- डीआरडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर जीपी गौतम सारे मामलों में मुख्य आरोपी

- स्माल स्केल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन अफसर और कई सप्लायर भी फंसे

सीबीआई ने पांच मामलों की चार्जशीट विशेष अदालत में दाखिल की

केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के कामों के लिए राज्य सरकार को बजट दिया लेकिन उसके अफसरों ने सप्लायरों की मदद से आधी से ज्यादा रकम डकार ली। गोंडा जिले में मनरेगा के तहत हुए कामों की सीबीआई ने जांच शुरू की तो घोटालों के पर्ते खुलने लगीं। जांच में सामने आया कि गोंडा में मनरेगा के तहत ऐसा कोई सामान नहीं था जिसमें अधिकारियों ने सरकारी पैसे की बंदरबांट ना की हो। शुक्रवार को राजधानी स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने पांच मामलों की चार्जशीट सीबीआई की विशेष अदालत में दाखिल कर दी। खास बात यह है कि पांचों में गोंडा के जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर गया प्रसाद गौतम को मुख्य आरोपी बनाया गया है।

मजदूरों की छांव पर भी डाका

सीबीआई ने जब गोंडा जाकर मनरेगा योजना के तहत खर्च की गयी रकम की तहकीकात की तो वह हैरत में पड़ गयी। जांच में पता चला कि अफसर और सप्लायर मिलकर मजदूरों की छांव पर भी डाका डाल चुके थे। योजना के तहत पैनी धूप से थोड़ी देर राहत दिलाने को मजदूरों को कार्यस्थल पर ही शेड के लिए तिरपाल मुहैया कराने थे ताकि वे उसके नीचे बैठकर थोड़ी देर आराम कर सके। इसके अलावा खोदाई का सामान फावड़ा, गैती, तसला, टेप और रेती भी सप्लाई होनी थी। डीआरडीए के प्रोजेक्ट मैनेजर गया प्रसाद गौतम ने इसकी सप्लाई का काम उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ को दिया। संघ के रीजनल मैनेजर अनिल कुमार जायसवाल ने इसके बाद प्राइवेट सप्लायर अमन इंटरप्राइजेज के मालिक राजकमल गोयल के साथ मिलीभगत कर महंगे दामों में सारा सामान सप्लाई कराया। केवल तिरपाल की सप्लाई में ही सीबीआई ने करीब 62 लाख रुपये की गड़बड़ी का पता लगाया। खोदाई के सामान में भी करीब 54 लाख रुपये का घोटाला अंजाम दिया गया। हैरत की बात यह है कि दोनों की कामों में अफसर और सप्लायरों ने मिलकर आधी रकम डकार ली।

कंप्लेन बॉक्स में भी हेरोफेरी

इतना ही नहीं, जिले की सारी ग्राम पंचायतों में योजना में गड़बड़ी को लेकर शिकायत करने के लिए कंप्लेन बॉक्स लगाने के काम में भी जमकर हेराफेरी की गयी। प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने इसकी सप्लाई का काम गोंडा की फर्म सुभागपुर लाइन कंपनी को दिया और फर्म मालिक राजेश कुमार गोयल से साठ-गांठ करके 3.53 लाख रुपये का घोटाला कर दिया। इसी तरह कैशबुक और लेजर की सप्लाई का काम ड्रीम स्टेशनर्स एंड जनरल आर्डर सप्लायर के मालिक रमेश चंद्र मिश्र को दिया गया जिसमें करीब 13.39 लाख रुपये का घोटाला हुआ। प्राइवेट फर्म से कैशबुक और लेजर की सप्लाई किए बिना ही भुगतान कर दिया। इसी तरह जीपी गौतम, अनिल कुमार जायसवाल ने फर्नीचर सप्लाई के काम में भी करीब 12 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया। उन्होंने अपनी चहेती फर्म ड्रीम स्टेशनर्स एंड जनरल आर्डर सप्लायर को दोगुने दामों में फर्नीचर सप्लाई का काम सौंप दिया।

स्माल स्केल इंडस्ट्री के अफसर भी शामिल

जांच की जद में यूपी स्माल स्केल इंडस्ट्रीज कारपोरेशन के रीजनल मैनेजर श्रीकृष्ण त्रिपाठी भी आ गये हैं। साथ ही कारपोरेशन के एकाउंटेंट अशोक कुमार अवस्थी को भी सीबीआई ने आरोपित बनाया है। दरअसल जीपी गौतम ने श्रीकृष्ण त्रिपाठी की मदद से योजना के प्रचार-प्रसार के लिए डिस्प्ले साइन बोर्ड बनाने का काम गोंडा की आरके ट्रेडर्स को दिया और घटिया सामान की सप्लाई लेकर उसे पूरा भुगतान कर करीब बीस लाख रुपये हजम कर लिए। एकाउंटेंट अशोक कुमार अवस्थी भी इसमें शामिल था और उसने आरके ट्रेडर्स को सप्लाई से पहले ही पूरा भुगतान कर दिया। सीबीआई ने आरके ट्रेडर्स के मालिक राकेश कुमार सिंह के खिलाफ भी धोखाधड़ी की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया है।

दो साल के भीतर घोटाला दिया अंजाम

बताते चलें कि यह सारे घोटाले दो साल के भीतर अंजाम दिए गये। दरअसल हाईकोर्ट ने सीबीआई को वर्ष 2007 से 2010 के बीच प्रदेश के सभी जिलों में हुए मनरेगा घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने जब गोण्डा में 2007 से 2009 के बीच हुए कामों की जांच की तो ये गड़बडि़यां सामने आई। मालूम हो कि उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ के रीजनल मैनेजर अनिल कुमार जायसवाल महोबा में हुए मनरेगा घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं। बाद में उन्हें जमानत मिल गयी थी, लेकिन उनका तबादला दूसरी जगह कर दिया गया। अब गोंडा में सामने आए इन घोटालों की चार्जशीट दाखिल होने के बाद जीपी गौतम, अनिल कुमार जायसवाल, श्रीकृष्ण त्रिपाठी और अशोक कुमार अवस्थी के साथ सभी फर्मो के मालिकों को अदालत में सरेंडर करना होगा अन्यथा उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो सकता है।

फैक्ट फाइल

- 1.75 करोड़ रुपये का घोटाला

- 2007 से 2009 के बीच अंजाम दिया

- 61 लाख का घोटाला तिरपाल सप्लाई में

- 54 लाख का घोटाला खोदाई के सामान में

- 13 लाख का घोटाला कैशबुक, लेजर सप्लाई में

- 19 लाख का घोटाला डिस्प्ले साइन बोर्ड में

- 11 लाख का घोटाला फर्नीचर सप्लाई में

Posted By: Inextlive