गंगा को निर्मल करने के लिए बायोरेमेडियल विधि अपनायी जाएगी. आमतौर पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार कर नालों की गंदगी की सफाई की जाती है. अब नाले में ही गंदगी की सफाई हो जाएगी.

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PATNA : अशोक राजपथ निवासी सुभाष कुमार काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें पता चला है कि गंगा को निर्मल करने के लिए बायोरेमेडियल विधि अपनायी जाएगी. आमतौर पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार कर नालों की गंदगी की सफाई की जाती है. अब नाले में ही गंदगी की सफाई हो जाएगी. देश के कई राज्यों में बायोरेमेडियल विधि से नाले बनाने का प्रयोग सफल रहा है. हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ में गंगा के कई नालों की सफाई इस विधि से की गई है. यह पहल नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत पूरा किया गया है. अब इसकी सफलता को पटना में कार्यरूप में लाने की कोशिश है. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से खास बातचीत में सीएसआईआर के नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के डायरेक्टर डॉ राकेश कुमार ने बताया कि यह प्रोजेक्ट पर्यावरण अनुकूल है. इस विधि में मौके पर ही नाले का गंदा पानी साफ होकर नदी में गिरता है. उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलाजी के बारे में बिहार सरकार के अधिकारियों से चर्चा हुई है.

बिना केमिकल होता है सफाई
इस विधि की खासियत यह है कि इसमें मात्र माइक्रोब और पौधों के जरिये नाला की सफाई की जाती है. नाला में पानी बहाने से पहले बोकाशी बॉल का प्रयोग किया जाता है. इसमें कई प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं. यह पर्यावरण के लिए दूषित तत्वों को सोख लेता है. इससे पानी साफ हो जाता है. दूसरी भाषा में कहें तो बायोरेमेडियल विधि एक प्रकार का ऐसा सिस्टम है जिसमें गंदे तत्वों को सोखकर कार्बन डाई ऑक्साइड और पानी के रूप में आगे छोड़ दिया जाता है. यह बिल्कुल प्राकृतिक तरीका है.

साल भर में होगा तैयार
पटना में दो जगहों पर इस नई विधि से नाला तैयार किया जा रहा है. इस बारे में एनआईटी पटना के एसोसिएट प्रोफेसर ए आर काफ ने बताया कि इसके लिए राजापुर नाला और दानापुर नाला को तैयार किया जा रहा है. यह साल भर में बनकर तैयार हो जाएगा. इसकी खास बात यह है कि इसमें ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो कि प्रदूषित तत्वों को तोड़कर उसमें प्रदूषित हिस्सा को खत्म कर देते हैं. इसमें वेस्टवाटर की चेकिंग भी की जाती है. यह आइडिया यदि लागू होता है तो जल प्रदूषण पर तेजी से काबू पाया जा सकेगा.

पौधे भी करते हैं सफाई
पर्यावरण में ऐसे पौधे भी होते हैं जो कि पानी में रहते हुए उसमें मौजूद गंदगी को प्यूरीफाई करने का काम प्राकृतिक तौर पर करते हैं. नीरी के निदेशक डॉ राकेश कुमार ने बताया कि नालों में बोकाशी बॉल के अलावा पौधे भी डाले जाते हैं. इन पौधों को नाले में इस प्रकार से सेट किया जाता है कि उन पौधे से आगे पानी ट्रीटमेंट होकर आगे निकलता है. इससे पहले पानी के बहाव वाले इलाके में दो-तीन जाली लगी होती है. उससे पानी फिल्टर होते हुए इन पौधे के पास पहुंचते हैं और अंत में पानी साफ होकर नदी में गिरता है.

Posted By: Manish Kumar