- रोडवेज बसों के ड्राइवर नहीं करते यातायात नियमों का पालन

- हमेशा होता अवेयरनेस प्रोग्राम फिर भी नियम मानने से करते इनकार, बिना सीट बेल्ट चलाते बस

GORAKHPUR: रूल्स फॉलो करो-रूल्स फॉलो करो, शासन-प्रशासन के लोग ये चिल्लाते रहते हैं और जगह-जगह अवेयरनेस प्रोग्राम भी कराते हैं। इसके लिए सरकार का हर साल अच्छा-खासा पैसा भी खर्च होता है। इसके बाद भी आम पब्लिक तो दूर की बात है सरकारी कर्मचारी तक अवेयर होने को तैयार नहीं हैं। रोडवेज बसों के ड्राइवरों का ही हाल देख लिजिए। जिनके भरोसे 50 से 60 जिंदगियां होती है वो खुद कभी सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं। वहीं कार से चलने वाले लोगों का आए दिन चालान काटा जाता है। उन्हें बताया जाता है कि वे सील्ट बेल्ट लगाकर ही चलें। जबकि नियमों की अनदेखी करने वाले रोडवेज ड्राइवरों की कभी क्लास नहीं लगती। जिसकी वजह से आए दिन सड़कों पर बड़े हादसे होते रहते हैं।

क्यों लगाते हैं सीट बेल्ट

सफर के दौरान एकग्रता बनी रहे और एक झटके से बॉडी इधर-उधर ना हो इसके लिए सीट बेल्ट सबसे बेहतर उपाए है। जरा भी बॉडी इधर-उधर होने पर स्टेयरिंग कहीं भी घूम सकता है। इससे हादसा होने की संभावना भी बढ़ जाती है। सीट बेल्ट लगाने से नींद आने पर भी बॉडी को गिरने से रोकता है। लेकिन खासतौर से रोडवेज के ड्राइवरों को इतना ओवर कॉन्फिडेंस होता है कि वे सीट बेल्ट लगाने से परहेज करते हैं।

बस का सिस्टम भी जुगाड़ू

रोडवज की बस नई-नई निकलती है तभी तक उसके सारे फंक्शन काम करते हैं। एक बार खराब हुई तो उसे जुगाड़ से ही ठीक कराया जाता है। वहीं बस के कई फंक्शन तो धीरे-धीरे दम ही तोड़ देते हैं और वो गायब हो जाते हैं। ज्यादातर बसों का हाल ये है कि अगल-बगल तार का जाल फैला रहता है। कौन सा तार क्या काम करेगा ये केवल ड्राइवर ही समझ पाता है।

यमुना एक्सप्रेस वे हादसे में 29 की मौत

सोमवार सुबह अवध डिपो की बस यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसे का शिकार हो गई। जिसमें करीब 29 लोगों की मौत हो गई। इसके हादसे का क्या कारण था ये तो जांच चल रही है। मिली जानकारी के अनुसार हादसे की मेन वजह ड्राइवर को नींद आना बताई जा रही है। मरने वालों में गोरखपुर के दो लोग भी हैं।

बांटे थे थर्मस, उठा ले गए घर

परिवहन निगम ने कुछ समय पहले सफर के दौरान ड्राइवर को नींद ना आए इसके लिए थर्मस बांटे थे। हर बस में एक थर्मस रखा गया था जिसमें चाय रखनी थी और नींद आने पर रास्ते में इसका उपयोग ड्राइवर कर सकते थे। लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं चल सका। कुछ ही दिन बाद सभी गाडि़यों से थर्मस गायब हो गए। बाद में पता चला कि जिन ड्राइवर के हाथ थर्मस लगा वे उसे अपने घर पर रख आए। हद तो ये है कि अधिकारी भी इसके लिए कभी गंभीर नहीं हुए।

वर्जन

जो भी नियमों की अनदेखी करेगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। काफी पहले ड्राइवरों को थर्मस बांटा गया था। ड्राइवर को थर्मस बस में रखना चाहिए। इसे मैं चेक करूंगा।

केके तिवारी, एआरएम

रोडवेज बसों की भी चेकिंग की जाएगी। नियम ना फॉलो करने वाले ड्राइवर्स पर कार्रवाई की जाएगी।

- डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन

Posted By: Inextlive