- गंगाजल देने से पहले जल निगम करना चाहता है अंतिम जांच

- जल निगम ने बाहर से मंगाए हैं इक्यूपमेंट

Meerut : टेस्टिंग के लिए इक्यूपमेंट न होने के कारण शहरवासियों को गंगाजल मिलने में देरी हो रही है। जल निगम शहरवासियों को गंगा जल देने से पहले अंतिम गंगाजल की अंतिम जांच करना चाहता है। जिससे लोगों को शुद्ध गंगाजल मिल सके। जल निगम ने गंगाजल की जांच करने के बाहर से इक्यूपमेंट मंगाए हैं।

2011 में होना था प्रोजेक्ट पूरा

शहरवासियों को गंगाजल देने का प्रोजेक्ट 2011 में पूरा होना था। जबकि 2008 में इस पॉयलेट प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था। अधिकारियों की माने तो लाइन बिछाने के लिए मिलने वाली परमिशन ने इस प्रोजेक्ट में देरी कर दी।

परमिशन में लगाई देरी

एनएच-58 पर जब जल निगम द्वारा पाइप लाइन बिछाने की बात आई तो एनएचएआई से परमिशन मांगी गई। लेकिन एमएचएआई ने परिमशन देने में देरी कर दी। वहीं मलियाना रेलवे लाइन में रेलवे ने परमिशन देने में देरी लगाई।

780 किमी है लाइन

जल निगम ने शहर में लोगों को पीने के लिए गंगाजल देने के लिए 780 किमी लंबी लाइन बिछाई है। जिसमें 21 किमी बड़ी लाइन बिछाई गई है।

341.3 करोड़ रुपये हुए खर्च

पूरी गंगाजल परियोजना को पूरा करने में जल निगम ने 341.3 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। विभाग की माने तो पांच साल में हुए देरी से प्रोजेक्ट की लागत नहीं बढ़ी है।

भोला की झाल पर ट्रीटमेंट प्लांट

जल निगम ने भोले की झाल पर ट्रीटमेंट प्लांट लगा रखा है। इस ट्रीटमेंट प्लांट में 100 मिलियन लीटर डेली पानी का जांचा जा सकता है।

अंत तक मिलने की उम्मीद

शहरवासियों को गंगाजल इस माह के अंत तक मिल जाएगा। अभी कोई डेट निश्चित नहीं की गई है। गंगाजल प्रोजेक्ट का काम पूरा हो गया है। बस उसकी लॉस्ट टेस्टिंग करनी है। कुछ इक्यूपमेंट आने हैं। उनके आते ही टेस्टिंग कर गंगाजल शहरवासियों को देना शुरू कर दिया जाएगा।

केपी सिंह, अधीक्षण अभियंता जल निगम

Posted By: Inextlive