GORAKHPUR : 'अरे यार तुझे पता है क्या कि सिटी में ये आधार कार्ड कहां बनता है? मुझे नहीं पता भाई. ये गैस एजेंसी वाले कल बता रहे थे कि बिना आधार कार्ड जमा किए गैस सिलेंडर लेने पर कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी. इसका मतलब हमें सिलेंडर लेने के लिए 1305 रुपए खर्च करने होंगे. चल यार आई नेक्स्ट ऑफिस चल कर पता करते हैं कि आखिर सिटी में आधार कार्ड बन कहां रहे हैं.' इसके बाद ये दोनों दोस्त आई नेक्स्ट ऑफिस पहुंचे. हमने उनकी जिज्ञासा शांत करने के लिए सिटी के जनप्रतिनिधियों से लेकर ऑफिसर्स तक के चक्कर लगा डाले लेकिन आधार कहां बन रहा है इसको लेकर किसी के पास कोई जानकारी नहीं थी.


क्या हैं आधार, कब हुआ था शुरू


अंगूठे और आंख की रेटिना को स्कैन करके नागरिकों की यूनीक पहचान वाला नंबर देने वाले सिस्टम 'आधार' को बनाने की शुरुआत 2011 में हुई। सिटी में करीब पांच माह तक यह प्रोगा्रम चला। अचानक ही सिटी में आधार कार्ड बनाना बंद कर दिया गया। पोस्टल डिपार्टमेंट की देखरेख में सिटी में करीब 1.50 लाख आधार कार्ड बनाए गए थे। फरवरी 2012 में एनपीआर नाम से नया अभियान सिटी में जीएमसी की तरफ से शुरू किया गया। इसका साफ्टवेयर 'आधार' के साफ्टवेयर पर ही आधारित है, इसलिए इसके लिए लगने वाले कैंप में रसीद भी आधार लिखी ही मिलती है, लेकिन अफसरों का कहना है कि एनपीआर सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान वाले डाटा पर आधारित है। 2011 की जनगणना में शामिल लोगों का रजिस्ट्रेशन एनपीआर में किया जा रहा है। इसमें आंखों की रेटिना, हाथ की अंगुलियों की स्कैनिंग की जाती है, लेकिन पूरे यूपी में आधार बनाने पर लगी रोक की वजह से कन्फयूजन ही कन्फयूजन है। क्या कहते हैं जिम्मेदार अफसर

इस मामले पर जिले के अफसरों से बात की गई तो यह सामने आया कि अफसर भी कन्फयूजन में हैं। वे भी इसको लेकर एलर्ट तो हैं, लेकिन उतना ही परेशान भी हैं। गैस कनेक्शन को आधार से लिंक करने के मामले में अफसरों ने लखनऊ को रोल मॉडल बताया है। अफसरों का कहना है कि वहां प्रयोग सफल साबित होने पर अन्य जगहों पर भी लागू किया जाएगा। पग-पग बदले बयानयहां पर पहले आधार बनाने की प्रोसेस शुरू करनी होगी। कांग्रेस ने इलेक्शन के लिए नया कार्ड खेला है। जब आधार बना ही नहीं तो पब्लिक कहां से अपना एनरोलमेंट कराएगी। इस प्रॉब्लम के साल्यूशन के लिए मैं पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के अफसरों से बात करूंगा। कमलेश पासवान, सांसद, बांसगांव आधार नहीं बनाया जा रहा है, लेकिन जब इसकी अनिवार्यता होगी तो गैंस एजेंसियों पर व्यवस्था शुरू की जाएगी। एजेंसी पर ही अंगूठे और आंख की रेटिना स्कैन करने का इंतजाम किया जाएगा। एजेंसी पर जाने वाले उपभोक्ता वहां पर 'आधार' के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। इसलिए इसको लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। जेपी गुप्ता, कमिश्नर आधार का विकल्प एनपीआर हो सकता है। इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। एनपीआर के लिए कर्मचारियों को ट्रेंड किया गया है। एनपीआर बनाने का काम कई वार्डों में चल रहा है। लोग कैंप में पहुंचकर एनपीआर बनवाएं। आरके त्यागी, नगर आयुक्त

पूरे देश को आधार और एनपीआर में बांटकर काम किया जा रहा है। यूपी में आधार का काम बंद है, लेकिन एनपीआर का काम चल रहा है। लखनऊ को रोल मॉडल के रूप में लिया जा रहा है। सिटी में एनपीआर बनाया जा रहा है। इसमें तेजी लाने के लिए डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर को निर्देश जारी किया गया है।देवकृष्ण तिवारी, एडीएम फायनेंस आधार को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। जैसे व्यवस्था चल रही है। वैसे ही उपभोक्ताओं को गैस मिलती रहेगी जिनके पास आधार कार्ड है, वे लोग अपना नंबर जमा करा सकते हैं।कमल नयन सिंह, डीएसओ आधार तो बंद है लेकिन एनपीआर का कार्ड भी 'आधारÓ के ही फार्मेट पर बन रहा है, लेकिन यह आधार नहीं है। कैंप में मशीनों की संख्या बढ़ाकर काम तेजी के साथ किया जा रहा है। कार्य में तेजी लाई जा रही है। पेट्रोलियम कंपनियों के डायरेक्शन के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। कन्हैया, ऑर्गनाइजर, एनपीआर कैम्पमार्च तक कोई प्रॉब्लम नहीं है। सब्सिडी वाले सिलेंडर मिलते रहेंगे। इसके बाद गवर्नमेंट से कोई डायरेक्शन आएगा तो उसके अनुसार काम किया जाएगा। इसको लेकर अभी परेशान होने की जरूरत नहीं है। अशोक सिंह, प्रोपराइटर अशोका गैस एजेंसी

Posted By: Inextlive