- 'राजनी-टी' में मिलेनियल्स ने रखी अपनी बात.

- सिटी के बशारतपुर स्थित न्यू दस्तरख्वान में ऑर्गनाइज हुई चर्चा

gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: बिजली की तो भरमार है, लेकिन जॉब की दरकार है। सफाई व्यवस्था दुरुस्त है, लेकिन इसे बेहतर करने की जरूरत है। आवारा पशुओं को भी बेडि़यों में जकड़ना जरूरी है। एजुकेशन सिस्टम को और बेहतर किया जाए, तो वहीं हेल्थ सेक्टर में डॉक्टर्स की तादाद बढ़ाई जाए। अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चले, तो पार्किंग का भी इंतजाम हो। पांच साल बीते कुछ वादे पूरे हुए, तो वहीं कुछ के पूरे होने का इंतजार है। यह कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें पूरा कराने के लिए शहर के वोटर्स सरकार की ओर उम्मीद की नजरों से ताक रहे हैं। यह बातें सामने आईं दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से 18 से 38 साल के मिलेनियल वोटर्स के लिए ऑर्गनाइज किए गए खास प्रोग्राम 'राजनी-टी' में, जिसमें उबलते हुए मुद्दों पर गरमा-गरम डिस्कशन किया गया। इस दौरान यंगस्टर्स ने दिल खोलकर अपनी बातें रखीं।

दिमाग से लगे उंगली पर निशान
सबसे पहले रेडियो सिटी से आए आरजे प्रतीक ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए वहां मौजूद लोगों को मिलेनियल्स के बारे में जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने बताया कि आने वाले लोकसभा इलेक्शन में 50 फीसद से ज्यादा मिलेनियल्स वोटर्स ही सरकार का फैसला करने में अहम रोल अदा करने वाले हैं। लोग इलेक्शन को लोग हॉलीडे समझ लेते हैं और इस दिन बजाए पोलिंग करने के छुट्टी मनाने इधर-उधर निकल जाते हैं। मगर सही सरकार को चुनना है तो इसके लिए उंगली पर निशान होना जरूरी है। यह निशान भी दिमाग से होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने वोट की अहमियत बताई और मुद्दों के बारे में जानकारी ली। इसके बाद वोटर्स लिस्ट में नाम एड करवाने को लेकर भी डिस्कशन हुआ।

कड़क मुद्दा
गोरखपुर में मुद्दों पर बात शुरू हुई तो इसमें सबसे ऊपर मेडिकल फैसिलिटी का नाम सामने आया। चर्चा में शामिल हुए अभिजीत ने कहा कि यहां मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी लोगों को इलाज के लिए बाहर पीजीआई जाना पड़ रहा है। जब तक ऐसी व्यवस्था नहीं हो जाती कि लोगों को यहीं पर सारी सुविधाएं मिलने लगें और किसी को कहीं भी बाहर नहीं जाना पड़े, तब तक मेडिकल फैसिलिटी को अच्छा नहीं कहा जा सकता। एम्स तो बन रहा है, फ्यूचर में इसका फायदा भी मिलेगा, इसके लिए जिम्मेदारों को सोचना होगा। हॉस्पिटल भी बेहतर नहीं है, जो पैसे वाले हैं, वह तो बाहर चले जाते हैं, लेकिन जिनके पास पैसा नहीं है, वह उम्मीद पर ही यहां रुके हुए हैं। डॉक्टर्स की जहां भी कमी है, वह पूरी करनी होगी, जिसके बाद मेडिकल व्यवस्था दुरुस्त होगी।

मेरी बात
गोरखपुर में एजुकेशन सिस्टम भी बेहतर नहीं है। प्राइवेट स्कूल में टीचर्स कम सैलरी के बाद भी अच्छी एजुकेशन देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। वहीं इसके उलट सरकारी स्कूलों की बात की जाए, तो यहां पर टीचर्स तो सैलरी खूब मोटी उठाते हैं, लेकिन पढ़ाने के नाम पर जान चुराते हैं। आए दिन स्कूल से गायब रहते हैं और सैलरी पूरी लेते हैं। इनफ्रास्ट्रक्चर भी उतना बेहतर नहीं है, जितना कि प्राइवेट स्कूल्स का होता है। इस ओर भी सरकार को सोचना चाहिए।
- मृत्युंजय कुमार

सड़कें फिर हुई बदहाल
बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर जब डिस्कशन शुरू हुआ, तो इसकी शुरुआत शहर की सड़कों से हुई। पंकज पासवान ने कहा कि रोड की बात करें तो इसको बनाने का काम तो शुरू में तेज हुआ, लेकिन बाद में रफ्तार सुस्त पड़ गई। आज हालत यह है कि सड़कों पर फिर गड्ढे हो गए हैं। रोड पर भी अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से जाम से लोगों की मुसीबत बढ़ने लगी है। कहीं न कहीं हम इसके लिए जिम्मेदार हैं। अगर हम थोड़ा धैर्य रखें और सरकार भी अपना काम करे, तो इस तरह की किसी समस्या से हमें जूझना नहीं पड़ेगा।

