कटरा आदि रोड्स की हालत देखकर इसे समझा जा सकता है। रही सही कसर गेल, जलनिगम, आईपीडीएस व निजी मोबाइल कम्पनियों की खोदाई ने पूरी कर दी है। खोदाई से सड़कों की 'लाइफ' कम हो गई है। डिवाइडर भी बने जानलेवा शहर के कई प्रमुख मार्गो पर बने ब्लाइंड डिवाइडर जानलेवा बन चुके हैं। आए दिन डिवाइडर से वाहनों के टकराने की घटनाएं होती रहती हैं। इसका कारण डिवाइडर्स पर ग्लो पेंटिंग न होना है। कई मार्गो पर वीडीए के बनाए डिवाइडर पर नॉर्मल पेंट किया गया है। जिससे रात के समय चालकों को डिवाइडर दिखाई नहीं देते हैं। दावा व हकीकत में काफी अंतर- पीडब्ल्यूडी 76 करोड़ की लागत से करीब 48 किलोमीटर लम्बी 15 सड़कों का निर्माण करा रहा है।
- पैसा होने के बावजूद निर्धारित डेट बीत गई और महज छह सड़कें ही पूरी तरह से दुरुस्त हो पाई। - नगर निगम 51 करोड़ की लागत से 130 लिंक रोड्स व गलियों का निर्माण करवा रहा है। - दो महीने पहले काम शुरू, लेकिन अब तक सिर्फ गलियों में 20 फीसदी काम पूरा हुआ है। - पिछले साल 22 करोड़ खर्च कर पीडब्ल्यूडी ने गड्ढे भरने का दावा किया, लेकिन खराब गुणवत्ता की वजह से फिर स्थिति जस की तस हो गई। - सड़क बनाने के नाम पर चिन्हित जगहों पर गड्ढों की अब तक पैचिंग नहीं की गई। - कई प्रमुख सड़कों की एक लेन बनाकर शेष काम छोड़ दिया गया। - फातमान रोड पर निर्माण के दौरान टूटे मेनहोल की वजह से कई दिन जलभराव की प्रॉब्लम बनी रही। इन सड़कों पर चलना दूभर - सिगरा-महमूरगंज मार्ग - कैंट-लंका मार्ग - कैंट-लहरतारा मार्ग - मलदहिया-साजन तिराहा मार्ग - कज्जाकपुरा-आशापुर मार्ग - मंडुआडीह-ककरमत्ता मार्ग - संविवि-चौकाघाट मार्ग - शिवपुर-भरलाई मार्ग - सिगरा-माधोपुर मार्ग - अंधरापुल-कैंट मार्ग - चितईपुर-अमरा खैरा मार्ग- कबीरचौरा-बेनियाबाग मार्ग
- डीएलडब्ल्यू-चितईपुर चौराहा मार्ग
- पांडेयपुर-सारनाथ मार्ग सिटी की रोड्स पर एक नजर - 40 सड़कें हैं शहर में लोनिवि की - 111 किमी लम्बी पीडब्ल्यूडी की रोड्स - 90 रोड्स शहर में नगर निगम की - 04 साल रोड्स की होती है लाइफ - 150 से ज्यादा गड्ढे हुए चिन्हित - 27 जगहों पर ब्लाइंड कट चिन्हित ं चयनित रोड्स का निर्माण कराया जा रहा है। बरसात की वजह से कुछ दिक्कत जरूर हुई, लेकिन जल्द इंड टू इंड निर्माण पूरा कराया जाएगा। आरआर गंगवार, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी