दो माह अभियान, फिर भी सीएम सिटी में हर घंटे चार चालान
-यातायात के नियमों को तोड़ने में आगे गोरखपुराइट्स
-आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस के सभी अभियान फेल GORAKHPUR: सिटी में यातायात नियमों का पालन कराने के लिए आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस भले तमाम दावे करें, लेकिन इसका जमीन पर नहीं दिख रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि अभियान चलने के बावजूद गोरखपुर में प्रति घंटे चार वाहनों का चालान कट रहा है। महीने में आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 3126 चालान कट रहे हैं। इससे प्रशासन को हर महीने 41 लाख रुपए चालान के रूप में राजस्व मिल रहा है। चार जिलों में टॉप पर गोरखपुरगोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर की बात करें तो इन चार जिलों में यातायात का नियम तोड़ने वालों की संख्या के हिसाब से गोरखपुर अव्वल है। ये आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान किए गए आंकड़े बता रहे हैं। गोरखपुर के लोगों का चालान कटवाना मंजूर है, लेकिन वे नियम का पालन नहीं करेंगे।
दो महीने का अभ्िायान बेअसरअक्टूबर भर अलग-अलग जगहों पर कैंप लगाकर आरटीओ विभाग के अधिकारियों ने जागरुकता की बयार बहाई थी। जो पूरी तरह से बेअसर साबित हुई। वंबर में ट्रैफिक पुलिस ने स्कूलों से लगाए चौराहों तक पर लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। इसके साथ ही लोगों को फ्री में हेलमेट भी पहनाया। फिर भी असर नहीं है।
आरटीओ ने सात माह में वसूला राजस्व जनपद- शुल्क गोरखपुर- 255.61 लाख कुशीनगर-179.09 लाख महाराजगंज- 123.06 लाख देवरिया- 103.15 लाख नोट- ये अप्रैल से अक्टूबर तक के आंकड़े हैं। आरटीओ द्वारा गोरखपुर में चालान -शराब पीकर गाड़ी चलाने पर- 2 -ओवर स्पीड में- 47 -ओवर लोडिंग में- 799 -गलत तरीके से गाड़ी चलाने में- 8 - रेड लाइट जम्पिंग में- 0 - बिना हेलमेट- 4484 - बिना सीट बेल्ट- 1687 -बिना इन्शुरंस पेपर- 1831 -लाइसेंस को निरस्त किया- 292 तीन साल में ट्रैफिक पुलिस ने काटे चालान वर्ष - चालान- शमन शुल्क 2016- 20368- 3152500 2017- 19434- 3729100 2018- 15765- 3827050 जनवरी से अक्टूबर तक पिछले सात महीने में ट्रैफिक पुलिस ने काटे चालान माह- चालान- शमन शुल्क अप्रैल- 1429- 275700 मई- 2187- 407800 जून- 2739- 462100 जुलाई-2170- 381100 अगस्त- 1668- 354800 सितंबर- 1340- 471000 अक्टूबर- 736- 383400 वर्जन- जब तक चेकिंग चलती तब तक लोग नियम का पालन करते हैं। जैसे ही चेकिंग खत्म होती है लोग मनमानी करने लगते हैं। इसके लिए लोगों को और जागरूक किया जाएगा। डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन