शिक्षा के भगवाकरण के आरोपों के बावजूद शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश के स्कूलों और मदरसों में गीता पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है. राज्य शासन ने कक्षा पहली व दूसरी की विशिष्ट उर्दू व विशिष्ट अंग्रेजी की किताब में इसी सत्र से गीता प्रसंग का एक अध्याय जोडऩे की अधिसूचना जारी कर दी है. कक्षा तीसरी से आठवीं तक सामान्य हिंदी में गीता के प्रसंग पढ़ाए जाएंगे.


सिलेबस में संशोधनराज्य सरकार ने पाठ्यपुस्तक अधिनियम में संशोधन कर अब मदरसों में उर्दू पाठ्यक्रम में भी गीता की शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है. इस संशोधन के तहत कक्षा पहली और दूसरी की विशिष्ट उर्दू व अंग्रेजी के साथ चालू शैक्षणिक सत्र 2013-14 से ही भगवदगीता के अध्याय पढ़ाए जाने का आदेश जारी कर दिया है. राज्य शिक्षा केंद्र व मप्र मदरसा बोर्ड से संबद्ध सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए यह नियम अनिवार्य होगा. इसके साथ ही कक्षा 3 से 8 तक गीता के अध्याय सामान्य हिंदी के पाठ्यक्रम में जोड़े जाएंगे.धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में फैसला उचित नहीं
मध्य प्रदेश कैथोलिक काउंसिल के प्रवक्ता फॉदर जानी पीजे ने सरकार के फैसले के खिलाफ प्रतिक्रिया में कहा कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में यह फैसला उचित नहीं है. यदि सरकार की नीयत साफ है तो गीता के साथ बाइबिल और कुरान के भी अध्याय पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएं. मध्य प्रदेश इसाई महासंघ के संयोजक आनंद मुंटुगल ने कहा कि हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर सकते हैं. धार्मिक मामलों से सरकार को दूर रहना चाहिए, ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा है. सरकार गलत परंपरा की शुरुआत कर रही है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh