- बनारस में गंगा में दिनों दिन कम होता जा रहा है पानी, प्रवाह भी पड़ रहा धीमा

- बांधों में रोक कर करीब 4 हजार क्यूसेक पानी की रोजाना दिल्ली हो रही सप्लाई

VARANASI:

बनारस में दिनों दिन दुबली रही गंगा की हालत अब खराब है। ये हाल तब है जब गर्मी की शुरूआत हुई है। दुबली होने का ही नतीजा है कि गंगा का घाटों से नाता भी धीरे-धीरे छूट रहा है। मगर शॉकिंग फैक्ट ये है कि गंगा में पानी की ये कमी यूं ही नहीं है। रोजाना गंगा से करोड़ों लीटर पानी का दोहन हो रहा है। क्वॉन्टिटी में हजारों क्यूसेक से अधिक का ये पानी सिर्फ दिल्ली को प्यास बुझाने के लिए भेजा जा रहा है। अगर ये पानी डायरेक्ट गंगा में बना रहने दिया जाए तो गंगा की हालत इतनी खराब नहीं होगी, जितनी अभी नजर आती है। पर्यावरणविदें ने तो यहां तक कह लिया है कि यदि हाल रहा तो फ्यूचर में गंगा के सूखने का डर है।

बैराज से निकाल रहे पानी

गंगा पर लम्बे समय से रिसर्च कर रहे रीवर एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि हरिद्वार स्थित भीम गोडा बैरेज में दस हजार क्यूसेक पानी जमा होता है। इसमें से लगभग चार हजार पानी दिल्ली को पीने के लिए डेली भेजा जाता है। जबकि उसी बैरेज से पश्चिमी वाहिनी नहर को भी लगभग दो हजार क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए सप्लाई होती है। दूसरी ओर बुलंदशहर के पास स्थित नरौरा डाउन स्ट्रीम में भी सौ क्यूसेक पानी जमा किया जाता है जिसका दूसरे काम में इस्तेमाल हो रहा है।

बेसिन एरिया में भी दोहन

इन सबके अलावा गंगा बेसिन से भी पानी निकाला जा रहा है। हजारों समर्सिबल व ट्यूबवेल के जरिए पानी रोज निकलता है जिसको काउंट कर पाना असंभव है। इस तरह एक तरफ जहां गंगा के पानी को बांधों में रोका जा रहा है वहीं इसका हर लेवल पर लगातार दोहन भी हो रहा है। इससे गंगा के जलस्तर पर काफी प्रभाव है। अब गर्मी आने पर ये प्रभाव नजर आ रहा है क्योंकि अब बांधों से पानी छोड़ने की बजाय उसे स्टोर करने पर जोर है ताकि उसका कॉमर्शियल यूज किया जा सके। ये स्थिति काफी खतरनाक है।

गंगा नदी मनुष्य के सामान है। सीधा सा एग्जाम्पल है कि यदि किसी आदमी के बॉडी से छह लीटर ब्लड में से पांच लीटर ब्लड निकाल लिया जाए तो उसकी हालत तो दुबली-पतली होगी ही। सेम कंडीशन गंगा पर भी अप्लाई होता है। गंगा से हर रोज लाखों क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर गंगा में पानी के आने के सोर्सेज पर हमने डैम बना दिये हैं। गंगा की हालत तो खराब होनी ही है।

-प्रो। यूके चौधरी, रीवर एक्सपर्ट, बीएचयू

गंगा में पानी की कमी से इसका फ्लो काफी कम हो चला है। रीवर बेल्ट में सिल्ट जमा होने से गंगा सिकुड़ रही है। अब जरूरत है कि गंगा का इस खराब स्थिति से उबारा जाये नहीं तो कुछ नहीं बचेगा। गंगा को बचाने के लिए राजनेताओं को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी। पब्लिक को भी आगे आने आना होगा। पब्लिक का नेताओं से कहना होगा कि जो नेता अपने एजेंडा में गंगा का इश्यू नहीं रखता है वह बनारस की रक्षा नहीं कर सकता।

-प्रो। बीडी त्रिपाठी, पर्यावरणविद्, बीएचयू

गंगा नदी नहीं हमारी मां भी है। इनके जल से हम अपना घर पवित्र रखते है। इसलिए हमे आगे बढ़कर गंगा की अविरलता को बरकरार रखना होगा।

-अंकित सिंह लंका

बाढ़ जब आती है तो गंगा ऊफान पर होती है। उस समय गंगा को स्थिर रखने के लिए गर्वमेंट कुछ नहीं करती है। लेकिन जब गर्मी आता है तब गंगा से पानी क्यों निकाला जाता है।

-इंतेखोब खान, गोदौलिया

Posted By: Inextlive