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PATNA : 'गंगाजल' को शुद्धता का प्रतीक माना जाना अब बीते जमाने की बात हो गई है। पटना में गंगा का पानी पीने लायक नहीं बचा है। यह खुलासा बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से किए गए सैंपल सर्वे में हुआ है। बोर्ड ने वर्ष 2017-18 के दौरान बिहार में बह रही गंगा के पटना सहित 80 लोकेशन का सैंपल सर्वे कराया। इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सर्वे में पाया कि किसी भी लोकेशन का पानी पीने लायक नहीं है। कई स्थानों पर तो गंगा जल की प्रदूषण की मात्रा भयावह स्थिति में है।

दो स्तरों पर किया गया सर्वे

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गंगा के 80 लोकेशन पर दो स्तरों पर सर्वे किया। इसमें टोटल कॉलीफार्म और फेकल कॉलीफार्म के दो मानकों पर सर्वे किया गया। कॉलीफार्म का अर्थ बैक्टीरिया के सम्मिश्रण से है। फेकल कॉलीफार्म में मल-मूत्र आदि शामिल है। जबकि टोटल कॉलीफार्म में मल- मूत्र के अलावा अन्य प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया का सम्मिश्रण पानी में मौजूद प्रदूषक तत्वों को इंगित करता है।

मालसलामी में है सबसे ज्यादा प्रदूषण

गंगा के कुल 80 लोकेशन पर प्रदूषण का स्तर जांचा गया। पटना के 15 लोकेशन की बात करें तो गंगा जल सर्वाधिक प्रदूषित अवस्था में पाया गया। सर्वे में मिले आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। इसमें पटना सिटी का मालसलामी एरिया टोटल कॉलीफार्म के मामले में सर्वाधिक प्रदूषित पाया गया। यहां फेकल कॉलिर्फाम की मात्रा 34000 जबकि टोटल कॉलिफार्म की मात्रा 1,70,000 पाया गया। पुनपुन नदी के पास के रेल ब्रिज के सामने फेकल कॉलीफार्म की मात्रा 79000 जबकि 13,0000 टोटल कॉलिफार्म पाया गया।

पटना जिले के इन स्थानों पर हुआ सर्वे

दानापुर, पीपापुल के पास

कुर्जी के पास

गुलबी घाट

गांधीघाट, एनआईटी

गायघाट

मालसलामी, पटना सिटी

त्रिवेणी घाट, फतुहा

केवाला घाट, फतुहा

मोकामा, महादेव स्थान

मोकामा, राजेंद्र ब्रिज के पास

उमानाथ घाट, बाढ़

एनटीपीसी वाटर टैंक के पास, बाढ़ (दो स्थानों पर)

पटना- फतुहा रोड ब्रिज (दो स्थानों पर)

आरटीआई में किया गया था सवाल

यूं तो गंगा में वाटर क्वालिटी की जांच के लिए सैंपलिंग आदि का काम होता रहता है लेकिन इस संबंध में अपडेटेड रिपोर्ट क्या है? इसे लेकर वैशाली के ग्राम गाजीपुर निवासी रंजीत पंडित ने आरटीआई के तहत गंगा के प्रदूषण पर जानकारी मांगी थी। उन्होंने बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से सवाल किया कि पेयजल लिए गंगा नदी के जल का सैंपल सर्वे की अपडेटेड रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गंगा के 80 लोकेशन का सैंपल सर्वे रिपोर्ट उपलब्ध कराया है।

पीने से पहले पानी की जांच जरूरी

पानी से ही अधिकांश बीमारियों होती हैं। इसलिए पीने का पानी की गुणवत्ता जांच जरूरी है। इस बारे में बिहार लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) में संयुक्त सचिव दयाशंकर मिश्रा ने कहा कि क्वालिटी जांच करने के बाद पानी पीना उचित है। क्योंकि पानी में कई सोडियम, नाइट्रेड, आर्सेनिक आदि कई प्रकार के दूषित तत्व हो सकते हैं।

कितनी मात्रा है सेफ

यदि पीने के पानी की बात करें तो इसमें एफसी यानि फेकल कॉलीफार्म की मात्रा शून्य होना ही आर्दश है। लेकिन ऐसा नहीं है तो वह पानी पीने लायक नहीं माना जा सकता है। जबकि बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सैंपलिंग में यह पाया गया है कि पटना के विभिन्न लोकेशन पर फेकल कॉलीफार्म औसतन 2000 या इससे अधिक है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि यहां का पानी पीने लायक तो दूर नहाने लायक तक नहीं है। क्योंकि इसमें बैक्टीरियल कंटैमिनेशन अप्रत्याशित रूप से ज्यादा है।

सामान्य से दिखने वाले पानी में कई प्रकार के दूषित तत्व हो सकते हैं। यदि गंगा के किसी सैंपल स्टेशन से 1,70000 है तो यह पूरी तरह से प्रदूषित पानी है, जो पीने लायक कतई नहीं है।

दया शंकर मिश्रा, संयुक्त सचिव, पीएचईडी डिपार्टमेंट, बिहार सरकार

Posted By: Inextlive