-व‌र्ल्ड एनवायर्नमेंट डे स्पेशल

-मॉडरेट जोन में पहुंचा गोरखपुर का पॉल्युशन लेवल

-लेकिन गाडि़यों से निकलने वाली नाइट्रोजन डाईऑक्साइड बन रही मुसीबत

-इसकी वजह से सांस लेने में हो रही है मुश्किल

GORAKHPUR: गोरखपुर का पॉल्युशन लेवल अब यलो यानि मॉडरेट जोन में पहुंच गया है. इससे साफ है कि जगह-जगह पौधरोपण और पेड़ों को बचाने की मुहिम रंग लाई है. अब इस आबो-हवा में सांस लेना तो बेहतर हुआ है, लेकिन सड़क पर फर्राटा भर रही तेज रफ्तार गाडि़यां लोगों के लिए अब भी मुसीबत का सबब बनी हुई हैं. लगातार बढ़ रही गाडि़यों की वजह से नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड यानि एनओ2 गैस एटमॉफियर में बढ़ रही है, जो लगातार लोगों की परेशानी बढ़ाए हुए हैं. खासतौर पर कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरियाज में इनकी मात्रा नॉर्मल से कई ज्यादा है. इसकी वजह से यहां सांस लेने में दुश्वारियां ज्यादा हैं. हालांकि रिहायशी इलाकों में अभी यह हालात नहीं हैं, लेकिन जिस तरह दिन ब दिन गाडि़यों की तादाद बढ़ रही है, फ्यूचर में हमें काफी मुश्किलें और मुसीबत झेलनी पड़ सकती है.

हर साल बढ़ रही 11 हजार गाडि़यां

गोरखपुर में गाडि़यों की तादाद लगातार तेजी से बढ़ रही है. सिर्फ आरटीओ के बीते तीन साल का आंकड़ा देखें तो शहर में करीब 33 हजार गाडि़यां बढ़ी हैं. ट्रांसपोर्ट और नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स को मिलाकर इस समय यहां करीब 2 लाख 35 हजार गाडि़यां सड़कों पर दौड़ लगा रही हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो हर साल शहर में करीब 10 से 12 हजार गाडि़यों की बढ़त हो रही है. इससे पॉल्युशन का ग्राफ और खतरा भी दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. शहर की आबोहवा में फैले पॉल्युशन की बात करें तो टोटल एयर पॉल्युशन का 68 फीसदी हिस्सा सिर्फ गाडि़यों से निकलने वाले धुएं का होता है.

खतरनाक है शहर की शाम

सिटी में हर वक्त नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड लोगों को परेशान कर रही है. मगर पॉल्युशन विभाग के जिम्मेदारों की मानें तो इनका सबसे ज्यादा प्रकोप शाम में छह बजे से लेकर रात के 10 बजे के बीच होता है. इन दिनों कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरियाज के एटमॉस्फियर में इनकी तादाद काफी ज्यादा बढ़ गई है. इन दोनों गैसेज का सबसे कम कॉन्संट्रेशन लेवल रात में दो बजे से सुबह छह बजे के बीच होता है, जब लोग गहरी नींद में सो रहे होते हैं.

साल दर साल बढ़ रही हैं मुश्किलें

पॉल्युशन लेवल की बात करें तो इससे लोगों की मुश्किलें साल दर साल बढ़ रही हैं. पीएम 10 का कॉन्संट्रेशन बढ़ने से जहां रेस्पिरेटरी ऑर्गन पर इफेक्ट पड़ रहा है, तो वहीं सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से एटमॉस्फियर में सलफ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड का कॉन्संट्रेशन भी बढ़ जा रहा है, जोकि एसिड रेन के लिए जिम्मेदार हो रहा है. इससे शुरुआती दौर में स्किन डिजीज और आखिरी दौर में कैंसर तक होने के चांसेज हैं.

जनवरी

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

रेसिडेंशियल 323.01 24.09 39.16 273

कॉमर्शियल 423.37 50.05 72.10 392

इंडस्ट्रियल 436.95 59.40 77.12 409

फरवरी -

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

रेसिडेंशियल 295.71 17.91 26.86 246

कॉमर्शियल 330.05 36.85 47.11 280

इंडस्ट्रियल 339.42 39.18 52.88 289

मार्च -

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

रेसिडेंशियल 298.93 18.63 28.82 249

कॉमर्शियल 334.53 37.19 48.12 285

इंडस्ट्रियल 345.81 39.92 53.61 396

अप्रैल -

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

रेसिडेंशियल 125.14 9.79 22.74 117

कॉमर्शियल 218.16 35.98 53.57 179

इंडस्ट्रियल 236.71 39.92 58.51 191

आरटीओ में रजिस्टर्ड वाहन

2018-19

ट्रांसपोर्ट व्हीकल- 12440

नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल-223538

2017-18

ट्रांसपोर्ट व्हीकल- 3040

नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल-210851

2016-17

ट्रांसपोर्ट व्हीकल- 3202

नॉन ट्रांसपोर्ट - 199733

वर्जन

पिछले दिनों के मुकाबले इन दिनों पॉल्युशन लेवल काफी कम हुआ है. सबसे ज्यादा पॉल्युशन गाडि़यों से होता है. अगर लोगों को सपोर्ट मिले और गाडि़यों का वह कम से कम इस्तेमाल करें तो पॉल्युशन लेवल को कम करने में काफी मदद मिल सकती है.

-प्रो. गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट

Posted By: Syed Saim Rauf