-रेलवे का गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में भी एलएचबी कोच लगाने की तैयारी

-पुराने कोचेज के हट जाने पर बढ़ जाएगा किराया व सुविधाएं भी मिलेंगी कम

VARANASI

गरीब रथ ट्रेन में सफर करना महंगा हो सकता है। यह ट्रेन इतिहास बन जाएगी। कारण कि इस ट्रेन में लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोचेज लगाने की तैयारी चल रही है। अधिक खर्चीले होने के कारण इन कोचेज वाली ट्रेन में तब सफर करना पब्लिक के लिए महंगा साबित होगा। उन्हें गरीब रथ वाली रियायत और सुविधा नहीं मिल पाएगी। दरअसल भारतीय रेलवे में अब सिर्फ अति आधुनिक एलएचबी कोचेज का ही निर्माण हो रहा है। ऐसे में सभी ट्रेन्स में अब परंपरागत की जगह सिर्फ एलएचबी कोच ही लगाए जाएंगे। जिसके बाद किराये का बढ़ना तय बताया जा रहा है।

सुविधाएं भी पहले जैसी नहीं होंगी

जब गरीब रथ ट्रेन को चलाया गया तब उस समय की व्यवस्था के अनुरूप ही इस ट्रेन में कोच लगाए गए। लेकिन अब ये कोच परंपरागत हो गए हैं। गरीब रथ में एसी थर्ड कैटगरी का कोच भी लगता है। जिसके एक कूपे में 09 बर्थ होता है। पैसेंजर की इच्छा पर ही बेडरोल आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। गरीब रथ की रेक में चेयरकार भी लगाए जाते हैं। तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने गरीब रथ चलाया था। लेकिन जब इस ट्रेन में नये एलएचबी कोच लग जाएंगे तब इस ट्रेन में जो इस समय कम किराये में सुविधाएं मिल रही हैं वो नहीं मिलेंगी।

कैंट स्टेशन से चल रही गरीब रथ

नॉर्दन रेलवे के कैंट स्टेशन से एक गरीब रथ आनंद विहार के बीच चल रही है। जो वीक में तीन दिन संचालित होती है। वर्तमान में गरीब रथ का किराया कम है। जबकि कैंट स्टेशन से नई दिल्ली के बीच संचालित होने वाली अन्य ट्रेन्स का किराया अधिक है। इसके पीछे गरीब रथ में लगे कोचेज व सुविधाएं सबसे बड़ी वजह हैं। इनकी जगह यदि एलएचबी कोच लग जाएगा तो इसका किराया भी अधिक देना होगा।

ऐसा होता है एलएचबी कोच

- परंपरागत की अपेक्षा 1.7 मीटर ज्यादा लंबे

-पुराने कोच की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित

-हादसे के समय कोच एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते

-कोचेज में सीट और बर्थो की चौड़ाई अधिक होती है

-स्लीपर 72 की जगह 80 व एसी थर्ड में 64 की जगह 32 बर्थ

-हल्का होने के चलते ट्रैक पर प्रेशर कम

-मेंटीनेंस की जरूरत कम

वर्जन--

रेलवे में अब सिर्फ एलएचबी कोच ही बन रहे हैं। अब पुराने कोच का उपयोग बंद किया जा रहा है। ऐसे में कोचेज की लाइफ पूरा होने पर एलएचबी कोच ही लगेगा।

आरपी चतुर्वेदी, एडीआरएम, कैंट स्टेशन

Posted By: Inextlive