- जीएमसी की लापरवाही पब्लिक पर पड़ रही भारी

- दूसरी जगहों से क्यों नहीं सीखता जीएमसी

GORAKHPUR: महानगर में छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान दूसरे दिन ही ठप पड़ा गया। थर्सडे को सिटी की सड़कों पर छुट्टा पशु फर्राटा भरते नजर आए। हद तो तब हो गई निजामपुर मोहल्ले में सांड़ घूमते मिले। ख्ब् घंटे पहले यहां पर जीएमसी का कैटिल कैचिंग दस्ता आया था। लोगों ने कहा कि इंतजाम होते तो हालात सुधर जाते लेकिन गोरखपुर नगर निगम सिर्फ बजट बनाता है। आवारा पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई नहीं होती।

सांड़, कुत्ता, बंदर और गधे भी बने मुसीबत

सिटी में आवारा पशुओं की भरमार है। इनको पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। एनजीओ के विरोध करने का हवाला देकर जीएमसी अफसर खुद को बचाते हैं। नागरिक सुविधाएं देने के बदले जीएमसी टैक्स लेता है। इससे जीएमसी की जिम्मेदारी बनती है कि वह छुट्टा पशुओं से पब्लिक को निजात दिलाए। सिटी में सांड़, बैलों और छुट्टा गायों के साथ ही कुत्ते, बंदर, गधे भी मुसीबत बने हैं। आए दिन मोहल्लों में लोग इनके उत्पात के शिकार होते हैं। दिसंबर मंथ में हुमायूपुर, जगेसर पासी चौक पर बंदर ने उत्पात मचाया था। लोगों ने पहले जीएमसी में शिकायत दर्ज कराई। बात नहीं सुनी गई तो लोग फारेस्ट अफसरों के पास गए।

दूसरे शहरों से क्यों नहीं सीखते अफसर

गोरखपुर महानगर के अफसरों की लापरवाही से पब्लिक रोजाना खामियाजा भुगत रही। बार- बार शिकायत करने के बाद भी जीएमसी के कर्मचारी नहीं जागते। जीएमसी कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से तिवारीपुर, नरसिंक मोहल्ले के बाबूलाल की जान चली गई। भोपाल और इंदौर में छुट्टा पशुओं को पकड़ने, उनको काबू करने के लिए अलग से विभाग बनाया गया है। कुत्तों की तादाद को बढ़ने से रोकने के लिए उनकी नसबंदी कराई जाती है। इतना ही नहीं, रात में यदि कोई स्ट्रीट डॉग्स परेशान करें तो शिकायत करने पर महानगर कर्मचारी उनको पकड़कर ले जाते हैं। पब्लिक का कहना है कि गोरखपुर नगर निगम को हाईटेक बनाने की बात होती है। अफसरों की लापरवाही से कोई काम पूरा नहीं हो पाता।

पीडि़त की फैमिली से मिले सांसद महंत आदित्यनाथ

नरसिंहपुर मोहल्ला निवासी बाबूलाल पर सांड़ ने हमला कर लिया। मंडे इवनिंग घर के पास हुए हमले में बाबूलाल गंभीर रूप से घायल हो गए। उनको नर्सिग होम में एडमिट कराया गया लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। बाबूलाल अपनी बेटी की शादी की तैयारी में लगे थे। उनके निधन से पूरी फैमिली पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। बाबूलाल के परिवार में बेटे अरविंद कुमार, संदीप कुमार, बेटी पिंकी और नितिन हैं। घर की माली हालत खराब होने से बड़े बेटे अरविंद ने पढ़ाई छोड़कर नौकरी शुरू कर दी। पति की मौत से मीना देवी बेहाल हो गई है। उनको बेटी पिंकी की शादी की चिंता सता रही है। थर्सडे को सदर सांसद महंत आदित्यनाथ पीडि़त परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने फैमिली को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। पार्षद सौरभ विश्वकर्मा ने बताया कि घटना के लिए जीएमसी के अधिकारी जिम्मेदार हैं। इसलिए पीडि़त फैमिली को जीएमसी की तरफ से मुआवजा दिया जाना चाहिए।

नगर निगम को देना होगा हर्जाना

पालतू और आवारा जानवरों को लेकर आज भी गोरखपुर में अधिकांश नियम म्यूनिसिपल एक्ट क्9क्म् के हैं। निगम एक्ट की धारा ब्9म् में ये व्यवस्था दी है कि अगर शहर की सीमा में कोई भी जानवर किसी व्यक्ति को परेशान करता है या फिर काटता है तो पीडि़त व्यक्ति लोकल कोर्ट में नगर निगम पर क्लेम करके मुआवजा पा सकता है।

सांड़ों को पकड़ने का अभियान नहीं चला है। उनके रखने की जगह न होने से प्रॉब्लम आ रही है। इंतजाम होने के बाद छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया जाएगा।

डॉ। अरुण कुमार, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive