- घोष कंपनी के रहने वाले गुलाब चंद गुप्ता को मिला 258800रुपए का बिल

- ऐसा बिल देख गोरखपुराइट्स के उड़ रहे होश

केस 1

घोष कंपनी के रहने वाले गुलाब चंद गुप्ता के घर में पांच कमरे हैं। उन्होंने पांच किलोवाट का बिजली कनेक्शन लिया है। दो माह पहले उन्होंने 32 हजार रुपए बिल जमा किया। जब मार्च में बिल आया तो उनके होश उड़ गए। 258800 का बिल लेकर वे बिजली ऑफिस पहुंचे तो पता चला कि उनका बिल सीडीएफ (सीलिंग डिफेक्टिव) बन गया है। उन्होंने इसके सुधार के लिए अप्लीकेशन देना चाही लेकिन कोई कर्मचारी नहीं मिला। मजबूरन उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा।

केस 2

पिछले तीन माह से शाहपुर के रहने वाले गोविंद कुमार बिजली बिल को लेकर परेशान हैं। पहले छह माह तक बिल निकालने कोई नहीं आया। बिल न आने के कारण अगस्त माह में परिवार का एक सदस्य बिजली विभाग ऑफिस पहुंचा। वहां बिल देखते ही उसका सिर चकरा गया। छह माह का बिल 72383 रुपए का था। गोविंद बिजली विभाग पहुंचे तो उनका बिल भी सीडीएफ निकला। हालांकि अभी तक उनका बिल नहीं ठीक किया जा सका है। वह समस्या को लेकर आए दिन बिजली विभाग के चक्कर लगा रहे हैं।

GORAKHPUR: यह दो केस तो महज उदाहरण हैं। ऐसे दर्जनों केस डेली बिजली विभाग में पहुंच रहे हैं जिनके बिल सीडीएफ हो गए हैं। बिजली विभाग की लापरवाही के कारण हर माह 15 से 20 हजार कंज्यूमर्स परेशान होकर बिजली विभाग का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। फिर भी उनका बिल सही नहीं हो पा रहा है। उधर बिलिंग के लिए पहुंचने वाली टीम की लापरवाही के चलते कंज्यूमर्स परेशान हो रहे हैं लेकिन अधिकारी इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे।

हर महीने आ रहा डिफेक्टिव बिल

शहर में लगभग 1.70 लाख बिजली कंज्यूमर्स हैं। करीब 70 प्रतिशत कंज्यूमर्स के यहां बिल रीडिंग कर्मचारियों और बिलिंग काउंटर के जरिए बनता है। लगभग 45 प्रतिशत लोग हर माह बिल जमा भी कर देते हैं। बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर माह लगभग 15 से 20 हजार कंज्यूमर्स के घर गलत बिल पहुंच रहा है।

इतनी तरह की होती गड़बड़ी

बिजली विभाग के क्लर्क के मुताबिक बिल में गड़बड़ी तीन तरह की होती है।

सीलिंग डिफेक्टिव(सीडीएफ) - ये बिल कंज्यूमर्स की अनदेखी के चलते बनता है। अगर कंज्यूमर ने दो किलोवाट का कनेक्शन लिया है और अचानक यूसेज बढ़ जाता है तो बिल सीडीएफ बनता है।

मीटर डिफेक्टिव(आईडीएफ) - ये बिल मीटर बंद होने के कारण बनता है। जिसमें बिजली विभाग की लापरवाही होती है। विभाग जानता है कि कंज्यूमर्स का मीटर बंद है लेकिन उसके बाद भी बिल बना दिया जाता है।

रीडिंग डिफेक्टिव(आरडीएफ) - इस बिल के लिए बिजली विभाग और कंज्यूमर्स दोनों की लापरवाही जिम्मेदार होती है। कंज्यूमर जब बिल बनवाने विभाग जाता है तो लास्ट मंथ जमा किए गए बिल से कम रीडिंग बताने पर ऐसा बिल जनरेट होता है। बिजली विभाग के लोग कभी-कभी बिना घर गए ही बिल बना देते हैं, जिससे रीडिंग डिफेक्टिव बिल बन जाता है।

बॉक्स

300 घरों की नहीं हुई बिलिंग

शहर में करीब 300 घरों की तीन माह से नई कंपनी बिलिंग नहीं कर रही है। जिसकी वजह से ये कंज्यूमर्स बिजली निगम के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि अगस्त माह में करीब 100 से अधिक कंज्यूमर्स की बिलिंग कराई गई जिसमें बिलिंग कंपनी की लापरवाही का खामियाजा कंज्यूमर्स को भुगतना पड़ रहा। उनके घरों का बिल जहां दो से तीन हजार आता है अब एक लाख से अधिक का आ गया जिससे उनके होश उड़ गए हैं।

वर्जन

नई बिलिंग कंपनी की लापरवाही की वजह से ऐसा हो रहा है। इस संबंध में कुछ लोगों ने शिकायत की है। बिलिंग कंपनी के जिम्मेदार को तलब किया गया है। जहां तक अधिक बिल आने का सवाल है तो कंज्यूमर्स अपना बिल ऑफिस पहुंच कर ठीक करा सकते हैं।

- एके सिंह, अधीक्षण अभियंता शहर

Posted By: Inextlive