खुलासा: पटना में गंगा हो गई मैली गंगाजल न पीने न नहाने लायक
PATNA : 'गंगाजल' शब्द आते ही हमारा मन धार्मिक आस्था के समंदर में गोते लगाने लगता है। लेकिन अब यह किसी परीकथा का हिस्सा मात्र हो सकता है। बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मई, 2019 में पटना के गंगा घाटों की रिपोर्ट यह बात स्वीकार कर लेने को मजबूर कर देता है। इस रिपोर्ट में बिहार में प्रवाहित होने वाली गंगा व अन्य प्रमुख नदियों के 103 सैंपल प्वाइंट शामिल है।
मात्र तीन सैंपल संतोषजनक इस सैंपल रिपोर्ट में पटना जिला के 14 स्टेशन को शामिल किया गया है। इसमें पीपापुल, दानापुर , मालसलामी पटना सिटी और केवला घाट, फतुहा का वाटर क्वालिटी संतोषजनक पाया गया। हर पॉल्यूटेंट की हुई जांचसर्वे टोटल कॉलीफार्म और फेकल कॉलीफार्म के मानकों पर किया गया। कॉलीफार्म का अर्थ बैक्टीरिया के सम्मिश्रण से है और फेकल कॉलीफार्म में मल-मूत्र आदि शामिल है। जबकि टोटल कॉलीफार्म में इसके अलावा अन्य बैक्टीरिया के कारण पानी में मौजूद प्रदूषक को इंगित करता है।
ऑक्सीजन की कमीपानी में ऑक्सीजन की मात्रा का अध्ययन शामिल किया गया है। इसमें नियम से यह मात्र छह मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। 14 में से 11 घाटों में यह आठ से अधिक पाया गया। कुर्जी घाट में यह 8.1, गांधी घाट में 6.5, कच्ची दरगाह, बिदुपुर में 9.0, त्रिवेणी घाट में 7.6, बाढ़ में 8.2 पाया गया।
प्रदूषण कई गुणा बढ़ गया डॉ आरके सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2016 के मार्च महीने तक वे स्वयं गंगा की वाटर क्वालिटी जांच करते थे। तब पटना के विभिन्न घाटों पर फेकल कॉलिफार्म सामान्य से लाखों गुणा अधिक था। जबकि यह 500 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) से अधिक नहीं होना चाहिए था। इन जगहों पर मैली है गंगा कुर्जी घाट, पटना गांधी घाट, एनआईटी गुलबी घाट गायघाट त्रिवेणी घाट, फतुहां कच्ची दरगाह, बिदुपुर रोड बख्तियारपुर-ताजपुर रोड महादेव स्थान, मोकामा राजेंद्र ब्रिज, सिमरिया घाट मोकामा बाढ़, पटना