हड्डियां टूटने के बाद स्टील पिन्स के जरिए फ्रैक्चर्स को बांधकर रखने का तरीका अब बीते जमाने की बात होने जा रहा है. यह संभव हो सकेगा इंप्लांट्स के जरिए. इतना ही नहीं अब ऐसे पेशेंट्स जो किसी बड़े एक्सी डेंट का शिकार हुए हैं उन्हें कई सारी सर्जरी की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.


हाल ही में बास्कब की यूपीवी/ईएचयू यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जोस रैमन सारासुआ और एयोटोर लारांगा ने मेडिसिन मे फिलहाल यूज हो रहे बायोग्लावस के पोलीमर के थर्मल डिग्रेडेशन पर होने वाले असर को स्टडडी किया है.आमतौर पर हड्डी टूटने की स्थिति उसे ठीक करने के लिए मेटल नेल्सर या अन्यस चीजों की मदद ली जाती है. जिसके चलते ठीक होने के बाद उन्हें बाहर निकालने के लिए एक और ऑपरेशन करना पड़ता है. इस नए मैटीरियल या इंप्लांट के आ जाने से दूसरी बार ऑपरेशन की जरूरत न के बराबर होगी.रिसर्चर पहले से तैयार बायोइंप्लांयट पर काम कर रहे हैं. जिनमें बायोडिग्रेडेबल पोलीमर का इस्तेमाल किया जाएगा जो समय के साथ हड्डियों के अपनी जगह आने के बाद खुद ब खुद गायब हो जाएगा.  पोलीमर के बेहद नरम होने की वजह से उसमें बायोग्लाडस मिलाया गया जिससे कि हड्डियों को फिर से जुड़ने में मदद मिले.

Posted By: Surabhi Yadav