सपा सरकार में अंजाम दिए गये गोमती रिवरफ्रंट घोटाले के मामले में हाल ही में इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने छापेमारी में की। इस दाैरान प्रदेश की राजधानी में एक ठेकेदार के आवास पर करोड़ों रुपये की संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किये गये हैं।


lucknow@inext.co.inLUCKNOW: सपा सरकार में अंजाम दिए गये गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की तह तक जाने के लिए बीते गुरुवार को इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट की छापेमारी में एक ठेकेदार के आवास पर करोड़ों रुपये की संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किये गये हैं। आधी रात तक राजधानी के राजाजीपुरम इलाके में रहने वाले ठेकेदार अंगेज कुमार से ईडी के अधिकारी इन संपत्तियों के बारे में पूछताछ करते रहे। मूल रूप से बिहार के रहने वाले ठेकेदार ने अफसरों को बताया कि एक कद्दावर राजनेता की सिफारिश पर उसकी फर्म अंगराज सिविल प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को रिवरफ्रंट का काम दिया गया था। ईडी के अफसरों को शक है कि उसके पास से बरामद संपत्तियों के दस्तावेज बेनामी हैं। सोमवार से इन दस्तावेजों की पड़ताल का काम शुरू किया जाएगा।अचानक बदल जाता था फैसला


पूछताछ के दौरान यह भी सामने आया कि रिवरफ्रंट में डिजाइन से लेकर कौन से सामान लगना है, इसका फैसला अचानक बदल दिया जाता था। विदेश से क्या सामान आना है, इसकी भनक सिर्फ चुनिंदा राजनेताओं और अफसरों को ही होती थी। यही वजह है कि ईडी अब यह पता लगाने की तैयारी में है कि आखिर रिवरफ्रंट से जुड़े अहम फैसले कौन ले रहा था। इसके लिए कैबिनेट द्वारा मंजूर प्रस्तावों को भी परखने की तैयारी है। जांच में यह भी सामने आया है कि सिंचाई विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपक सिंघल तमाम कंपनियों के सीधे संपर्क में थे और उनको काम दिलाने के लिए नियमों को दरकिनार किया जाता रहा। सूत्रों की मानें तो जल्द ही शासन और सिंचाई विभाग के तत्कालीन बड़े अफसरों को पूछताछ के लिए नोटिस दिया जा सकता है। शुक्रवार को राजस्थान और हरियाणा में छापे मारने गये ईडी के अफसरों के वापस आने के बाद विस्तृत रिपोर्ट नई दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय को भेजी जाएगी। आपसी विवाद भी गहराया

पूछताछ में यह भी पता चला कि गोमती रिवरफ्रंट के कई कामों को लेकर सरकार में बैठे दो कद्दावर नेताओं के बीच गहरा विवाद भी हुआ था। अपने करीबियों को रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य दिलाने के लिए अफसरों पर दबाव डाला जाता रहा। इसी वजह से कई अफसरों ने खुद को इस प्रोजेक्ट से अलग करने में ही भलाई समझी। वहीं एक अफसर ने जब निर्माण कार्य में देरी करने पर कंपनी पर तगड़ा जुर्माना लगाया तो उसे तत्कालीन मंत्री ने अपने कार्यालय में बुलाकर जमकर फटकार लगाई थी। ईडी यह भी पता लगा रही है कि आखिर गैमन इंडिया के ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद उसे रिवरफ्रंट का मुख्य कार्य देने की वजह क्या थी।

ईडी के सामने नहीं पेश हुर्ई आईएएस बी. चंद्रकला

Posted By: Shweta Mishra