इंटरनेट की दुनिया पर गुपचुप निगरानी से चिंतित केंद्र सरकार जरूरी जानकारियों को गोपनीय रखने के मद्देनजर अधिकारिक संवाद में जीमेल और याहू के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा सकती है. इलेक्ट्रॉनिक व सूचना तकनीकी विभाग डीईआइटीवाई सरकारी दफ्तरों और विभागों में ई-मेल के इस्तेमाल की नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. यह मसौदा दो महीने में जारी कर दिया जाएगा. मंगलवार को राज्यसभा में भाजपा सदस्य तरुण विजय ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि देश के लिए चीन की घुसपैठ से कहीं ज्यादा खतरनाक अमेरिका का साइबर दखल है.


ई-मेल नीति पर काम जारीडीईआइटीवाई के सचिव जे. सत्यनारायण ने बताया कि ई-मेल नीति पर काम जारी है. यह नीति राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) का इस्तेमाल करने वाले सभी केंद्रीय व राजकीय कर्मचारियों पर लागू होगी. जब उनसे बंद की जाने वाली ई-मेल सेवाओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, 'फिलहाल मैं सटीक जानकारी नहीं दे सकता, लेकिन इसमें अहम सरकारी डाटा को सुरक्षित रखने पर ध्यान दिया जाएगा.' हालांकि, कुछ अधिकारियों का कहना है कि सभी सरकारी कार्यालयों में एनआइसी डॉट इन का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाएगा. ई-मेल नीति लागू होने के बाद सरकार करीब पांच-छह लाख कर्मचारियों को एनआइसी की मेल सेवा का इस्तेमाल करने की अधिसूचना जारी करेगी.भारत को समस्या के तौर पर
भाजपा सदस्य तरुण विजय ने राज्यसभा में कहा कि अमेरिका ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत को समस्या के तौर पर रखा है. ऐसे में देश के लिए चीन से बड़ा खतरा अमेरिका की साइबर जासूसी से है. उनके मुताबिक, पुंछ और रजौरी जैसे संवेदनशील इलाकों में मौजूद देश के आयुध भंडारों की जानकारी गूगल के पास है. ऐसे में सीमा, सेना, आयुध भंडार और रणनीति जानकारी सरकारी कार्यालयों में ई-मेल के जरिये एक-दूसरे को देना सुरक्षित नहीं है. उन्होंने सदन में मांग रखी है कि देश का अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म होना चाहिए. इस दौरान उन्होंने भारत में दुनिया के सबसे कम साइबर विशेषज्ञों की समस्या भी उठाई. उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि सरकार साइबर सुरक्षा को लेकर कतई गंभीर नहीं है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh