मोदी की जीएमएस में नहीं मंदिरो को रूचि
हजारों टन सोने पर है सरकार की नजर पीएम मोदी की जीएमएस योजना की नजर देश के मंदिरों व घरों में पड़े 22 हजार टन सोने पर है। इस सोने का उपयोग कर सरकार सोने के आयात को कम करना चाहती है जिससे बेशीकीमती विदेशी मुद्रा सोना खरदीने में न खर्च हो। योजना के तहत नियमित ब्याज के साथ बाजार में बड़े सोने पर होने वाला लाभ भी मिलेगा। पर इसके लिए बेकार पड़े हजारों टन सोने का गलाना पड़ेगा। सोने की वापसी के समय 99.5 फीसदी शुद्घता के साथ सोना या रुपये मे उसका मूल्य वापस किया जाएगा। ये मंदिर निवेश को हैं तैयार
मुंबई के प्रसिद्घ् सिद्घ् विनायक ने मोदी सरकार की जीएमएस स्कीम में अपनी रूचि दिखाई है। 160 किलो स्वर्ण भंडार में से वह करीब 10 किलो सोना एक बैंक में जमा भी कर चुका है। वहीं विश्व में हिन्दुओ के सबसे धनी मंदिर श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का संचालन करने वाले तिरुमला देवस्थानम की निवेश के लिए सिमित की बैठक शीघ्र होगी। गुजरात के अंबा जी मंदिर ने सोने के निवेश के लिए साफ इंकार कर दिया है। आंघ्रप्रदेश के दूसरे बड़े मंदिर विजयवाड़ा के कनकदुर्गाम्मा मंदिर का योजना में निवेश का कोई इरादा नहीं है ।
ये है मंदिरों के निवेश ना करने का कारण - दान में दिए गए आभूषणों को गलाने से भक्तो की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। - सोना गलाने के बाद उसका मूल्य कम होने की आशंका।- सोने का दान मंदिर के विभिन्न भगवानों के नाम होना।- जीएमएस में निवेश के बाद सोने का मूल रूप में वापस न मिलना।