श्री गौड़ीय मठ एवं मिशन के शताब्दी समारोह में बोले राज्यपाल

विशाल धर्म सम्मेलन व आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन

ALLAHABAD: श्री चैतन्य महाप्रभु 24 साल की उम्र में गृहस्थ आश्रम त्याग भारत भ्रमण पर निकल पड़े थे। बंगाल के नवद्वीप धाम में उनके असली रुप को लोगों ने तब देखा जब उन्होंने बिना किसी अस्त्र-शस्त्र के दो महापापियों का हृदय परिवर्तन हरिनाम से कर दिया। प्रेम से परिपूर्ण महाप्रभु के व्यक्तित्व को गौड़ीय मिशन भक्ति भाव के जरिए देश-विदेश में प्रसारित कर रहा है। मैं भी गौड़ीय मिशन से ऊर्जा लेने आया हूं। यह बातें यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने मंगलवार को तुलारामबाग स्थित श्री रुप गौड़ीय मठ एवं मिशन के शताब्दी समारोह पर आयोजित धर्म सम्मेलन व आध्यात्मिक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कही।

मानवता की प्रतिमूर्ति थे

नाईक ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु मानवता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने देशभर में भ्रमण करके समाजवाद व जातिवाद जैसे मतभेदों को मिटाकर भाईचारे का बीज बोया था। वे कहते थे कि हम सभी ईश्वर के अंश हैं और ईश्वर का दास होकर सेवा करना ही हमारा धर्म है। विशिष्ट अतिथि बीएचयू के कुलपति प्रो। जीसी त्रिपाठी ने कहा कि देश को इस बात पर गर्व है कि मिशन अपनी स्थापना के 100 वर्ष में महाप्रभु के सपनों को निरंतर साकार करने में तत्पर है। चैतन्य महाप्रभु का स्मरण करने मात्र से ही इंसान संस्कारवान हो जाता है।

सम्मानित हुए अतिथि

कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल राम नाईक और बीएचयू के कुलपति प्रो। जीसी त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। पटना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसके मुखर्जी ने गौड़ीय मिशन को शताब्दी वर्ष समारोह मनाने के लिए बधाई दी। अध्यक्षता मिशन के संत परिब्राजक गोस्वामी महाराज ने किया। इस मौके पर ऋषिकेश महाराज व धरणीधर महाराज ने अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।

हरे रामा, हरे कृष्णा की गूंज

श्री रुप गौड़ीय मठ व मिशन के शताब्दी समारोह से पहले एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। 21 महिलाएं सिर पर तुलसी का पौधा व 108 महिलाएं सिर पर कलश लेकर चल रही थीं। बैंड की धुन पर रास्ते में महिलाएं व पुरुष हरी नाम संकीर्तन का जयकारा लगाते रहे। शोभायात्रा में धरणीधर महाराज, अवधूत महाराज, राजेश पांडेय, अनिल कुमार मिश्र, महेन्द्र कुमार, निखिल शर्मा, उमेश चंद्र पांडेय आदि शामिल रहे।

Posted By: Inextlive