- राजेंद्र नगर पूर्वी, गोरखनाथ की रहने वाली छात्रा ने मां के इलाज के लिए डीएम से लगाई गुहार

- 'मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष' से दो बार मिल चुकी है आर्थिक मदद, तीसरी बार के लिए चक्कर लगा रही युवती

GORAKHPUR: मां की दोनों किडनी फेल हैं। वह डायलिसिस पर चल रही हैं। इलाज के लिए और 2.54 लाख रुपयों की जरूरत है लेकिन हमारे पास कुछ भी नहीं बचा। डीएम अंकल, प्लीज मेरी मम्मी को बचा लीजिए। ये मार्मिक गुहार एक मजबूर बेटी की है जो बीमार मां के इलाज के लिए आर्थिक मदद की आस में अधिकारिओं के चक्कर काट रही है। राजेंद्र नगर पूर्वी, गोरखनाथ की रहने वाली बीएससी की छात्रा ज्योति कुशवाहा की मां नीलम का गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय में इलाज चल रहा है। जिनके इलाज के लिए पहले दो बार 'मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष' से आर्थिक मिल चुकी है। एक बार फिर इलाज के लिए 2.54 लाख रुपए की जरूरत है लेकिन फेस्टिव सीजन होने के कारण डीएम ऑफिस में अधिकारियों के न बैठने के चलते ज्योति अपनी समस्या बता नहीं पा रही हैं।

दवा के खर्च ने तोड़ दी कमर

राजेंद्र नगर पूर्वी, गोरखनाथ आवास विकास कॉलोनी ईडब्ल्यूएस-4 में रहने वाली ज्योति कुशवाहा बताती हैं कि उनकी मां नीलम कुशवाहा की दोनों किडनी फेल हो चुकी हैं। वह डायलिसिस पर चल रही हैं। उनका इलाज गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय में चल रहा है। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मां के इलाज में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि 'मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष' से आर्थिक मदद जरूर मिली है लेकिन दवा में होने वाले बेतहाशा खर्च ने कमर तोड़ दी है। ज्योति बताती हैं कि मां के इलाज के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के तहत अब तक दो लाख 54 हजार रुपए मिल चुके हैं। डॉक्टर द्वारा आगे के इलाज के लिए फिर से 2.54 लाख रुपए का अनुमानित बजट बनाया गया है।

लगा ही नहीं सीएम का दरबार

ज्योति बताती हैं कि इसके लिए कई दफा गोरखनाथ मंदिर में लगने वाले जनता दरबार लगने की उम्मीद लगाई रही। लेकिन मुख्यमंत्री के दो बार आने के बाद भी जनता दरबार नहीं लगने के कारण मंदिर में जाने पर डीएम ऑफिस में गुहार लगाने की सलाह दी गई। लेकिन बीते दिनों से फेस्टिव सीजन होने के कारण डीएम ऑफिस में अधिकारियों के न बैठने के चलते अपनी समस्या नहीं बता सकी। अब सोमवार तक डीएम का इंतजार है।

ट्यूशन पढ़ा चला रहीं घर

ज्योति बताती हैं कि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से जहां मां के इलाज के लिए उनको आर्थिक मदद मिल जाती है, वहीं घर के खर्च और छोटे भाई जय की पढ़ाई में होने वाले खर्च के लिए खुद मोहल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं। दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर घर का खर्च चलाने को बेबस ज्योति खुद अपना इंजीनियर बनने का सपना ही भूल चुकी हैं। ज्योति बताती हैं कि गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय में जहां डाक्टर से लगाए सभी कर्मचारी उनकी मदद करते हैं। वहीं डॉ। आनंद बंका भी मां के इलाज में मदद करने से कहीं पीछे नहीं हटते हैं। मोहल्ले के लोगों से लेकर ज्योति के दोस्त तक मां के इलाज में जरूरत पड़ने पर खून देने को तैयार हो जाते हैं।

अब तो नानी भी नहीं रहीं

ज्योति बताती हैं कि उनकी मां की किडनी 2016 से ही खराब चल रही है। पहले नानी मां के इलाज में साथ देती थीं, लेकिन उनके गुजर जाने के बाद वह बिलकुल ही अकेली पड़ गई हैं। मूलरूप से देवरिया जिले के बलुआ अफगान गांव की रहने वाली ज्योति के पिता संतोष कुशवाहा गांव में ही रहते हैं, लेकिन घर वालों की तरफ से भी किसी का सपोर्ट नहीं मिलता है। अब ऐसे में ज्योति और जय मिलकर ही मां की सेवा करते हैं।

वर्जन।

छात्रा मुझसे सोमवार सुबह 11 बजे आकर मिले। उसकी पूरी मदद की जाएगी। पूरी कोशिश होगी कि उसकी मां की दोनों किडनी खराब होने के कंडीशन में उसके परिवार के सदस्य से एक किडनी डोनेट कराकर उन्हें एक किडनी पर चलाया जा सके।

- के विजयेंद्र पांडियन, डीएम

Posted By: Inextlive