प्याज की महंगाई थामने को सरकार इसका निर्यात रोकने पर विचार कर रही है. मगर बाजार पर इसके असर को लेकर संदेह है. विश्व बाजार में भारतीय प्याज की कीमतें प्रतिस्पर्धी न होने की वजह से इसकी मांग न के बराबर है. पड़ोसी चीन व पाकिस्तान के सस्ते प्याज के चलते भारतीय प्याज महंगा साबित हो रहा है.


एमईपी का प्रावधान पिछले साल खत्मप्याज निर्यात के लिए निर्धारित होने वाले न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) का प्रावधान पिछले साल खत्म कर दिया गया. मगर घरेलू बाजार में प्याज के मूल्य इतने अधिक हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय प्याज का मूल्य 480 डॉलर प्रति टन पड़ रहा है. इसके मुकाबले पाकिस्तान का प्याज 410 डॉलर प्रति टन और चीन का प्याज सबसे सस्ता 300 डॉलर प्रति टन बोला जा रहा है. इन स्थितियों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्याज प्रतिस्पर्धी नहीं हैं. थोक रेट 25 से 30 रुपये किलो


घरेलू बाजार में प्याज का थोक मूल्य 25 से 30 रुपये प्रति किलो चल रहा है. लिहाजा निर्यातकों को पुराने सौदे पूरा करना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में निर्यात पर रोक की सरकारी पहल का कोई औचित्य नहीं है. दरअसल, रमजान का महीना होने की वजह से खाड़ी देशों में प्याज की मांग भी बहुत कम है. प्याज मूल्य पर काबू पाने के लिए सरकार ने निर्यात रोकने की तैयारी कर ली है, लेकिन  इस पहल से मंडियों पर मनोवैज्ञानिक असर ही पड़ेगा.उपाय का असर नहीं होगा

जानकारों के मुताबिक इससे बाजार बहुत अधिक प्रभावित नहीं होने वाला है. कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक महंगाई पर काबू पाने के लिए प्याज का एमईपी फिर निर्धारित किया जा सकता है. प्याज की महंगाई का सीधा असर राजनीति पर पड़ता है. पिछले कुछ हफ्ते में सब्जियों के दामों में भारी तेजी आई है.लासलगांव मंडी ऊंची हुई कीमतेंमहाराष्ट्र की थोक मंडी लासलगांव में भी कीमतें 25 रुपये प्रति किलो को छूने लगी हैं. प्याज की नई फसल आने में अभी समय है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जहां 5.17 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया था, वहीं चालू वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.11 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh