किसानों के दोस्त बने 'कानपुर के यार'
- स्टार्ट-अप के जरिए देश के गरीब किसानों की बदहाल सूरत बदलने की कर रहे कोशिश
- आईआईटी व आईआईएम पासआउट होने के बाद जॉब के बजाए स्टार्ट-अप को दी प्रायोरिटीKANPUR (13 June): कभी एशिया का मैनचेस्टर कहलाने वाला कानपुर भले ही आज इंडस्ट्रियल हब न हो, लेकिन इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को अपनाने के मामले में यह आज भी दूसरों के लिए प्रेरणा है. यहां से निकलने वाले टैलेंटेड युवा अब भी देश के अंदर और बाहर अपने आप को मिसाल के तौर पर पेश कर रहे हैं. आईआईटी खड़गपुर और आईआईएम अहमदाबाद से पासआउट कानपुर के युवाओं तौसीफ अहमद खान और आशीष राजन सिंह भी इसी कड़ी का अगला हिस्सा हैं. इन युवाओं ने मल्टीनेशनल कंपनी और लाखों रुपए की जॉब छोड़कर भारत सरकार की स्टार्ट-अप योजना के जरिए अपनी इनोवेटिव सोच को नया आयाम दिया और देश में किसानों की आय में बढ़ोतरी व उनके फाइनेंशियल स्टेटस को बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाया. इन दोनों ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर एक एप ग्रामोफोन की शुरुआत की, जो किसानों को उनकी फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए एक्सपर्ट्स की मदद से जानकारी देती है और टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट भी करती है.
नौकरी छोड़कर स्टार्ट-अप से जुड़ेतौसीफ के मुताबिक, वो पढ़ाई पूरी करने के बाद एक इनवेस्टमेंट कंपनी में अच्छे पैकेज पर जॉब कर रहे थे, जबकि आशीष भी एक कॉपोरेट कंपनी में जॉब करते थे. जॉब करते हुए हम खुश तो थे, लेकिन सैटिसफैक्शन नहीं था. इस बीच हमारे दो और साथियों निशांत वत्स व हर्षित गुप्ता भी जॉब छोड़कर कुछ इनोवेटिव करने के बारे में सोच रहे थे. हम सब मिले और फिर कुछ अलग करने के बारे में चर्चा हुई, जिसके बाद हमने ग्रामोफोन स्टार्ट-अप की शुरुआत की.
एक्सपर्ट्स देते हैं सलाह ग्रामोफोन एप किसानों को उनकी फसल, पैदावार, जमीन और एग्रीकल्चर से जुड़ी कई अहम जानकारियां मुहैया कराती है, जिसकी मदद से किसान अपनी फसल की अच्छी पैदावार को अंजाम दे सकते हैं. इसके लिए उन्होंने एक्सपर्ट्स को हायर किया, जो न सिर्फ फसल के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं बल्कि जमीन, मौसम, बीज और ऐसे तमाम पहलुओं को अच्छे से समझते हैं. इसके अलावा हमने फील्ड एग्जिक्यूटिव्स भी रखे, जिन्होंने किसानों के पास जाकर उन्हें अच्छी फसल कैसे हो, इसकी जानकारी दी. एप के साथ-साथ हमने टोल फ्री नंबर भी दिया, जिस पर हमारे लोग किसानों की हर समस्या का निदान करते हैं. 2 साल में जुड़े 20 हजार किसान2 साल पहले इस एप की शुरुआत हुई थी और अब तक इससे 20 हजार से अधिक किसान जुड़ चुके हैं. वहीं 2 हजार लोग प्रतिदिन टोल फ्री नंबर के जरिए पैदावार से जुड़ी समस्याओं का निवारण कर रहे हैं. इतना ही नहीं, इन वर्षो में ग्रामोफोन ने अपने बिजनेस को भी कई गुना कर लिया है. उसका रिसेंटली टर्नओवर 30 करोड़ का रहा है. एग्रीकल्चर के क्षेत्र में इस योगदान के लिए इन चारों छात्रों को सरकार की ओर से कई अवार्ड्स और सम्मान भी मिल चुके हैं.