अब बढ़ गई हैं जरूरतें
पहले रोटी, कपड़ा और मकान रिक्वायरमेंट थे, आज मेडिकल भी इसमें शामिल है, बेहतर एजुकेशन भी एक जरूरत है। इसकी व्यवस्था बेहतर हो और लोगों को यहीं सारी सुविधाएं मिल जाएं। तो ही सरकार की कामयाबी है, वरना तो देश चल रहा था और आगे भी चलता रहेगा। एक और ज्वलंत समस्या है बेरोजगारी, सरकार इसे कम करने की कोशिश करें या ऐसा इंतजाम करें कि कंपनियां यहीं आएं और यहां से लोगों को जॉब मिले और उन्हें बाहर न जाना पड़े।

छाए रहे मुकामी मुद्दे
राजनी-टी की इस चर्चा में बुनियादी और मुकामी मुद्दे भी खूब उछले। व्यापारी अभिजीत ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि जॉब सिक्योरिटी हो और भर्ती को निरस्त न किया जाए। एक सरकार में कोई का सेलेक्शन हो गया, तो दूसरी सरकार इसे निरस्त न करे। क्योंकि इसमें कैंडिडेट्स की कोई गलती नहीं है। वहीं निमेश कुमार यादव ने जॉब में आउटसोर्स और ठेका बंद करने की बात कहीं। निमेश का कहना था कि जिसकी सरकार आती है, वह कहता है हम सॉल्व करेंगे, लेकिन सरकार बनने के बाद वह ध्यान नहीं देते।

बेरोजगारी का भी हो इलाज
इस मौके पर अविनाश उपाध्याय ने कहा कि सरकारी महकमों में करप्शन की जड़ें मजबूत हो चुकी है। एजुकेटेड लोग पढ़-लिखकर आगे आते हैं और किसी तरह इंटरव्यू तक पहुंच जाते हैं, लेकिन इसके बाद पैसे की डिमांड उनकी मेहनत पर पानी फेर देती है। मोहम्मद इरशाद ने भी बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा मानते हुए कहा कि रोजगार न मिलने की वजह से युवा रास्ता भटक रहे हैं। अपराधों में पकड़े जा रहे युवा इसकी मिसाल हैं। अगर सरकार जॉब दे तो वह बिजी होंगे और उनके पास गलत राह पर जाने के लिए वक्त ही नहीं होगा।

प्राइवेट स्कूल में अच्छी पढ़ाई
हरिओम त्रिपाठी ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की हालत का मुद्दा सामने रखा। उन्होंने कहा कि अच्छी पढ़ाई हो, इसके लिए सरकारी स्कूलों में बेहतर व्यवस्था की जाए। प्राइवेट स्कूल में अच्छी पढ़ाई हो रही है, लेकिन न टीचर आते हैं और न ही पढ़ाई होती है। सैलरी पूरी उठाते हैं, लेकिन जिस तरह उन्हें पढ़ाना चाहिए, वह पढ़ाते नहीं है। जबकि प्राइवेट स्कूलों में हालत दूसरी है। यहां टीचर्स की सैलरी अच्छी नहीं है, लेकिन वहां पढ़ाई अच्छी होती है। वहीं चंद्रेश पासवान ने कॉम्प्टीटिव एग्जाम के दौरान लेडीज का सेंटर करीब होने और उनके लिए अलग व्यवस्थाएं होने की मांग रखी।

आवारा जानवर भी बढ़ा रहे दुश्वारी
राजनीतिक मुद्दों से इतर बात करते हुए राशिद खान ने कहा कि आवारा पशु भी यहां के लिए एक अहम मुद्दा हैं, दिन भर में एक एक्सीडेंट हो ही जाता है और जान भी जाती है। प्रदेश सरकार इसके लिए अभियान चला रही है, लेकिन जिम्मेदार कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं, जिसकी वजह से प्रॉब्लम जस की तस है। मृत्युंजय कुमार ने नोटबंदी को सरकार की सबसे बड़ी भूल बताते हुए कहा कि इससे सिवाए आम आदमी को परेशानी होने के कुछ भी नहीं हुआ। सुनील यादव ने रोड, नाली और जाम की समस्या खत्म होने की बात कही। करीब एक घंटे चले डिस्कशन में लोगों ने खूब बातें कीं और दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को यह प्लेटफॉर्म मुहैया कराने के लिए धन्यवाद किया।

Posted By: Inextlive