- पेयजल निगम ने तैयार की डीपीआर

- नदियों की स्वच्छता के लिए बनाए जाएंगे एसटीपी

DEHRADUN: उत्तराखंड में भी गंगा मैली है. अधिकतर नदियां पॉल्यूटेड होकर गंगा में मिलती हैं. ऐसे में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से आंकड़े शासन में रखे गए तो शासन स्तर से नदियों की स्वच्छता को लेकर पेयजल निगम से सर्वे कराया गया. सर्वे के बाद निगम की ओर से नौ नदियों की डीपीआर बनाकर शासन को सौंपी गई है. इन नदियों की स्वच्छता के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने और सीवर लाइन बिछाए जाने का काम किया जाएगा.

गंगा पर चिंता

एनजीटी की फटकार के बाद उत्तराखंड में गंगा की सफाई पर फोकस हुआ. शासन स्तर से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी गई. इसके बाद पेयजल निगम को आगे का काम सौंप दिया गया. निगम की ओर से राज्यभर में करीब छह माह तक सर्वे किया गया. ऐसी जगहों को देखा गया जहां नदियों में गंदगी गिर रही है. सीवर और नालों का पानी नदियों में पहुंच रहा है.

गंगा हो रही मैली

दून सहित अन्य जगहों की नदियां गंगा में मिलकर उसको मैला कर रही हैं. साथ ही नाले भी सीधे गंगा में गिर रहे हैं. हालांकि गंगा की सफाई के लिए काम पहले से भी चल रहा है. इसके बावजूद कुछ ऐसे प्वाइंट छूट गए थे जो पेयजल निगम ने इस बार अपनी डीपीआर में शामिल किए हैं, ताकि गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ रखा जा सके.

नौ नदियों में गिर रहे 41 नाले

इन नौ नदियों में 41 नाले गिर रहे हैं. इनमें दून में सुसवा में 5, नैनीताल कोसी में 1, उधमसिंहनगर कल्याणी में 22, उधमसिंहनगर भेला में 2, उधमसिंहनगर गोला किच्छा में 6, उधमसिंहनगर ढेला में 3, उधमसिंहनगर सितारगंज में 1, उधमसिंहनगर पिलाखर में 1 नाला गिर रहा है. जिनके कायाकल्प के लिए 574 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है.

ऐसे हो रही गंगा मैली

दून की रिस्पना और बिंदाल नदियां मोथरोवाला के पास सुसवा नदी में मिलती हैं और फिर यह सुसवा नदी बनकर बहती है. वहीं मालदेवता से आने वाली सौंग नदी से सुसवा लच्छीवाला में मिलती हैं. फिर ये रायवाला में गंगा से मिल जाती है. इनके पॉल्यूटेड होने के कारण गंगा भी मैली हो रही है.

हो रही वन्य जीवों की मौत

बात सिर्फ गंगा के मैले होने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि रायवाला के पास ये पानी बेहद गंदा और दुर्गधभरा हैं. इस गंदे पानी को पीकर लगातार जंगली जानवरों की मौत हो रही है. इससे वाइल्ड लाइफ विभाग भी परेशान है. अधिकारी लगातार पेयजल निगम के अधिकारियों से बात कर रहे हैं कि कैसे पानी स्वच्छ हो और जानवरों के जीवन को बचाया जा सके.

दून के लिए 53 करोड़ 96 लाख की डीपीआर

दून की नदियों की सफाई के लिए 53 करोड़ 96 लाख रुपये की डीपीआर पेयजल निगम ने तैयार की है. जिससे यहां तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे, जिनकी क्षमता 7.5 एमएलडी होगी.

डीपीआर में रखे हैं ये नौ प्वाइंट

नदियों के नाम और बजट (करोड़ों में)

दून के सुसवा संगम के लिए- 53.96 करोड़

हरिद्वार से सुल्तानपुर तक गंगा के लिए काम

नैनीताल की कोसी नदी के लिए 5.17 करोड़

उधमसिंहनगर की कल्याणी नदी के लिए- 390.71 करोड़

उधमसिंहनगर की भेला नदी के लिए- 19.35 करोड़

उधमसिंहनगर की गोला किच्छा नदी के लिए- 18.34 करोड़

उधमसिंहनगर की धेला नदी के लिए 12.12 करोड़

उधमसिंहनगर की नंधोर नदी के लिए- 24.34 करोड़

उधमसिंह नगर की पिलाखर नदी के लिए- 50.85 करोड़

कुल 41 नालों के लिए- 574.85 करोड़

कुल बनाए जाएंगे एसटीपी- 7

नदियों की स्वच्छता को लेकर डीपीआर तैयार कर ली गई है. ताकि नालों की गंदगी को नदियों में गिरने से रोका जा सके और गंगा सहित अन्य नदियों को स्वच्छ रखा जा सके. साथ ही वन्यजीवों के जीवन को बचाने के लिए काम किया जा रहा है.

- एससी पंत, जीएम, पेयजल निगम

Posted By: Ravi Pal