- हिरानाज की मौत से गुस्साए बच्चों के परिजनों ने स्कूल के प्रिंसिपल का किया घेराव

- मौके पर पहुंचे एसीएम थर्ड और एसएचओ बारादरी ने संभाला मोर्चा

BAREILLY:

पुराना शहर सैलानी के पैरामाउंट स्कूल में क्लास 3 में पढ़ने वाली छात्रा हिरानाज की मंडे रात मौत हो गई। परिजनों को आरोप है कि बुखार होने के बावजूद डॉक्टर ने हिरानाज को थर्सडे को रुबैला खसरा का टीका लगा दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। मौत से गुस्साए परिजनों ने स्कूल में प्रिंसिपल का घेराव कर हंगामा किया। इसके साथ ही उन सभी बच्चों के चेकअप की मांग करने लगे, जिन्होंने टीका लगवाया था। हंगामा बढ़ने पर मौके पर पहुंचे एसीएम थर्ड और बारादरी थाने के एसएचओ कृष्णवीर ने मामले को शांत कराया। साथ ही जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। दीपा सिंह को बुलाकर बच्चों को चेकअप कराया। सीएमओ ने बच्ची की मौत के कारणों की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है।

मना करने पर भी लगा दिया टीका

हिरानाज के चाचा शम्मू खां और मोहम्मद साहिब आलम ने बताया कि बच्ची को 6 दिसम्बर यानि थर्सडे को टीका लगा था। लेकिन, उसे पहले से बुखार आ रहा था। जब बच्ची के स्कूल डायरी पर टीकाकरण की डेट देखी तो जवाब में उसे टीका नहीं लगाने को लिख दिया। परिजनों का आरोप है कि मना करने के बाबजूद स्कूल प्रबंधन और डॉक्टर ने मिलकर बच्ची को टीका लगा दिया। जबकि हिरानाज खुद मना कर रही थी कि उसे फीवर है वह टीका नहीं लगवाना चाहती। लेकिन डॉक्टर ने उसकी कुछ नही सुनी।

4 जगहों पर दिखाने के बाद भी नही बची बच्ची

परिजनों ने बताया कि टीका लगने के बाद हिरानाज की तबियत और खराब हो गई थी। बुखार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। दो डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो मंडे रात उसे स्टेडियम रोड स्थित एक निजी हॉस्पिटल में लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टर्स ने उसे किसी बड़े हॉस्पिटल में ले जाने को कहा। इसके बाद परिजन उसे पीलीभीत रोड स्थित एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

स्कूल में जमकर किया हंगामा

हिरानाज की मौत से गुस्साए परिजनों ने ट्यूजडे को पैरामाउंट स्कूल का घेराव कर हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाए कि स्कूल में बिना पेरेंट्स की मर्जी के टीकाकरण किया जा रहा है और टीकाकरण से पहले बच्चों का चेकअप नहीं हो रहा है।

स्कूल में है 450 बच्चे

स्कूल प्रिंसिपल हामिद हुसैन खान ने बताया कि करीब महीने भर पहले टीकाकरण की डेट बताई गई थी। इसके बाद दो शिफ्टों में टीकारकरण हुआ। 6 दिसम्बर को पहली शिफ्ट में 235 और 10 दिसम्बर को दूसरी शिफ्ट में 150 से अधिक बच्चों का टीकाकरण हुआ। टीका उन्हीं बच्चों को लगाया गया, जिनके पेरेंट्स की अनुमति थी। परिजनों का यह आरोप झूठा है कि उन्होंने डायरी पर नो लिख कर भेजा था।

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वर्जन

हम लोग 6 दिसम्बर को पैरामाउंट स्कूल में टीकाकरण के लिए गए थे। किसी भी ऐसे बच्चे को टीका नहीं लगाया, जिसको पहले से बुखार था। हिरा के परिजनों का यह आरोप गलत है कि उसे बुखार में भी टीका लगा दिया गया।

मनुज सक्सेना, बीएसडब्ल्यू जगतपुर सीएचसी

स्कूल में यदि किसी ने टीका लगाने को मना किया तो उसके टीका नहीं लगाया है। और जो भी टीके लगाए है सभी परिजनों और टीचर्स के सामने ही लगाए है। लेकिन यह तो याद नहीं कि हिरा के साथ कौन था। टीकाकरण के समय परिजन मौजूद थे।

रम्भा यादव, एएनएम जगतपुर सीएचसी

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बॉक्स : डॉ। प्रमिला गौड, एडी हेल्थ से सीधी बात

रिएक्शन आधे घंटे में होता है, बाद में नहीं

क्या रुबैला टीकाकरण से पहले बच्चे या उसके परिजनों से सहमति ली जाती है?

बच्चे के परिजनों को स्कूल से सूचना भिजवाई जाती है। ।

बुखार आने पर क्या टीकाकरण किया जा सकता है?

नहीं। इससे इंफेक्शन का खतरा होता है।

परिजनों का आरोप है कि उनकी सहमति के बगैर टीकाकरण किया गया?

बच्चे को बुखार आने की स्थिति में टीम टीकाकरण ही नहीं करती है। इसके बाद भी किसी बच्चे को वैक्सीन का रिएक्शन आधे घंटे के भीतर होता है। उसके बाद नहीं।

मिजिल्स रूबैला का टीका बच्चे को लगवाना कितना सुरक्षित है?

मिजिल्स रुबैला का टीकाकरण सभी बच्चों को लगवाना जरूरी है। इससे बीमारी का बचाव होता है। लेकिन यह गलत है कि मिजिल्स रुबैला का टीका लगने से बच्चे की मौत हुई है। शाहजहांपुर में कुछ बच्चे टीकाकरण के बाद बीमार हुए लेकिन वह सभी ठीक हैं। इसलिए टीकाकरण के आधे घंटे तक टीम मौके पर रहती है।

Posted By: Inextlive