DEHRADUN : इंडियन कुजीन में शुद्ध देशी घी भले ही 'गुड फॉर हेल्थÓ माना जाता रहा हो लेकिन भगवान के लिए यह घी खतरनाक साबित हो सकता है. यही वजह है कि भगवान को चढऩे वाले घी पर शायद भविष्य में रोक भी लग सकती है. चौंक गए होंगे आप लेकिन यह सच है. केदारनाथ में बाबा केदार को चढऩे वाले घी से मंदिर को खतरा हो रहा है. 3581 मीटर की ऊंचाई पर आठवीं सेंचुरी में बने केदारनाथ मंदिर पर पिछले कई सालों से करीब डेढ़ इंच की मोटी परत जम चुकी है. नतीजतन मंदिर के निर्माण में यूज किए गए पत्थरों को हवा नहीं मिलने के कारण वे डैमेज हो रहे हैं.


ASI डायरेक्ट्रेट साइंस की टीम है जुटी जून महीने में स्टेट में आई जल त्रासदी के कारण सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ मंदिर को भी पहुंचा। इस त्रासदी के बाद मंदिर को कितना नुकसान हुआ, भविष्य में मंदिर को कितना खतरा है आदि को लेकर सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट की एजेंसीज काम पर जुटी हुई हैं। एएसआई (ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) की तमाम टीमें भी यहां काम कर रही हैं, लेकिन देहरादून के हाथीबड़कला स्थित डायरेक्ट्रेट साइंस ब्रांच केदारनाथ मंदिर में कैमिकल ट्रीटमेंट को लेकर जुटी हुई है। 12-30 अक्टूबर तक दून की एएसआई साइंस ब्रांच ने केदारनाथ पहुंचकर कई अध्ययन किए, जिन्हें चौंकाने वाली जानकारियां भी हासिल हुई।

दीवारों पर मोटी घी की परतें
एएसआई साइंस ब्रांच के मुताबिक मंदिर के गर्भगृह में दीवारों पर करीब डेढ़ इंच तक घी की परत जमी हुई ह, जब से केदारनाथ में यात्री पहुंच रहे हैं। तभी से घी का चढ़ावा करने के बाद यात्री हाथ दीवारों पर पोछ देते हैं। इसकी वजह से घी की इतनी मोटी परत बन चुकी है। क्योंकि केदारनाथ में टेंप्रेचर बेहद कम रहता है, जिससे ये परत ठोस हो गई है। केदारनाथ में प्रलय के बाद पिछले दिनों जब एएसआई की टीम यहां पहुंची, तब  एएसआई की टीम ने गर्म ब्लोवर के जरिए परत को निकाला। हालांकि यहां अभी भी कई परतें जमी हुई हैं। जो अगली बार कपाट खुलने के बाद ही निकल पाएगी। अखंड ज्योति से दो-दो बाल्टी घी निकालाएएसआई साइंस ब्रांच देहरादून के मुताबिक घी की परत के कारण मंदिर में लगे पत्थरों तक हवा नहीं पहुंच पा रही है। बकायदा, मोटी परत होने की वजह से पत्थर भीतर से नमी आ गई है। इससे उनकी लाइफ कम हो रही है, जो मंदिर की रख-रखाव के लिए खतरनाक भी हो सकता है। हालांकि एएसआई की टीम ने परत हटाने के बाद कई प्रकार की पत्थरों पर लिखावट और लिपियां प्राप्त हुई हैं। कैमिकल और मुल्तानी  मिट्टी का होगा प्रयोग साइंटिस्ट्स के अनुसार 'शिवलिंगÓ पर भी घी की मोटी परत बनी हुई है। टीम ने हाल ही में अखंड ज्योति से भी घी निकाला है। ब्रदी-केदार टेंपल कमेटी के पीआरओ एनपी जमलोकी कहते हैं कि शिवलिंग में घी के चढ़ावे के बाद श्रद्धालु दीवारों पर हाथ पोंछ देते हैं। इसलिए मोटी घी की परत जम गई है। एएसआई के डायरेक्टर साइंस ब्रांच देहरादून केएस राणा के मुताबिक जब अगले साल केदारनाथ के कपाट खुलेंगे तब दूसरे चरण में कैमिकल ट्रीटमेंट के साथ ही मुल्तानी मिट्टी का ट्रीटमेंट दिया जाएगा।


चुनौतियां कम नहीं हैंकेदारनाथ मंदिर बचाने के लिए एएसआई देहरादून ब्रांच कई टेक्नीक अप्लाई करेगी, लेकिन एएसआई को केदारनाथ तक मैटीरियल और दूसरी सामग्रियां ले जाने की भी चुनौतियां कम नहीं हैं। इस बात को खुद एएसआई भी स्वीकार रहा है।

Posted By: Inextlive