Gorakhpur : विद्या और धनअर्जन के लिए परूआ अशुभ होता है. प्रतिपदा तिथि होने से इस दिन धन और विद्या का अर्जन नहीं किया जा सकता है. इसलिए प्रतिपदा तिथि को गोरखपुर और आसपास के एरिया में परूआ के रुप में मनाया जाता है. हालांकि परूआ के दिन ही गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट का पर्व भी उल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके लिए दीवाली की रात से तैयारी शुरू हो जाती है.


गोवर्धन पूजा से प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णुदीवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की परंपरा है। गाय के गोबर से बने गोवर्धननाथ की अल्पना, तस्वीर या प्रतिमूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। इसके बाद ब्रज के देवता गिरिराज को पसन्न करने के लिए अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। गोवर्धन की पूजा करके ही अन्नकूट का उत्सव करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। बंद रहेंगे शहर के सभी प्रतिष्ठान
गोवर्धन पूजा, अन्नकूट उत्सव के मौके पर मंडे को सिटी के व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। इसके पीछे अलग-अलग तर्क हैं। एक तरफ जहां त्योहार के उल्लास में आराम करने को एक दिन मिलता है। वहीं दूसरी तरफ धार्मिक मान्यता है कि अष्टमी और प्रतिपदा की तिथि व्यापारिक कामों के लिए शुभ नहीं होती। इस प्रतिपदा पर धन का अर्जन और विद्या का अर्जन नहीं किया जा सकता है। इसलिए दीवाली के बाद पहला दिन परूआ मनाकर छुट्टी रखी जाती है। सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद रखने के साथ स्कूल और कालेजज में छुट्टी हो जाती है। प्रतिपदा तिथि होने से इस दिन को धनार्जन और विद्या का अर्जन के लिए अशुभ माना जाता है। इसलिए दीवाली के बाद पहले दिन दुकानों और संस्थाओं को बंद रखते हैं। पंडित शरद चंद मिश्र, ज्योतिषाचार्य


इसकी कोई वैज्ञानिक वजह नहीं है। दिन रात मेहनत करके लोग दीवाली की तैयारी करते हैं। कई दिनों की व्यस्तता के बाद दिवाली के पहले दिन राहत मिलती है। इसलिए दीवाली के दूसरे दिन लोग अपने संस्थानों और प्रतिष्ठानों को बंद रखते हैं। पंडित नरेंद्र उपाध्याय, ज्योतिषाचार्य

Posted By: Inextlive