-यूपी 100 हेल्प में कम वसूली में रहती है ज्यादा बिजी

-102 और 108 नंबर की सेवाएं भी समय पर नहीं पहुंच पाती हैं लोकेशन पर

जब भी कोई हादसा या वारदात होती है तो सबसे पहले पुलिस और हेल्थ इमरजेंसी हेल्पलाइंस की याद आती है। पब्लिक बड़ी उम्मीद से इन हेल्पलाइंस पर कॉल करती है, लेकिन पब्लिक की उम्मीद उस वक्त धूमिल हो जाती है जब उनसे तरह-तरह के सवाल पूछे जाते हैं और फिर समय पर हेल्प नहीं मिलती है। व्यापारियों के साथ हो रही लगातार लूटपाट और बढ़ते एक्सीडेंट की संख्या से बरेली में इमरजेंसी हेल्पलाइन यूपी 100 यानि डायल 100 और हेल्थ इमरजेंसी हेल्पलाइंस 102 और 108 का राहत पहुंचाने में बड़ा रोल बनता है। इन हेल्पलेस इमरजेंसी हेल्पलाइंस को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम नायसिल ' गर्मी लगी क्या ' में व्यापारियों और महिलाओं ने जमकर अपनी शिकायतों की गर्मी निकाली।

BAREILLY: मुहिम के दूसरे दिन प्रोग्राम की शुरुआत सुबह 11 बजे गांधी पार्क से हुई, जिसमें सबसे पहले डॉ। चारू मेहरोत्रा ने कहा कि सही समय पर इमरजेंसी का लाभ न मिलना मतलब सिस्टम में खामी है। उमेश अग्रवाल ने कहा कि पुलिस को अपने व्यवहार में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत है, जिससे आम पब्लिक पुलिस से बेखौफ होकर समस्या बता सके। दिव्या सक्सेना ने कहा कि पुलिस तो काम ठीक कर रही है, लेकिन और सुधार की जरूरत है। इसी बीच शीतल सक्सेना ने कहा कि इमरजेंसी सेवाओं का लाभ पब्लिक को नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि पब्लिक को इन सबकी जानकारी नहीं है।

इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं है। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होनी चाहिए, जिससे पब्लिक को सुविधाएं मिल सके।

रवीना

डायल 100 को एक निश्चित प्वाइंट पर खड़ी रहती है, लेकिन मेरा मानना है कि इसे मोहल्ले में घूमकर भी गश्त करनी चाहिए।

चारू मेहरोत्रा

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आलमगिरीगंज स्थित रंगीलाल मार्केट में दोपहर एक बजे जब इमरजेंसी नंबर्स के रिस्पांस का सवाल उठा तो संजीव अग्रवाल बोल पड़े कि 100 नंबर की पीआरवी भीड़-भाड़ वाले इलाके में पहुंच ही नहीं पाती हैं, जिसकी वजह से पब्लिक को हेल्प नहीं मिलती है.ं पीआरवी में तैनात पुलिसकर्मी उगाही में ज्यादा लगे रहते हैं। आयुष अग्रवाल का कहना है कि जब भी कोई नई शुरुआत होती है तो कुछ न कुछ खामियां रह जाती हैं। अनिल पाटिल कहते हैं कि पीआरवी की गाडि़यां एक ही जगह खड़ी रहती हैं। जबकि इन्हें मूव करना चाहिए। गुस्से से गोपाल बोले कि उन्होंने 100 नंबर पर कॉल किया, लेकिन उनसे सवाल-जबाव होते रहे, लेकिन पौन घंटे तक पीआरवी नहीं पहुंची। शीतेश बोले कि दोनों सिस्टम जीपीएस से जुड़े हैं, लेकिन फिर भी वर्क सही से नहीं हो रहा है। मनोज का कहना है कि यूपी 100 को चेकिंग का अधिकार भी नहीं है, लेकिन फिर भी चेकिंग के नाम पर परेशान किया जाता है। विचार रखने वालों में महेश अग्रवाल, मिंटू, बृजेश अग्रवाल, संजीव अवतार, ओमबाबू वैश्य, रूपकिशोर खंडेलवाल व अन्य रहे।

इमरजेंसी नंबर पर कॉल करने पर काफी पूछताछ की जाती है, जिससे पब्लिक ही परेशान होती है और समय पर हेल्प नहीं मिल पाती है।

अनुराग रस्तोगी

यूपी 100 और 102 और 108 नंबर में फर्जी कॉल की वजह से भी प्रॉब्लम होती है। सिस्टम में कई खामियां भी हैं।

विशाल अग्रवाल

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मिशन मार्केट में करीब तीन बजे गर्मी लगी क्या में इमरजेंसी नम्बर पर चर्चा में मोहम्मद सानू ने कहा कि वह डायल 100 चलाए जाने से संतुष्ट हैं, तभी जफर अब्बास ने कहा कि 102 और 108 पूरी तरह से दिखावा है। इससे कोई फायदा नहीं है। इसी बीच सानू काजमी ने कहा कि जब से डायल 100 पुलिस शहर में वर्क कर रही है। तब से चेन स्नेचिंग छिनैती आदि की वारदातों में कमी आई है, लेकिन इमरजेंसी नम्बर 102 और 108 कभी समय पर नहीं पहुंचती है। इसी बीच राकेश ने कहा कि इमरजेंसी नम्बर का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी दौरान विनय जायसवाल ने कहा कि हमारे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की जरूरत है।

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इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं केवल दिखावा हैं। कॉल करने पर भी इमरजेंसी व्हीकल समय पर नहीं पहुंच पाते हैं।

सानू काजमी

Posted By: Inextlive