-रामगढ़ झील में पाल बोटिंग की तैयारी पूरी

-20 पैडल बोट से जल्द ही होगी शुरूआत

GORAKHPUR:

शहर के लेक व्यू का नजारा चंद दिनों में बदलने वाला है। रामगढ़ झील में बोटिंग की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। जीडीए के अधिकारी सीएम के हाथों से बोटिंग का इनॉगरेशन कराने की तैयारी में जुटे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि अभी हाल-फिलहाल पैडल वाली बोट चलाई जाएगी। लेकिन झील में पाल बोटिंग की व्यवस्था के लिए प्रपोजल तैयार कराया जा रहा है। वीसी ने बताया कि ट्रेंड गोताखारों की देखरेख में पब्लिक बोटिंग का लुत्फ उठा सकेगी।

लेक व्यू का होगा नया लुक, करेंगे सैर

रामगढ़ ताल को झील संरक्षण योजना में शामिल किए जाने के बाद से इसको नया लुक देने की कवायद चल रही है। सर्किट हाउस रोड से लेकर झील के चारो कोनों पर बांध बनाकर सुंदरीकरण का काम कराया जा रहा है। झील का आकर्षण बढ़ाते हुए इसे मुंबई मरीनड्राइव स्टाइल में डेवलप करने की योजना बनी है। शहर में घूमने-फिरने की नई जगह के प्रति लोगों का लगाव बढ़ते देखकर जीडीए ने बोटिंग शुरू कराने का फैसला लिया था। जीडीए के अधिकारियों के प्रयास से 20 नावें मंगा ली गई हैं। जल्द ही बोटिंग शुरू करा दी जाएगी।

पाल बोटिंग के लिए तैयार करा रहे प्रोजेक्ट

रामगढ़ झील में पैडल से चलने वाली बोट के अतिरिक्त पाल बोटिंग का प्रपोजल तैयार कराया जा रहा है। जीडीए अधिकारियों का कहना है कि पानी में आधा किलोमीटर तक बोट चलाने की अनुमति होगी। इसके लिए पानी में बांउड्री लाइन बना दी जाएगी। बोटिंग करने वाले लोगों के लिए लाइफ जैकेट मुहैया कराया जाएगा। उनके पानी में उतरने के पहले सभी प्रकार के सुरक्षा मानक बता दिए जाएंगे। बोटिंग करने वालों पर नजर रखने के लिए दो ट्रेंड तैराक तैनात किए जाएंगे। जो किसी भी आपदा से निपटने के लिए हरदम तैयार रहेंगे। कितना पैसा बोटिंग का लिया जाएगा। इसको लेकर मंथन चल रहा है। इसके अलावा जीडीए अधिकारियों ने झील में पाल बोटिंग शुरू कराने का फैसला भी लिया है। इस संबंध में जीडीए वीसी ने चीफ इंजीनियर से प्रोजेक्ट तैयार कराने को कहा है।

क्या है पाल बोटिंग

पाल से जुड़ी हुई नौका को बादबानी या पाल नौका कहा जाता है। यह एक ऐसी नौका होती है जिसे गति देने का प्रमुख साधन एक या अनेक पाल होते हैं। जो हवा को पकड़कर नौका को आगे चलाने में मदद करते हैं। हवा की मदद से बोट को चलाने के लिए पाल कपड़े या अन्य किसी सामग्री से बनी सतह होती है। यह वाहन, बोट या अन्य जुड़े हुए मस्तूल कहलाने वाले लंबे पाइप के सहारे लगाई जाती है। इस पाल पर जब हवा का दबाव पड़ता है तो पाल फूल जाता है। हवा के झोंके से वह नाव को आगे धकेलते चला जाता है। पाल बोटिंग के लिए कुछ लोगों को बकायदा ट्रेनिंग भी दिलाई जाएगी।

रामगढ़ झील में बोटिंग की तैयारी कर ली गई है। जल्द ही बोटिंग का शुभारंभ करा दिया जाएगा। यहां पर पाल बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है। इसको देखते हुए पाल बोटिंग को लेकर प्रोजेक्ट तैयार कराया जा रहा है। शासन से अनुमति मिलते ही पाल बोटिंग भी शुरू करा दी जाएगी।

अमित सिंह बंसल, वीसी, जीडीए

Posted By: Inextlive