मौसम के कहर पर प्रशासन की नजर
-क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ प्रोग्राम की होने जा रही शुरुआत
-तैयार की जाएगी रिपोर्ट, टास्क फोर्स गठन के बाद चलेगा रेस्क्यू PRAYAGRAJ: साल दर साल होने वाले मौसम के बदलाव पर अब प्रशासन नजर रखेगा। इस बदलाव से ह्यूमन हेल्थ पर होने वाले प्रभाव की रिपोर्ट तैयार करने के साथ रेस्क्यू चलाने के लिए टास्क फोर्स का भी गठन किया जा रहा है। इसमें एक साथ कई विभागों को शामिल किया गया है। शासन ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ प्रोग्राम का नाम दिया है। साथ ही जिला एनवायरमेंटल हेल्थ सेल का भी गठन किया जाना है। गर्मी ने सोचने पर किया मजबूरइस साल अप्रैल से लेकर जून तक तापमान 40 डिग्री से अधिक रहा। मौसम की इस तल्खी को लेकर शासन सोचने पर विवश हो गया है। इसके अलावा हर साल कम होती बारिश का ग्राफ भी चिंता का सबब बना हुआ है। इसका सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मौसम के बदलाव के इस असर पर रिपोर्ट तैयार करने के साथ आने वाली आपदा से बचाव हेतु जिला टास्क फोर्स का गठन किए जाने के आदेश शासन ने दिए हैं। इस टास्क फोर्स का अध्यक्ष डीएम को बनाया गया है। बाकी एक दर्जन विभाग भी इस समिति के सदस्य होंगे। एनसीडी सेल के नोडल को इस प्रोग्राम का नोडल बनाया गया है।
यह एचओडी होंगे शामिल -डीएम -सीएमओ -एनसीडी सेल नोडल -जिला स्तर पर संचालित अन्य कार्यक्रमों के नोडल अधिकारी -सभी सरकारी हॉस्पिटल के सीएमएस -एएमए -आपदा प्रबंधन विभाग -मेडिकल कॉलेज के सोशल एवं प्रिवेंटिव विभाग के एचओडी -प्रदूषण नियंत्रण विभाग -कृषि विभाग -खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग -भूगर्भ जल विभाग -सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग हर मौसम में हो रहा बदलाव स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रत्येक मौसम में पहले से अधिक बदलाव सामने आ रहे हैं। मसलन पिछली ठंड में एक भी दिन कोहरा नहीं होना ताज्जुब की बात रही। इस पर मौसम विज्ञानी लगातार अध्ययन कर रहे हैं। इस साल लगातार भीषण गर्मी और मानसून का लेट हो जाना भी मौसम में बदलाव का बड़ा उदाहरण है। इसका असर भी लोगों पर देखने को मिल रहा है। अधिक ठंड नहीं पड़ने से स्वाइन फ्लू के मरीज जनवरी में सामने आ गए थे। गर्मी में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। साथ ही स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। इन्ही आंकड़ों को समेटकर इनसे निपटने का काम इस प्रोग्राम के तहत किया जाएगा। वर्जनमौसम के बदलाव और इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ना एक बड़ा मामला होता जा रहा है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले कुछ समय में मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। भविष्य में ऐसे बदलाव से लोगों को बचाने में यह कार्यक्रम बेहतर साबित होगा।
-डॉ। वीके मिश्रा, नोडल, एनसीडी सेल स्वास्थ्य विभाग