- हाईटेक बदमाश पर बनी वेब सीरीज ने किया निराश

- 90के दशक का ट्रेंड जानने के लिए देख रहे वीडियो

GORAKHPUR: गोरखपुर के कुख्यात के आपराधिक जीवन पर बनी वेब सीरीज ने लोगों को निराश कर दिया है। 90 के दशक के सबसे हाईटेक बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला के बारे में जानने के लिए नए बदमाशों में वेब सीरीज का काफी क्रेज है। लेकिन उसकी गतिविधियों को करीब से जानने वाले शहर के लोगों को वेब सीरीज ने काफी निराश किया है। तथ्यात्मक त्रुटियों से लेकर फिल्मांकन तक में जरूरत से ज्यादा बनावट लोगों को पंसद नहीं आ रही। सीरिज देखने वाले लोग पहले एपिसोड से आगे बढ़ नहीं पा रहे। लोगों का कहना है कि स्क्रिप्ट लिखने वालों को जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत थी। श्रीप्रकाश के बारे में ठीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि फिल्मांकन में उसकी आपराधिक छवि से ज्यादा आशिक मिजाजी को फोकस किया गया है। हालांकि जिले के नए बदमाशों में इसकी काफी डिमांड भी है।

इश्कबाज इमेज, नेता को बताया विलेन

गोरखपुर के कुख्यात बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला पर बनी वेब सीरीज 22 दिसंबर को रिलीज हुई है। गोरखपुर सहित पूर्वाचल के कई जिलों के लोग इस सीरिज के आने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन जितनी बेसब्री से लोगों ने इसका इंतजार किया था, रिलीजिंग के बाद सीरीज ने उतना ही लोगों को निराश किया है। बड़हलगंज के मामखोर गांव से लेकर कैंट एरिया के दाउदपुर मोहल्ले की गलियों तक घूमे श्रीप्रकाश के हाथों चली गोलियों की गूंज लोगों के जेहन में आज भी ताजा है। वेब सीरीज निर्माताओं ने तमंचा से एके 47 तक का सफर करने वाले बदमाश को इश्कबाज बना दिया है। श्रीप्रकाश से निजी दुश्मनी रखने वाले एक नेता को उसका सरपरस्त दिखाया गया है।

इन वजहों ने किया निराश

- फिल्मांकन में श्रीप्रकाश शुक्ला को एक इश्कबाज के रूप में पेश किया गया है। बहन की सहेली से प्रेम करने वाले के रूप में पेश किया गया।

- अपराध के मुकाम पर पहुंचने के बाद श्रीप्रकाश ने अय्याशी शुरू की। उसके प्रेम संबंध रहे हैं लेकिन फिल्मांकन में तथ्यात्मक रूप से काफी बदलाव किया गया है।

- श्रीप्रकाश शुक्ला की बॉडी लैंग्वेज, उसके बातचीत करने का तौर तरीका जो दिखाया है, वास्तविक रूप से ऐसा नहीं था। गोरखपुर की आंचलिक बोली को दूसरा टोन देने से दर्शक निराश हो रहे हैं।

- फिल्म में दिखाया गया है कि एक पूर्व मंत्री के कहने पर श्रीप्रकाश ने वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या की थी। जबकि दोनों व्यक्तियों को करीब से जानने वाले लोग इसे बड़ी त्रुटि बता रहे।

- श्रीप्रकाश के खास सहयोगी आनंद पांडेय और नीने सीन से गायब हैं। श्रीप्रकाश की चार-पांच लोगों की गैंग के प्लानर और मास्टर माइंड के रूप में आनंद पांडेय को जाना जाता है।

- जिस कैसेट वाले व्यक्ति की हत्या श्रीप्रकाश ने की है। उसे वीरेंद्र शाही का आदमी बताया गया है। जबकि श्रीप्रकाश ने ऐसा कोई मर्डर नहीं किया था।

- श्रीप्रकाश के बारे में बताया गया है कि वह मजबूरी में अपराधी बन गया। छेड़छाड़ की घटना के बाद युवक की हत्या करने के तथ्य लोगों के पल्ले नहीं पड़ रहे। पहला मर्डर उसने जानबूझ कर किया था।

- पूर्वोत्तर रेलवे के ठेकों को लेकर वर्चस्व की जंग में लगा श्रीप्रकाश कई बार गोरखपुर आया था। जबकि फिल्म में उसका दोबारा लौटना नहीं दिखाया गया।

सिर्फ क्राइम का ट्रेंड जानने को देख रहे फिल्म

श्रीप्रकाश के जीवन पर पहले भी एक फिल्म बन चुकी है। इसके बाद वेब सीरीज रिलीज हुई है। 90 के दशक में अपराध का क्या ट्रेंड रहा है। इसके बारे में जानने के लिए नए बदमाशों के बीच सीरीज का क्रेज है। शहर के कई माफिया गैंग से जुड़े बदमाशों ने सीरीज देख ली है। मंडलीय कारागार में बंद एक बदमाश ने मुलाकात के दौरान अपने परिचित से श्रीप्रकाश वाली फिल्म डाउनलोड करने के लिए कहा था। जेल में भी इस सीरीज को लेकर काफी चर्चा है। 10 दिनों के भीतर शहर के सौ से अधिक बदमाशों के मोबाइल फोन में यह फिल्म डाउनलोड होकर शेयर की जा चुकी है।

Posted By: Inextlive