सउदी अरब की वीमेन राइट एक्‍टीविस्ट मनाल ने देश में महिलाओं को ड्राइविंग करने से रोकने वाले कानून को गांधी के नमक कानून की तरह ही तोड़कर सारी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.


साल 2011 आन्दोलनों का साल रहा और इस साल के खत्म होते होते हम एक और सत्याग्रह की ओर बढ़ गए हैं. अन्ना हजारे के जनलोकपाल के आन्दोलन अलावा भी दुनिया भर में कुछ ऐसे आन्दोलन हुए हैं जिन्होने लोगों को सड़कों पर अतरने के लिये मोटीवेट किया है. हम 2011 के तीन ऐसे युवाओं की कहानी बयां कर रहे हैं जिन्होने महात्मा गांधी के नक्शे कदम पर चलते हुए अहिंसक तरीके से आन्दोलन छेड़कर सारी दुनिया में खलबली मचा दी. इजिप्ट में तख्ता पलट हुआ तो सउदी अरब में महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन जोर पकड रहा है. अपने देश में भी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद अब सबकी निगाहें इरोम शर्मिला पर हैं. महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व अहिंसा दिवस का यह साल 2011 इतिहास में अहिंसक आन्दोलनों के लिये याद किया जाएगा. Wael Ghonim


सउदी अरब की वीमेन राइट एक्टीविस्ट मनाल ने भी देश में महिलाओं को ड्राइविंग करने से रोकने वाले कानून को गांधी के नमक कानून की तरह ही तोड़कर सारी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. तमाम दिक्कते झेलने के बावजूद मनाल सरकार के सामने नहीं झुकी. अरेस्ट हुईं और माफीनामा लिखना पडा लेकिन तब तक वह सउदी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी थीं. उन्होंने 2011 विमेन ड्राइविंग कैंपेन "Teach me how to drive so I can protect myself" के जरिए देश की महिलाओं को काले कानून का विरोध करने के लिए मोटीवेट किया. मनाल ने फेसबुक पर महिलाओं से अपील की कि महिलाओं को वाहन न चलाने देने वाले कानून पर पाबंदी के खिलाफ उन्हें सड़कों पर गाड़ियां लेकर निकलना चाहिए. इस अपील के बाद मनाल को गिरफ्तार कर लिया गया, माफीनामा लिखवाया गया और उनके इंटरनेट इस्तेमाल पर पाबंदी भी लगा दी गयी. तब तक मुहिम आंदोलन की शक्ल ले चुकी थी. उनकी अरेस्ट के विरोध में देश के कई हिस्सों में महिलाओं ने गाड़ियां चलायीं और उसकी तस्वीरें इंटरनेट पर पोस्ट कर दीं.आखिरकार सउदी अरब की सरकार और शूरा ने महिलाओं की मांगें मानने और उन्हें रिप्रेजेंटेशन देने की प्रॉसेस शुरू कर दी है. Irom Chanu Sharmila

मणिपुर की लड़की इरोम शर्मीला ने 2001 में यह कसम खायी कि वह अपने राज्य से ‘आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट’ को हटाए जाने तक अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी. उसने यह भी कसम खायी कि जब तक यह एक्ट नहीं हटता वो अपनी माँ से नहीं मिलेगी. यह एक्ट (Armed Forces Special Power Act ) आर्म्ड फोर्सेज को किसी भी व्यक्ति को बिना वारन्ट पकडने, पूछताछ करने और यहां तक कि गोली मारने का भी अधिकार देता है.2004 में मणिपुरी महिलाओं ने फोर्सेज की कथित ज्यादतियों से तंग आकर कपडे उतार कर असम रायफल्स के हेड क्वार्टर पर नग्न प्रदर्शन किया. वे एक बैनर लिए थी जिस पर लिखा था "इंडियन आर्मी , रेप मी". इस इंसीडेंट ने इंटरनेशनल मीडिया का ध्यान पहली बार मणिपुर की ओर खीचा था.इसके बाद से वहां न जाने कितने ही प्रदर्शन हुए हैं. इंडियन गवर्नमेंट ने 2004 में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीवन रेड्डी को जांच के आदेश दिए. 2005 में उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौपी जिसमे एक्ट को हटाने कि जोरदार सिफारिश क़ी गयी मगर सरकार ने रिपोर्ट को ठन्डे बस्ते में डाल दिया.इस सबके बीच शर्मिला ने अपनी कसम वापस नहीं ली. 2001 से अब तक उसने अन्न जल ग्रहण नहीं किया है. पिछले दस सालों में वह अपनी माँ से कभी नहीं मिली. हर साल वह ‘आत्महत्या के प्रयास’ में गिरफ्तार कर ली जाती है. अस्पताल के हाई सिक्योरिटी वार्ड़ में पड़े पड़े अब उसके शरीर के कई अंग बेकार होने लगे है. उसे नाक में एक नली डाल कर पोषक तत्वों द्वारा जिन्दा रखा जा रहा है .

2008 से इम्फाल में हर रोज कुछ महिलाएं इंफाल के कंगला फोर्ट पर इकठ्ठा होकर प्रदर्शन करती है और शर्मीला को उसके सत्यागृह में सहयोग देतीं है. 

Posted By: Divyanshu Bhard