एयरटेल के बाद दूसरे operators भी बढ़ा सकते हैं tariff. गला काट compaction के चलते कंपनियों ने 3जी ऑक्शंस में जमकर लगाई हैं बोलियां. घाटा पूरा करने के लिये जरूरी था यह स्टेप.


प्रिपेड कस्टमर्स की जेब पर अब और बोझ बढऩे वाला है. दरअसल देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल द्वारा प्रीपेड टैरिफ में 20 परसेंट की बढ़ोतरी के ऐलान के बाद अब दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी उसके कदम से कदम मिला सकते है. भारती एयरटेल ने शुक्रवार को सेलेक्टेड रीजंस में प्रीपेड टैरिफ्स की कीमतों में 20 से 25 परसेंट के बीच बढ़ोतरी का फैसला किया था.  मौके का था इंतजार
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एयरटेल के इस ऐलान से छोटे ऑपरेटर्स ने राहत की सांस ली है, क्योंकि वे पिछले कुछ समय से कम मार्जिन्स के चलते प्रेशर का सामना कर रहे थे. टेलीकॉम एनालिस्ट और कॉमफस्र्ट इंडिया के कंसल्टैंसी डायरेक्टर महेश उप्पल का कहना है, ‘एयरटेल का यह कदम दूसरी कंपनियों के लिए संजीवनी हो सकता है. वह इस बात का फायदा उठा सकती हैं कि जब देश की सबसे बड़ी कंपनी मार्जिन बढ़ा सकती है तो वो क्यों नहीं.’ आइडिया सेल्युलर ने एयरटेल के इस कदम को फॉलो करने से फिलहाल इंकार कर दिया है, लेकिन एक एग्जिक्यूटिव ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह काफी सोच समझकर लिया गया फैसला है. वास्तव में टैरिफ्स की कीमतें जमीन पर थीं और किसी भी ऑपरेटर के लिए इसे लंबे समय तक कायम रख पाना मुश्किल हो रहा है.’  Consumers से होगी वसूलीएक्सपट्र्स का मानना है कि गला काट कांप्टीशन के चलते कंपनियों ने 3जी ऑक्शंस में जमकर बोलियां लगाईं. भारती एयरटेल ने 3जी के लिए 12,295 करोड़ रुपए खर्च किए तो रिलायंस कम्युनिकेशन ने 8,583 करोड़ रुपए की बोली लगाई. इस कदम को वह अपने इस इनवेस्टमेंट की वसूली का उपाय समझ सकती हैं.नाकाम रहा VASएक्सपट्र्स के मुताबिक, पिछले डेढ़ सालों से ऑपरेटर्स ने वैल्यू एडेड सर्विसेज (वैस) को शुरू किया है, लेकिन यह एक्सपेक्टेड रिजल्ट्स देने में नाकाम रही. टोटल रेवेन्यू में इसका कंट्रीब्यूशन कम से कम 35 परसेंट होना चाहिए था, लेकिन कोई भी ऑपरेटर इस लेवल तक नहीं पहुंच सका. इस लिहाज से वैस उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी.

Posted By: Divyanshu Bhard