RANCHI : सेल टैक्स के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप कुमार के डोरंडा एजी कॉलोनी स्थित घर से 12 वर्षीय बच्ची को सीडब्ल्यूसी, बचपन बचाओ आंदोलन और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से मुक्त कराया गया। नाबालिग बच्ची पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से उनके घर में बाल मजदूर के रूप में काम कर रही थी। इसकी गुप्त सूचना मिलने के बाद सीडब्ल्यूसी, बचपन बचाओ आंदोलन और बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मदद से बच्ची को रेस्क्यू किया गया।

बच्ची को भेजा गया प्रेमाश्रय

बच्ची को रेस्क्यू करने के बाद डोरंडा थाना लाया गया। वहां बच्ची से पूछताछ की गई। बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बबन गुप्ता ने बताया कि पूछताछ के बाद बच्ची को प्रेमाश्रय भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि मामले में थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है। रेस्क्यू कराने के दौरान सीडब्ल्यूसी के श्रीकांत, बाल अधिकार संरक्षण आयोग से बबन गुप्ता, बचपन बचाओ आंदोलन के श्याम सहित लेबर डिपार्टमेंट के लोग मौजूद थे।

डिप्टी कमिश्नर की फैमिली ने खड़ा किया विवाद

जब टीम बच्ची को रेस्क्यू करने के लिए उनके डोरंडा स्थित घर पर पहुंची तो उस वक्त सेल्स टैक्स के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप कुमार घर पर मौजूद नहीं थे। डोरंडा पुलिस ने जब दरवाजा खुलवाया तो पूछा गया कि क्या काम है। पुलिस को एक अधिकारी के घर में घुसने के बाबत अंजाम भुगतने की भी धमकी दी गई। उस वक्त सीडब्ल्यूसी के मेंबर नीचे थे। इसी बीच सभी ऊपर पहुंचे और कानून का हवाला देते हुए बच्ची को सौंपने का आग्रह किया। काफी मान-मनौव्वल के बाद बच्ची को चाइल्डलाइन के सुपुर्द किया गया। बालश्रम प्रवर्तन पदाधिकारी कामेश्वर प्रसाद के बयान पर डोरंडा थाने में मामला दर्ज किया गया है।

रेस्क्यू के वक्त मौजूद नहीं थे डिप्टी कमिश्नर

जिस वक्त बच्ची को रेस्क्यू किया जा रहा था। उस वक्त डिप्टी कमिश्नर अपने घर में मौजूद नहीं थे। जब टीम बच्ची को लेकर जा रही थी तो वे वहां पहुंचे और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। वे भी थाना पहुंचे और अपनी गलती स्वीकार की।

सिमडेगा से लाई गई थी बच्ची

बताया जाता है कि उक्त बच्ची सिमडेगा की रहनेवाली है। सिमडेगा से ही उस बच्ची को उस घर पर रखा गया था। बताया गया कि उक्त बच्ची को उसके पिता द्वारा ही सौंपा गया था। हालांकि, इस बाबत छानबीन की जा रही है।

अब तक 10 अधिकारियों के घर से बच्चियां बरामद

रांची में अबतक बाल संरक्षण आयोग और सीडब्ल्यूसी ने 10 अधिकारियों के घर से नाबालिग बच्ची को बरामद किया है। नाबालिग बच्ची को बरामद करने के मामले में पहले सीडब्ल्यूसी और बाल संरक्षण आयोग ने बीडीओ रजनीश कुमार, सीआईडी इंस्पेक्टर, एक डीडीसी समेत कई अधिकारियों के घर पहुंच चुकी है। बीडीओ रजनीश कुमार का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था। वहीं, नाबालिग बच्ची से काम कराने और उसे प्रताड़ना देने के मामले में सीआईडी इंस्पेक्टर की पत्‍‌नी और उनके रिश्तेदार के खिलाफ नामकुम थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसी साल सीडब्ल्यूसी ने एक प्रशासनिक अधिकारी के घर से दो बच्चियों को रेस्क्यू किया था। बाद में उसे चाइल्ड लाइन रेलवे को सौंप दिया था। फिर बच्चियों को दुमका भेज दिया गया था।

कमाई है लाखों में, चाहते हैं मुफ्त नौकर

गौरतलब हो कि अधिकारियों को एकमुश्त पैसा मिलता है। पर, वे लोग बालिग नौकरानी के बजाय नाबालिग को रखने में ज्यादा विश्वास करते हैं। ऐसे में वे बच्चियों को पढ़ाने-लिखाने के नाम पर उनके गार्जियन को धोखा देते हैं और फिर उनसे बालश्रम कराया जाता है।

अधिकारी ही तोड़ते हैं नियम

सीडब्ल्यूसी के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में अधिकारी ही बाल श्रम के नियमों को तोड़ते हैं। वे जानते हैं कि बाल श्रम करवाना एक अपराध है, फिर भी कम पैसे में नौकर मिलने की चाहत वे छोड़ नहीं पाते हैं।

Posted By: Inextlive