RANCHI रिम्स सुपर स्पेशियलिटी डिपार्टमेंट कैंपस में उगी पार्थेनियम की घास जहर उगल रही है। रिम्स कॉटेज के पीछे उगी इस घास को हटाने के लिए रिम्स मैनेजमेंट ने अब तक कोई उपाय नहीं किया है। इस कारण रिम्स में इलाज कराने आए मरीज बीमार बन रहे हैं। रिम्स परिसर में यह घास सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के अलावा भी दूसरे जगहों पर उग आई है।

जहरीली है पार्थेनियम

पर्यावरणविद डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि रिम्स सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक ही नहीं जहरीली पार्थेनियम घास जिसे गाजर घास भी कहा जाता है धीरे-धीरे पूरे शहर को घेर रही है। इस घास के फूलों से निकलनेवाले परागकण कई तरह की बीमारी देते हैं। यह पौधा जहां रहेगा, वहां लोगों में एलर्जी बढ़ जाती है। लोगों का छींकना-खांसना और दमा इसके लक्षण है। इसकी वजह से आंखों में पानी की शिकायत आम बात है। यह गाजर घास जहां उगती है, वहां दूसरा कोई पौधा नहीं उगता और यह जमीन को बंजर कर देती है। अगर गाय इस पौधे को खाती है तो उसका दूध कसैला हो जाता है।

कैंपस को साफ कराएंगे

रिम्स के डायरेक्टर डॉ तुलसी महतो ने कहा कि रिम्स सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक और उसके आसपास पार्थेनियम घास उग गई थी, जिसे हमने साफ कराया था। यह फिर से हो गई है। इसे फिर से परिसर से समाप्त किया जाएगा। उखड़वाने के बाद इसे जला दिया जाएगा, जिससे ये फिर न उगे।

कैसे आई पार्थेनियम?

इंडिया में गाजर घास या पार्थेनियम क्9म्0 में अमेरिका से आयातित गेहूं के साथ आई थी। इसे कांग्रेस घास के नाम से भी जाना जाता है। पार्थेनियम के संपर्क में आने से मनुष्यों में डर्मेटाइटिस, एक्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा जैसी बीमारियां हो जाती हैं। अगर पशु इसे अत्याधिक मात्रा में चर लेते हैं तो इससे उनकी मौत भी हो सकती है।

Posted By: Inextlive