- कई खेत और मकान हो चुके नदी में विलीन

- ग्रामीणों को मिल रहा अधिकारियों से सिर्फ आश्वासन

GOPALPUR: गोला क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। सर्वाधिक कटान प्रभावित बारानगर प्राचीन कालिका मंदिर और मल्लाह टोली, हरिहरपुर, रतनपुर, तिरागांव आदि गांवों का अस्तित्व खतरे में है। इस साल भी घाघरा के जलस्तर ने कहर बरसाना शुरू कर दिया है। हर बार बाढ़ में इन गांवों के लोगों की जमीन और मकान कट कर बह जाते हैं। इसके बावजूद यहां के निवासियों को जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कोरे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला।

बह गए खेत और मकान

सबसे अधिक कटान बारानगर के प्राचीन कालिका मंदिर और मल्लाह टोली में हो रहा है। हाल ये है कि मंदिर की दीवार कभी भी कट कर नदी में विलीन हो सकती है। इस टोले के निवासी रामसकल, रामप्यारे, ऋषि, रामकवल गुप्ता, छोटे लाल, स्वामीनाथ, उदयभान, सुरेश, रतन लाल, केशव गुप्ता, राअधारे, मोहन, राजबली, रिखी मल्लाह, रामसकल मल्लाह आदि का घर सहित बालेश्वर मौर्य, मोहन मौर्य, शीतल विश्वकर्मा का खेत पूरी तरह कट कर बह चुका है। अभी भी टोले में निवास करने वाले चार दर्जन परिवारों के समक्ष खतरा मंडरा रहा है।

बेबसी में मदद का इंतजार

गांव के ग्राम प्रधान राजेश कुमार मौर्य का कहना है कि बाढ़ के समय अधिकारी और जनप्रतिनिधि अश्वासन देकर चले जाते हैं। इस गांव के निवासी 80 वर्षिय बाबू जय सिंह का कहना है कि उनके सामने बहुत से घर व खेत नदी में विलीन हो गए। लेकिन अब तक गांव के लोगों का दर्द कोई देखने वाला नहीं। इसी टोले के निवासी 45 वर्षीय भागीरथी का कहना है घर को छोड़कर एक मीटर जमीन भी शेष नहीं बची है। उन्हें चिंता है कि अब घर भी नहीं बचेगा तो पूरा परिवार लेकर कहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि वे दिनभर नाव चला और मछली मारकर पूरे परिवार का पेट पालते हैं। कोई भी सरकारी सहायता नसीब नहीं हुई। रामप्यारे साहनी की छप्पर व घर कटान में बह चुका है। जो बचा है वह भी कटने ही वाला है.अब गांव छोड़कर कहां जाए कुछ समझ में नहीं आ रहा है। पुरुषोत्तम पाल कहते हैं कि अधिकारी से लेकर नेता तक सबके पास दौड़ लगा चुके हैं लेकिन सब आश्वासन देकर चुप हो जाते हैं। यही हाल रणधीर सिंह आदि ग्रामीणों का भी है। लोगों का कहना है कि अगर सरकार को गांव वालों की चिंता नहीं है तो उसे उसके अधिकारियों को कोरे आश्वासन देने का कोई अधिकार नहीं है।

वर्जन

अभी इंजीनियर साहब को कहता हूं। जो उपाय होगा, मंदिर की दीवार को बचाने के लिए किया जाएगा।

- सर्वेद्र कृष्ण त्रिपाठी, तहसीलदार गोला

Posted By: Inextlive