-मेले और कार्यक्रमों के आयोजनों से गायब हो गई हरियाली, घट रही है मॉर्निग और इवनिंग वॉकरों की संख्या

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PATNA: पटना का हर्ट कहे जाने वाले गांधी मैदान से हरियाली गायब होने लगी है. मॉर्निग वॉक के लिए बनाए गए टै्रक भी बदहाल हो गए हैं. गांधी मैदान में सुबह से लेकर शाम तक पटनाइट्स घूमने आते हैं. इनकी वजह से पूरा गांधी मैदान गुलजार रहता है. सुबह टहलने के लिए हर उम्र के लोग आते हैं. शाम में लोग परिवार के साथ समय बिताने आते हैं. इतना ही नहीं पटना से बाहर के लोग भी हर दिन काफी संख्या में यहां आते हैं. यहां आने वाले लोगों की सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए की लागत से फुटपाथ, लाइटिंग, वाटर कूलर, सीसीटीवी सहित कई काम कराए गए थे. काम पूरा होने के बाद पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान नए स्वरूप में दिखने लगा था. लेकिन देखरेख के अभाव में सभी बेकार हो गए है. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने गांधी के चारों तरफ घूम-घूमकर जायजा लिया तो सरकार की ओर से कराया गया एक भी काम दुरुस्त नहीं मिला. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आज आपको गांधी मैदान की समस्याओं से रू-ब-रू कराने जा रहा है.

हरियाली

एक समय था जब गांधी मैदान के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखती थी. बीच मैदान में लगी घास लोगों को बैठने के लिए मजबूर कर देती थी. लेकिन अब गांधी मैदान में शायद ही कही घास दिखेगी. मेले और आयोजनों की वजह से घासों का वजूद गायब हो गया है. पुराने पेड़ या तो सूख गए है या गिर गए हैं. इनकी जगह नए पौधे नहीं लगाए गए है.

बदहाल ट्रैक

मॉर्निग वॉकिंग पर आने वाले लोगों के लिए नए सिरे से गांधी मैदान के चारों ओर फुटपाथ पर निर्माण कराया गया था. ताकि लोगों को कोई असुविधा न हो. देखरेख के अभाव अब यह ट्रैक चलने लायक नहीं बचा है. चूहों ने जहां-तहां बडे़-बड़े होल बना दिए हैं. यह होल इतने खतरनाक हो गए हैं कि यदि इसमें कोई गिरा तो हाथ-पैर टूट सकता है.

लाइट

गांधी मैदान को संवारने के क्रम में आधुनिक लाइटिंग की व्यवस्था की गई थी. मैदान के चारों ओर महंगी लाइट लगाई गई थी. अब स्थिति यह है कि कई पोल से लाइट गायब हो गई हैं. इससे रात में घूमने आने वाले लोगों को परेशानी होती है. लोग रात में यहां आने से कतरा रहे हैं. किसी पोल पर लाइट लगी भी है तो काम नहीं कर रही है.

पानी

गांधी मैदान में पूरे दिन लोग की भीड़ रहती है. लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर वाटर कूलर और नल लगाए गए थे. इससे गर्मी के दिनों में वॉकिंग और घूमने आने वाले लोग अपनी प्यास मिटाते थे. इस गर्मी में स्थिति खराब हो गई है. न तो नल से पानी आ रहा और न ही वाटर कूलर काम कर रहा है.

सुरक्षा

गांधी मैदान की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी लगाए गए थे. ताकि कोई आपराधिक घटना होती है तो अपराधियों को आसानी पकड़ा जा सके. लेकिन अब अधिकतर सीसीटीवी महज दिखावे का है. इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. अधिकांश सीसीटीवी खराब हो गए हैं. जिसे दुरुस्त करने को लेकर किसी जिम्मेदार का ध्यान ही नहीं है.

गंदगी

गांधी मैदान में आने वाले लोग खाने पीने का सामान साथ लाते है. खाना खाने के बाद गंदगी फैलाकर चले जाते हैं. कूड़ा कचरे को रखने के लिए भी डस्टबिन भी रखे गए हैं. लेकिन सफाईकर्मी गंदगी को उठाकर डस्टबिन न रखकर एक जगह जमा कर देते हैं. लेकिन जमा किए गए गंदगी के अंबार को हटाने की व्यवस्था नहीं की गई है.

पहले प्रशासन की ओर से गांधी मैदान का रखरखाव सही ढंग से होता था. अब यहां कोई भी चीज व्यवस्थित नहीं है. लोगों में जागरूकता का अभाव है. लोग गंदगी फैलाकर चले जाते हैं.

-संजय लालटन, पर्यावरणविद्

Posted By: Manish Kumar