कांफलु भंगोरू और खांदा बाड़ी सबसे भल छां हम पहाड़ी -पहाड़ी पहाड़ी वाई दिस वाई दिस कोलावेरी कोलवेरी डीजब गढ़वाली लिरिक्स के साथ आनंद सागर और अनिल चंदोला ने इस टिंगलिश गाने को रीजनल लैंग्वेज में कनवर्ट किया होगा तो शायद ही उन्होंने इसकी पॉपुलैरिटी के बारे में सोचा हो.


तमिल और इंग्लिश भाषा में लिखा गया कोलावेरी डी देशभर का यूथ एंथम बनने के बाद अब गढ़वाली भाषा में स्टेट एंथम बनने की तैयारी में है। महज एक हफ्ते में इस सांग के 10,000 से भी ज्यादा व्यूअर्स बनाने वाला गढ़वाली कोलावेरी डी इन दिनों दूनाइट्स के सिर चढक़र बोल रहा है।Very interseting


कई बार कुछ चीजों की शुरुआत मजाक से होती है, लेकिन अंत तक आते-आते वो चीजें बेहतर और संजीदा होती चली जाती हैं। ऐसा ही कुछ गढ़वाली कोलावेरी डी के साथ हुआ। म्यूजिक टीचर आनंद सागर का कहना है कि जितना इंट्रेस्टिंग ये गढ़वाली कोलावेरी है, उतनी ही इंटे्रस्टिंग इसे कंपोज करने की कहानी है। एक दिन मैं क्लास ले रहा था कि मजाक-मजाक में कोलावेरी को हम गढ़वाली में गाने की कोशिश करने लगे। हंसते-हंसते गाना गाया, लेकिन जब रिदम पर इसे तैयार किया तो लगा की क्यों न इसकी बेहतरीन रिर्काडिंग की जाए।

Regional rocks

गढ़वाली भाषा में एक फ्यूजन कांसेप्ट के साथ तैयार किया गया कोलावेरी डी रीजनल और रॉक म्यूजिक का परफेक्ट कांबिनेशन है.  इस फोक कोलावेरी डी में भले ही लिरिक्स गढ़वाल की ठेठ भाषा में हो, लेकिन इसका बैकग्राउंड म्यूजिक बिल्कुल लेटेस्ट और रॉकिंग है। आनंद सागर का कहना है कि इस तरह के सांग्स फोक सिंगिंग को एक अलग आयाम देते हैं या यूं कहें कि इनसे रीजनल सिंगिंग में एक्सपेरिमेंट करने में काफी मदद मिलती है। पारंपरिक गाने तो सभी सुनते हैं, लेकिन संगीत एक कलात्मक क्षेत्र है, जिसमें कुछ नया करना ही सफलता का मूल मंत्र है।जल्द बनेगा वीडियोएक ओर लोग कोलावेरी डी को यू ट्यूब पर एनजाय कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर जल्द ही इसका मजेदार वीडियो भी वेब साइट्स पर ऑन होने की तैयारी में है। फोक फ्यूजन कोलावेरी डी के गायक अनिल चंदोला का कहना है कि इन दिनों गाने के साथ प्रजेंटेशन की भी डिमांड है। ऐसे में हर गाने के साथ एक अच्छा वीडियो का होना भी बहुत जरूरी है। गाने का वीडियो शूट स्टूडियो में ही है। जल्द ही एडिटिंग टेबल से तैयार होकर ये लोगों तक पहुंच जाएगा

Posted By: Inextlive